मंडलायुक्त के निर्देश का पालन होता तो जहर खाने की नौबत नहीं आती
चार दिन पहले मंडलायुक्त ने मंडी समिति परिसर में धान खरीद का जायजा लेते समय क्रय केंद्रों की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया था ताकि किसानों को तौल करवाने के लिए ज्यादा समय तक इंतजार नहीं करना पड़े। लेकिन स्थानीय अधिकारियों ने उक्त निर्देश पर अमल नहीं किया। यही वजह है कि सप्ताह भर तक इंतजार कर परेशान किसान को जहर खाकर आत्महत्या करने के प्रयास के लिए मजबूर होना पड़ा है।
पीलीभीत,जेएनएन : चार दिन पहले मंडलायुक्त ने मंडी समिति परिसर में धान खरीद का जायजा लेते समय क्रय केंद्रों की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया था, ताकि किसानों को तौल करवाने के लिए ज्यादा समय तक इंतजार नहीं करना पड़े। लेकिन स्थानीय अधिकारियों ने उक्त निर्देश पर अमल नहीं किया। यही वजह है कि सप्ताह भर तक इंतजार कर परेशान किसान को जहर खाकर आत्महत्या करने के प्रयास के लिए मजबूर होना पड़ा है।
मंडलायुक्त रणवीर प्रसाद 19 अक्टूबर को मंडी समिति परिसर में लगे धान क्रय केंद्रों पर की जा रही खरीद का जायजा लेने आए थे। उन्होंने मंडी में चारों ओर फैले धान को देखकर यह सवाल केंद्र प्रभारियों से पूछा था कि यह किसानों का धान है या बिचौलियों का। इस पर केंद्र पर धान तौलवाने आए किसानों ने उन्हें अपनी पीड़ा सुनाते हुए बताया कि मंडी समिति परिसर में मात्र चार धान क्रय केंद्र हैं। इसके कारण मंडी में आने वाले कृषकों का धान समय से नहीं तौला जा रहा है। उनको धान तौलवाने के लिए तीन तीन दिन मंडी में ही दिन रात गुजारना पड़ते हैं। मंडलायुक्त ने उपजिलाधिकारी राकेश कुमार गुप्ता से देहात क्षेत्र में खोले गए धान केंद्रों को वहां से हटाकर मंडी परिसर में लगवाने के निर्देश दिए थे। किसानों का धान मंडी में लाने के बाद तुरंत तौला जा सके। मंडलायुक्त के निर्देश के बाद कई दिन गुजर जाने के बाद भी धान केंद्रों की संख्या न बढ़ाने के कारण किसान परेशान था। इसी कारण बिलसंडा थाना क्षेत्र के ग्राम तिलछी निवासी गुरमीत सिंह भी अपने धानों को लेकर कई दिन से मंडी में परेशान घूम रहा था। उसके घर पर उसका छोटा बच्चा व पत्नी अकेले थे। बच्चे की तबीयत कुछ खराब होने के कारण वह तनाव में आ गया था। उसने धान नहीं तुलने के कारण जहर खाकर आत्महत्या का प्रयास किया। उसने पीसीएफ केंद्र प्रभारी अरविद पाल के सामने ही ट्रैक्टर में रखा जहरीला पदार्थ लाकर उसके सामने ही खा लिया,यदि प्रशासन मंडलायुक्त के निर्देशों को मानते हुए तत्काल धान क्रय केंद्रों की संख्या बढ़ा देता तो आज उन्हें इस स्थिति से नहीं गुजरना पड़ता और मंडी मे धान लाने वाले कृषक भी परेशान न दिखाई देते।