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गन्ने का रकबा घटा पर बढ़ गए किसान

पिछले वर्ष 1.5 लाख हेक्टेयर अब रह गया 98100 हजार रकबा 1.96 हजार से बढ़कर अब 2.7 लाख हुई किसान संख्या -गन्ने की अछी पैदावार के साथ ही समय से भुगतान भी प्रमुख कारण फोटो 21पीएनपीआर 2

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 05:37 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 05:37 PM (IST)
गन्ने का रकबा घटा पर बढ़ गए किसान
गन्ने का रकबा घटा पर बढ़ गए किसान

संस, पूरनपुर (पीलीभीत) : तराई में नकदी फसल कहे जाने वाले गन्ने का रकबा इस बार छह हजार हेक्टेयर घट गया है, लेकिन किसानों की संख्या बढ़ गई है। इसका प्रमुख कारण गन्ने की अच्छी पैदावार और कुछ चीनी मिलों द्वारा समय पर भुगतान है।

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धान, गेहूं, दलहनी और तिलहनी फसलों के अलावा तराई जिले का किसान एक बड़े रकबे में गन्ने की फसल को भी लगाता है। किसान इसको नकदी फसल भी कहते हैं। बिक्री के कुछ दिन बाद एकमुश्त भुगतान मिल जाने से किसान को काफी फायदा होता है। पिछले वर्ष जिले में गन्ने का रकबा 1.5 लाख हेक्टेयर था। अब यह रकबा 98100 हजार रह गया है। रकबा तो छह हजार हेक्टेअर के करीब घट है लेकिन किसानों में गन्ने के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है। पहले 1.96 लाख किसानों के पूरनपुर, बीसलपुर और पीलीभीत सदर में सट्टे थे। अब इसकी संख्या बढ़कर 2 लाख सात हजार सात सौ हो गई है। करीब 11700 किसानों ने समितियों में नई सदस्यता ली है। इसको लेकर आगामी समय में गन्ने का रकबा और बढ़ने का अनुमान है। सहफसली खेती बनी कमाई का जरिया

गन्ने में अधिक रोग न लगने से किसानों में इसको लेकर दिलचस्पी काफी बढ़ रही है। आमदनी का अच्छा स्त्रोत होने और सहफसली खेती के जरिए किसान लगा रहे हैं। तराई के जिले में 98100 हेक्टेयर में लहलहा रही गन्ने की फसल काफी कम लागत में तैयार हो जाती है। इसमें किसानों का अधिक खर्च नहीं आता है। बुवाई, गुड़ाई और उर्वरकों के प्रयोग के बाद यह फसल काफी कम लागत में तैयार हो जाती है। किसान गन्ने साथ ही दलहन, तिलहन और मसाले की भी खेती कर लेते हैं। आय दोगुनी हो जाती है। इन सभी वजह से किसान गन्ने की फसल में काफी रुचि है।

नान जेड ए की जमीन पर सर्वे नहीं

तहसील क्षेत्र के शारदा नदी के किनारे एक बड़े रकबा में नान जेड ए की जमीन है। इस जमीन पर अधिकांश गन्ना होता है। सरकार की तरफ से शिकंजा कस जाने से इस जमीन पर विभाग द्वारा इस बार सर्वे नहीं किया गया। हजारों एकड़ गन्ने का सर्वे वंचित रह गया। इन किसानों को आगे गन्ने की बिक्री की समस्या खड़ी होगी। किसानों के लिए गन्ना नकदी फसल है। प्राकृतिक जोखिम भी काफी कम है। सरकार की तरफ से इस फसल पर बीमा नहीं किया जाता। ट्रेंच विधि से गन्ने की बुवाई करने से सहफसली खेती कर किसान आय को बढ़ा लेता है। इस बार गन्ने का रकबा छह हजार हेक्टेयर घटा है। शारदा के किनारे नान जेड ए वाली भूमि पर खड़े गन्ने का सर्वे नहीं किया गया जिससे रकबा में कमी है। पिछली वर्ष की अपेक्षा इस बार 11700 नए मेंबर बढ़ गए हैं।

-जितेन्द्र मिश्र,जिला गन्ना अधिकारी

पीलीभीत

फैक्ट फाइल

पिछले वर्ष किसान इस वर्ष किसान

1.96 लाख 2 लाख सात हजार सात सौ

रकवा रकवा

1.5 लाख हेक्टेयर 98100

नोट: यह आंकड़े गन्ना विभाग की तरफ से दिए गए हैं।


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