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.. और मारा गया 10 बुराइयों का दशानन

पीलीभीतजेएनएन हर साल दशहरा पर रावण के पुतले का दहन किया जाता है। रावण को दशानन भी कहा जाता है उसके 10 सिर 10 बुराइयों का प्रतीक हैं। पुतला दहन के पीछे उद्देश्य यह है कि बुराइयों को खत्म किया जाए। बात अगर अपने शहर की करें तो साल भर के दौरान इस बार वास्तव में दस बुराइयों का अंत हुआ है। शहर से होकर निकल रही देवहा नदी के तट पर वर्षों से कूड़ा उड़ेला जा रहा था। रोडवेज की बसों के अलावा रोजाना शहर के और बाहर के लोग इधर से गुजरते समय कूड़े से उठती दुर्गंध के कारण नाक पर रुमाल रख लिया करते थे। अब उस स्थल की तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। कूड़े के नामोनिशान नहीं रहा। उसके स्थान पर राजघाट बन गया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Oct 2021 12:11 AM (IST)Updated: Fri, 15 Oct 2021 12:11 AM (IST)
.. और मारा गया 10 बुराइयों का दशानन
.. और मारा गया 10 बुराइयों का दशानन

पीलीभीत,जेएनएन : हर साल दशहरा पर रावण के पुतले का दहन किया जाता है। रावण को दशानन भी कहा जाता है, उसके 10 सिर 10 बुराइयों का प्रतीक हैं। पुतला दहन के पीछे उद्देश्य यह है कि बुराइयों को खत्म किया जाए। बात अगर अपने शहर की करें तो साल भर के दौरान इस बार वास्तव में दस बुराइयों का अंत हुआ है। शहर से होकर निकल रही देवहा नदी के तट पर वर्षों से कूड़ा उड़ेला जा रहा था। रोडवेज की बसों के अलावा रोजाना शहर के और बाहर के लोग इधर से गुजरते समय कूड़े से उठती दुर्गंध के कारण नाक पर रुमाल रख लिया करते थे। अब उस स्थल की तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। कूड़े के नामोनिशान नहीं रहा। उसके स्थान पर राजघाट बन गया है। परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित हो चुकी है। साथ ही हरियाली के बीच लाइटिग की व्यवस्था भी है। अब रात के समय उधर से गुजरने वाले लोग लाइटिग से रोशन राजघाट देखकर यह सोचने पर विवश हो जाते हैं कि यह वही स्थान है, जहां से निकलते समय नाक पर रुमाल रखना पड़ जाता था। साल भर के दौरान सिर्फ इसी बुराई का अंत नहीं हुआ बल्कि समाज के सहयोग से नौ अन्य बुराइयां भी समाप्त हो गईं। इन बुराइयों को खत्म करने की पहल जिलाधिकारी पुलकित खरे ने की और उनके आह्वान पर सामाजिक संस्थाओं ने आगे बढ़कर सहयोग किया। पार्कों की दूर हुई बदहाली- शहर में पार्क तो कई हैं लेकिन वे सभी लंबे अरसे से बदहाल पड़े थे। एकता सरोवर, नेहरू उद्यान, रामस्वरूप पार्क का अमृत योजना से सुंदरीकरण हुआ है। पहले इन पार्कों में लोग जाना पसंद नहीं करते थे लेकिन अब सुबह शाम अच्छी खासी रौनक रहती है। चौराहों का सीना हुआ चौड़ा- नकटादाना चौराहा, यशवंतरी देवी चौराहा, गौहनिया चौराहा, छतरी चौराहा, नौगवां चौराहा, बांसुरी चौराहा की तस्वीर देखते ही देखते बदल गई। प्रशासन ने अतिक्रमण हटवाया तो सामाजिक संस्थाओं ने सुंदरीकरण करने की जिम्मेदारी निभाई। बाइक चालकों ने समझ आया हेलमेट का महत्व- परिवहन विभाग और ट्रैफिक पुलिस के संयुक्त प्रयासों से अब सड़कों पर बाइक चालक हेलमेट पहने नजर आते हैं। पहले लोग हेलमेट के प्रति लापरवाह बने रहे लेकिन अब जागरूकता नजर आ रही है। मास्क लगाने की आदत डाली-कोरोना संक्रमण काल में पहली लहर के दौरान लोग मास्क के प्रति उदासीन रहे। दूसरी लहर में जब तमाम लोगों को संक्रमित होते देखा-सुना और साथ ही पुलिस ने चालान करने शुरू किए तो लोग मास्क लगाने लगे। गोमती उद्गम की बदली तस्वीर-गोमती उद्गम स्थल की तस्वीर साल भर में बदल गई। उद्यान, नौकायन, फन जोन, बच्चों की रेलगाड़ी चलने लगी। इससे लोगों में उद्गम स्थल के प्रति आकर्षण बढ़ा।

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सरकारी स्कूलों का कायाकल्प- पहले ज्यादातर गांवों में लोग सरकारी स्कूलों के परिसर में अपने मवेशी बांध देते थे। कई जगह तो परिसर उपले रखने का स्थान बन गए थे लेकिन मिशन कायाकल्प ने सरकारी स्कूलों की तस्वीर बदल दी। विद्युतीकृत हो गई रेलवे लाइन- तराई के जिले में इलेक्ट्रिक ट्रेनों का संचालन एक सपना था लेकिन पिछले साल तेजी से काम हुआ। देखते ही देखते टनकपुर से पीलीभीत होते हुए बरेली तक रेलवे लाइन का विद्युतीकरण हो गया। कोविड अस्पताल में लग गए वेंटीलेटर- कोरोना की दूसरी लहर के दौरान वेंटीलेटर उपलब्ध होने के बाद भी मरीजों को उनका लाभ नहीं मिला। अस्पताल के एक कोने में रखे रहे लेकिन अब कोविड वार्ड के प्रत्येक बेड पर वेंटीलेर लग गया।

इन बुराइयों का खात्मा होना अभी शेष

- महिला अपराधों पर नियंत्रण

-ड्रमंडगंज चौराहा का सुंदरीकरण

- बरेली दरवाजा और बाजार गेट जैसी धरोहर को सहेजना

- गैस चौराहा का सुंदरीकरण

- स्वच्छता प्रति नागरिकों में जागरूकता

- साइबर अपराध की रोकथाम

- पालीथीन से मुक्ति

- गड्ढा मुक्त सड़कें

- शहर के वंचित मुहल्लों में जलापूर्ति

- वार्डों में खराब पड़ीं स्ट्रीट लाइटों को बदलना


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