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पांच साल में मारे जा चुके 23 लोग

टाइगर रिजर्व बनने के बाद से लेकर अब तक बाघ के हमले में 23 लोग अपनी जान गवां चुके हैं। इसके अलावा दर्जन भर से अधिक लोगो को बाघ घायल कर चुका है। कभी जंगल के अंदर हमला हो जाता है तो तभी खेतों पर पहुंचकर बाघ लोगों पर हमला करता रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 10:50 PM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2019 10:50 PM (IST)
पांच साल में मारे जा चुके 23 लोग
पांच साल में मारे जा चुके 23 लोग

पीलीभीत : टाइगर रिजर्व बनने के बाद से लेकर अब तक बाघ के हमले में 23 लोग अपनी जान गवां चुके हैं। इसके अलावा दर्जन भर से अधिक लोगो को बाघ घायल कर चुका है। कभी जंगल के अंदर हमला हो जाता है तो तभी खेतों पर पहुंचकर बाघ लोगों पर हमला करता रहा है। मानव-बाघ संघर्ष कम होने का नाम नहीं ले रहा है। वन विभाग की और से मानव-बाघ संघर्ष को कम करने के लिए तमाम जागरूकता अभियान चलाए गए लेकिन इसके अपेक्षित परिणाम अभी तक सामने नहीं आए हैं। जंगल से सटे गांवों में निवास करने वाले लोगों को बाघ की दहशत के बीच जिदगी गुजारनी पड़ रही है।

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विगत 9 जून 2014 को यहां के जंगल क्षेत्र को पीलीभीत टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। लगभग 78 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले जंगल में पिछली गणना के अनुसार 50 से अधिक बाघ हैं। बाघ के हमलों में सबसे ज्यादा सात लोग वर्ष 2017 में मारे गए। इससे पहले वर्ष 2015-16 में भी आधा दर्जन ग्रामीणों की बाघ के हमले से मौत हुई। पिछले साल भी पांच लोगों को बाघ ने हमला करके मार डाला। इस साल बाघ के हमले में घायल होने वाले तीन लोग रहे जबकि हमले में मौत का यह इस साल का पहला मामला है। टाइगर रिजर्व का जंगल बराही, महोफ, माला, हरीपुर, दियोरिया रेंज में विभाजित है। अब शाहजहांपुर जिले की खुटार रेंज का जंगल भी टाइगर रिजर्व में शामिल किया जा चुका है। गन्ना सीजन के दौरान जंगल से बाघ का बाहर निकलना समस्या बना हुआ है। अब तक जिन 23 लोगों की जान बाघ के हमले में जा चुकी है। उनमें दर्जन भर से अधिक हमले जंगल से बाहर हुए हैं। जंगल के आसपास गांवों में रहने वाले लोगों में हर समय बाघ की दहशत बनी रहती है। हालांकि कई बार जलौनी लकड़ी या सीजन में कटरुआ सब्जी के लालच में लोग जंगल में घुस जाते हैं। ऐसी स्थिति में भी कई बार बाघ के हमले हुए और कई लोगों की जान चली गई।

बेटी की शादी की हसरत नहीं हुई पूरी

गजरौला : बाघ हमले में मौत का शिकार हुए हेमंत अपनी छोटी बेटी लक्ष्मी के लिए रिश्ता ढूंढने लगे थे लेकिन इसी दौरान बाघ हमले में उनकी जान चली गई। उनकी मंझली बेटी तारा तो नेत्रहीन है। जब उसे अपने पिता की मौत की जानकारी हुई तो फफक कर रो पड़ी। पत्नी दीपू खैराती का भी रो रो कर बुरा हाल हो रहा है। बड़ा बेटा प्रशांत अपनी दोनों बहनों तारा और लक्ष्मी को दिलासा देने की कोशिश करते करते खुद रोने लगता है। बड़ी बेटी मोनी अपनी ससुराल में है। उसे भी घटना की सूचना मिल चुकी है और वह मायके लिए चल पड़ी है। हेमंत की बाघ के हमले में मौत होने की सूचना से पूरे गांव में शोक छाया हुआ है। ऐसा लग रहा कि जैसे पूरी गोयल कॉलोनी गम में डूब गई है। इस परिवार के पास दो एकड़ जमीन है। इसी जमीन पर खेती करके हेमंत अपने परिवार को पाल रहा था। जब वह शाम के समय अपने गन्ना खेत में गुड़ाई करने गया था तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि अब वह जीवित वापस घर नहीं लौटेंगे। बाघ दो महीने पहले सिरसा सरदहा के ग्राम प्रदान सोनू पर हमला कर चुका है। वह हमले में घायल हो गए थे। इसके अलावा इस इलाके में बाघ की चहलकदमी अक्सर देखी जाती रही है। बाघ कई पालतू पशुओं का शिकार कर चुका है।


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