चार जनवरी को दूर हो सकता है इंटरचेंज निर्माण का पेंच
जागरण संवाददाता ग्रेटर नोएडा ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे व यमुना एक्सप्रेस वे को जोड़ने क
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे व यमुना एक्सप्रेस वे को जोड़ने के लिए बनने वाले इंटरचेंज का रास्ता चार जनवरी को साफ हो सकता है। किसानों को 64.7 फीसद मुआवजे के संबंध में सुप्रीम कोर्ट चार जनवरी को सुनवाई करेगा। इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा किसानों को 64.7 फीसद मुआवजे देने का शासनादेश रद किए जाने के बाद से यमुना प्राधिकरण को परियोजनाओं के लिए जमीन लेने में दिक्कत हो रही है।
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को पश्चिम उत्तर प्रदेश व हरियाणा से कनेक्टिविटी के लिए ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे व यमुना एक्सप्रेस वे को जोड़ने की योजना बनी थी। इसके लिए जगनपुर अफजलपुर गांव के नजदीक यमुना एक्सप्रेस वे के दस किमी प्वाइंट पर चार क्लोवर लीफ का इंटचेंज बनाया जाएगा। यमुना प्राधिकरण ने इंटरचेंज निर्माण के लिए 2019 में दिल्ली की देव एस कंपनी का चयन किया था। 75 करोड़ की लागत से बनने वाले इंटरचेंज का निर्माण कार्य पूरा करने की समय सीमा 18 माह तय की गई थी लेकिन दो वर्ष से भी अधिक समय बीतने के बावजूद निर्माण शुरू तक नहीं हो पाया है।
इसकी वजह इंटरचेंज के लिए जमीन पर कब्जा न मिलना है। दरअसल, सपा सरकार ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा की तर्ज पर यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के किसानों को 64.7 फीसद मुआवजा देने का शासनादेश जारी किया था। इस अतिरिक्त धनराशि को आवंटियों से वसूलने का भी आदेश दिया गया था, आवंटी इसके खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट चले गए। हाई कोर्ट ने शासनादेश को रद कर दिया। इसके साथ ही किसानों को बंटने वाले 64.7 फीसद मुआवजे पर रोक लग गई। प्राधिकरण तब तक करीब ढाई हजार करोड़ रुपये मुआवजा बांट चुका था, लेकिन जेपी समूह के लिए अधिगृहीत जमीन के प्रभावित किसानों को यह मुआवजा नहीं मिला है। इंटरचेंज के निर्माण के लिए 79 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है। इसमें कुछ जमीन जेपी समूह के पास व शेष किसानों की है। किसान जमीन पर कब्जा देने से पहले 64.7 फीसद अतिरिक्त मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
यमुना प्राधिकरण के सीईओ डा. अरुणवीर सिंह ने बताया कि हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ प्रदेश सरकार व यमुना प्राधिकरण ने विशेष याचिका दाखिल कर रखी हैं। इस पर चार जनवरी को सुनवाई निर्धारित है।