ईडी के निशाने पर यादव सिंह का पूरा परिवार
सीबीआई के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी टेंडर घोटाले में आरोपी नोएडा प्राधिकरण के पूर्व इनजीनियर इन चीफ यादव सिंह पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 (पीएमएलए) के तहत भ्रष्टाचार के मामले में यादव सिंह और उसके परिवार से संबंधित
जागरण संवाददाता, नोएडा :
सीबीआइ के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी टेंडर घोटाले में आरोपी नोएडा प्राधिकरण के पूर्व इंजीनियर इन चीफ यादव सिंह पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 (पीएमएलए) के तहत भ्रष्टाचार के मामले में यादव सिंह और उसके परिवार से संबंधित 89 लाख रुपये की संपत्ति जब्त की है।
ईडी के मुताबिक पीएमएलए के तहत उसने यादव सिंह और उसके परिवार की आवासीय और वाणिज्यिक संपत्ति, कृषि भूमि और बैंकों में जमा धनराशि समेत कुल 89 लाख की संपत्ति जब्त की है। सीबीआइ की ओर से यादव सिंह के खिलाफ दर्ज एक एफआइआर के आधार पर जांच शुरू की गई थी। यादव सिंह एवं उनके परिवार पर आय के अनुपात में 23 करोड़ 15 लाख रुपये कीमत की अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। यादव सिंह की पत्नी कुसुमलता सिंह पर भी इसमें संलिप्त रहने का आरोप है।
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करीब 150 करोड़ रुपये के बकाया की वसूली कर सकता आयकर
प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पीके गुप्ता ने हाल में कहा है कि तीनों प्राधिकरण के पूर्व इंजीनियर इन चीफ यादव सिंह से आयकर करीब 150 करोड़ रुपये की वसूली करेगा। इसके लिए विभाग की ओर से उनकी संपत्ति का आकलन करना शुरू कर दिया है। वर्ष 2009 से 2016 तक ही उनकी संपत्तियों का असेसमेंट किया है। इसमें 136.09 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी आंकी गई है, जिसमें 11 करोड़ रुपये ब्याज लगाया है। इसमें उसकी सभी चल-अचल संपत्तियों का मूल्यांकन किया जाएगा, लेकिन 2016 से 2019 तक का भी असेसमेंट किया जाना बाकी है। जिसमें उनकी टैक्स रिटर्न फाइल को भी चेक किया जाएगा। यादव सिंह पर आयकर विभाग ने वर्ष 2014 में सर्च किया था, जिसमें उनके ऊपर आय से अधिक संपत्ति जुटाने, बेनामी संपत्ति बनाने की कार्रवाई शामिल थी, लेकिन मामला चूंकि बसपा सरकार से जुड़ा था, लिहाजा इसमें सीबीआइ, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से भी जांच शुरू कर दी गई है। पिछले दिनों जांच को डिसेंट्रलाइज्ड करके इसे नोएडा स्थित कार्यालय पर वापस भेज दिया गया है। यहां रिकवरी टीम की ओर से अब असेसमेंट के लिए कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इनमें उन संपत्तियों का ब्योरा नहीं जुटाया जाएगा, जिसे प्रवर्तन निदेशालय ने जब्त कर लिया है। कार्रवाई में सेक्टर-27 स्थित घर, सेक्टर-51 स्थित निवास, बैंक में जमा पैसा, फिक्स्ड डिपोजिट के अलावा एनसीआर में उनकी संपत्तियों को भी खंगाला जाएगा।
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वर्ष 2014
27 नवंबर : आयकर की टीम ने यादव सिंह के घर की छापेमारी।
पांच दिसंबर : प्राधिकरण यादव सिंह के खिलाफ कार्रवाई में जुटा।
आठ दिसंबर : यादव सिंह सहित लेखाकार प्रदीप और सहायक परियोजना अभियंता रामेंद्र निलंबित।
11 दिसंबर : सीबीसीआइडी ने 954 करोड़ के भ्रष्टाचार के मामले में दी क्लीन चिट।
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वर्ष 2015
14 फरवरी : घोटालों की जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग का गठन।
11 मार्च : आयोग ने जांच की शुरू।
30 जुलाई : सीबीआइ ने मामला दर्जकर जांच की शुरू।
चार अगस्त : सीबीआइ टीम यादव सिंह के ए-10 सेक्टर-51 स्थित घर पहुंची, कोठी को किया सील।
पांच अगस्त : प्राधिकरण ने यादव सिंह के खिलाफ कोतवाली सेक्टर-20 में दर्ज कराया मामला।
छह अगस्त : सीबीआइ की 14 सदस्यीय टीम पहुंची यादव सिंह के घर। 13 घंटे की घर में छानबीन।
दो सितंबर : यादव सिंह का डिमोशन, मुख्य अभियंता पद से हटाकर वरिष्ठ परियोजना अभियंता बने ।
आठ अक्टूबर : दस सदस्यीय सीबीआइ की टीम ने नोएडा और गाजियाबाद में की छापेमारी।
29 अक्टूबर : दो करोड़ से अधिक की लागत के सभी टेंडरों की मूल फाइल मांगी सीबीआइ ने।
17 दिसंबर : सहायक परियोजना अभियंता रामेंद्र को किया सीबीआइ ने गिरफ्तार।
18 दिसंबर : सीबीआइ कोर्ट में पेश किया गया रामेंद्र को।
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वर्ष 2016
तीन फरवरी : सीबीआइ ने यादव सिंह को पूछताछ के बाद किया गिरफ्तार।
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वर्ष 2019
एक अक्टूबर : यादव सिंह को सीबीआई कोर्ट से मिली जमानत।
दो दिसंबर : यादव सिंह जेल से रिहा किया गया।