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जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल के साथ स्कूल में पढ़ा रहे गलत हिदी व्याकरण

जागरण विशेष सुनाक्षी गुप्ता नोएडा शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले स्कूल में बच्चों का जीवन

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2020 11:13 PM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 05:04 AM (IST)
जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल के साथ स्कूल में पढ़ा रहे गलत हिदी व्याकरण
जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल के साथ स्कूल में पढ़ा रहे गलत हिदी व्याकरण

जागरण विशेष :

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सुनाक्षी गुप्ता, नोएडा :

शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले स्कूल में बच्चों का जीवन का आधार बनता है। स्कूल में बच्चे विभिन्न विषय पढ़ते हैं और ज्ञानवर्धन करते हैं। बचपन की पढ़ाई वह जीवनभर याद रखते हैं और उसे उपयोग में लाते हैं। जिले के स्कूलों में बच्चों को ऐसी पढ़ाई कराई जा रही है, जिससे उनके जीवन पर गलत प्रभाव पढ़ रहा है और वह भाषा का गलत ज्ञान ले रहे हैं। नोएडा फिल्म सिटी स्थित एपीजे स्कूल में कक्षा 7वीं में हिदी व्याकरण पढ़ाने के लिए प्रभात प्रकाशन की किताब 'मानक व्याकरण व्यवहार' भाग दो का उपयोग किया जा रहा है। इसमें बच्चों को हिदी व्याकरण पढ़ाते हुए जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है, इसके साथ ही हिदी व्याकरण में गलत अर्थ बताए जा रहे हैं और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

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'पुल्लिग' को लिखा 'पुंलिग'

स्कूल में कक्षा 7वीं के बच्चों को पढ़ाई जाने वाली किताब में पुल्लिग और स्त्रीलिग का अंतर सिखाते हुए उदाहरण पेश किया गए है। जिसमें सबसे पहले 'पुल्लिग' के स्थान पर 'पुंलिग' लिखा गया है। बच्चों को लिग भेद समझाते हुए पेज संख्या 78 और 79 पर कई जातियों के नाम भी शामिल किए गए हैं। उनमें आ, इया, इन, आनी, नी, इका, ई, आइन, अती, त्री और इनी जोड़कर पुल्लिग का स्त्रीलिग बनाया गया है। जिन जातियों का लिग भेद दिया गया है कि वह समाज के विभिन्न वर्ग की भावना को ठेस पहुंचाने वाला है। -----

ट्विटर पर शुरू हुआ विवाद, अभिभावकों ने किया विरोध

निजी स्कूलों में बच्चों को गलत हिदी पढ़ाने का मामला तब सामने आया जब सितंबर माह में किताब के पन्नों की फोटो सहित शिक्षा व्यवस्था पर ट्वीट किया गया। इसके बाद दिल्ली-एनसीआर से एक हजार से अधिक अभिभावकों ने इसका विरोध करते हुए ट्वीट व रीट्वीट करना शुरू किया। लोगों ने सवाल उठाया कि देश में हिदी भाषा को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है। लोग हिदी को बचाने के लिए काम कर रहे हैं वहीं स्कूलों में बच्चों को गलत पढ़ाई करा कर उनके भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।

वहीं इस मामले में स्कूल प्रबंधन का कहना है कि इस संदर्भ में हमें जैसे ही पता चला हमने तुरंत ही प्रकाशक को इस बात की सूचना दी और उचित संशोधन करने के लिए कहा। इसका संशोधित प्रारूप अभिभावकों और छात्रों को ऑनलाइन कक्षा के दौरान भेज दिया गया है।

------ नियमों की अनदेखी कर स्कूलों में आज भी चल रहीं प्राइवेट किताबें

शिक्षा विभाग के निर्देशों की अनदेखी करते हुए निजी स्कूल आज भी मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं। कक्षा 6 के बाद स्कूलों में सिर्फ एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाने का नियम है लेकिन इसके बाद भी स्कूल निजी प्रकाशन की किताबें लगाते हैं, अभिभावकों पर इन्हें खरीदने का दबाव बनाते हैं और चार गुना दामों पर बेचते हैं। शिक्षा विभाग इन स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

यतेंद्र कसाना, अध्यक्ष, ऑल नोएडा स्कूल पेरेंट्स एसोसिएशन गौतमबुद्धनगर

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पिछले दिनों नोएडा के एपीजे स्कूल की ओर से पत्र मिला था, जिसमें कक्षा सात में लगी मानक व्याकरण व्यवहार पुस्तक में जातिसूचक शब्दों की जानकारी दी गई थी। हालांकि यह भाषा की ²ष्टि और व्याकरण के हिसाब से सही है, लेकिन स्कूल की आपत्ति के बाद पुस्तक से जातिसूचक शब्दों को हटाया जा रहा है। कुछ किताबों से यह शब्द हटा भी दिए गए हैं।

- ललित ग्रोवर, संचालक प्रभात प्रकाशन केंद्र, करोल बाग नई दिल्ली


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