रिश्वत देकर बिना कागजात हो गई जमानत
डीजीपी से लेकर अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भले ही बार-बार पुलिसकर्मियों को अपनी कार्यशैली में सुधार लाने की चेतावनी दे रहे हैं, लेकिन पुलिसकर्मी अपनी ओंछी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। ताजा मामला कोतवाली सेक्टर 20 का है। जहां सरेराह पिट रहे एक युवक को बचाने आये ट्रांसपोर्टर और उसके तीन दोस्तों को पुलिस ने मारपीट के आरोप में रात भर हवालात में रखा और रिश्वत नहीं मिलने पर शांति भंग के आरोप में सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय से जमानत के लिये भेज दिया। यहां तैनात कर्मचारी ने 11 हजार रुपये रिश्वत लेने के बाद जमानत दी। मजे की बात यह है कि उसने बिना जमानती और कागजी कार्रवाई के ही जमानत दे दी और उस दौरान सिटी मजिस्ट्रेट भी कार्यालय में उपस्थित नहीं थे। इस पूरे मामले का पीड़ितों ने वीडियो बनाया है और डीएम व एसएसपी से शिकायत कर आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।
जागरण संवाददाता, नोएडा : रिश्वत में 15 हजार रुपये नहीं मिलने पर पुलिस ने शांतिभंग के आरोप में पकड़े गए युवक का चालान कर सिटी मजिस्ट्रेट के पास भेज दिया। यहां बिना कागजात और जमानती के ही कर्मचारियों ने 11 हजार रुपये की रिश्वत लेकर आरोपितों को जमानत दे दी। पूरी घटना का पीड़ित पक्ष ने वीडियो बनाया है, जिसे पुलिस को सौंपकर आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।
दिल्ली के दल्लुपुरा के रहने वाले अंकुर ट्रांसपोर्टर हैं। अंकुर का कहना है कि 3 नवंबर रात करीब 9 बजे वह दोस्त लोकेश के साथ अट्टा मार्केट में खरीदारी करने आये थे। रात करीब 11 बजे वह कार से घर लौट रहे थे। अट्टा पीर के पास उन्होंने दो लड़कों को एक युवक को पीटते हुए देखा तो वह दोस्त के साथ बीच बचाव करने लगे। इस बीच उनके गांव के ही विशाल और सुमित भी आ गये और पुलिस को बुला लिया। पुलिस उन्हें कोतवाली सेक्टर 20 लेकर पहुंची और तीनों दोस्तों को मारपीट करने का आरोप लगाते हुए हवालात में बंद कर दिया। अंकुर का आरोप है कि उनके परिजन जब थाने में जमानत के लिए पहुंचे तो उनसे 15 हजार रुपये की रिश्वत मांगी गई। उन्होंने जब इसका विरोध किया तो शांतिभंग के आरोप में सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय में जमानत के लिये भेज दिया।
यहां तैनात कर्मचारी ने 11 हजार रुपये रिश्वत लेने के बाद जमानत दे दी। मजे की बात यह है कि यहां तीनों को बिना जमानती और कागजी कार्रवाई के ही जमानत दे दी गई। यही नहीं इस दौरान सिटी मजिस्ट्रेट भी दफ्तर में मौजूद नहीं थे। इस पूरे मामले का पीड़ितों ने वीडियो बनाकर डीएम व एसएसपी से शिकायत कर आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
--- थाने आये हो, रिश्वत देनी ही पड़ेगी
अंकुर का कहना है कि पुलिस ने उनकी एक भी नहीं सुनी। कोतवाली में तैनात सिपाही ने कहा कि थाने तक आ गये हो, तो बिना रिश्वत दिये बाहर नहीं जा सकते। यही नहीं तीनों को छोड़ने के लिए 15 हजार रुपये मांगे गए। रिश्वत देने से इन्कार करने पर पुलिसकर्मी ने रात करीब 3 बजे परिजनों को थाने से भगा दिया। यही नहीं परिजनों ने एसएसआइ से मदद मांगी लेकिन वहां भी निराशा ही हाथ लगी। एक व्यक्ति की जमानत पर लगते हैं 3500 रुपये
अंकुर और उनके दोस्तों ने बताया कि सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय लेकर पहुंचे दो कांस्टेबलों ने पेश करने के लिये 1500 रुपये मांगे। बिना रिश्वत लिये उन्होंने पेश करने से इन्कार कर दिया और जेल भेजने की धमकी दी। इससे डर कर उन्होंने 700 रुपये दिये, तब उन्हें पेश किया गया। यहां कार्यालय में तैनात कर्मचारी ने एक व्यक्ति की जमानत के लिये 3500 रुपये मांगे। काफी सिफारिश के बाद वह 11 हजार रुपये में तैयार हुआ। पैसे मिलने के बाद कर्मचारी ने जमानती और कागजी कार्रवाई भी पूरी नहीं की और जमानत दे दी।
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मामले की जानकारी अभी नहीं है। लेकिन बिना वजह किसी को प्रताड़ित किया गया है और उससे रिश्वत मांगी गई है, तो उसकी जांच कराई जायेगी। जांच में दोषी पाये जाने पर आरोपित पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी।
-डॉ. अजय पाल शर्मा, एसएसपी, नोएडा मामले की जानकारी मिलने पर आरोपित कर्मचारी से पूछताछ की गई है। उसने आरोप निराधार बताते हुए साजिशन फंसाने की बात कही है। पूरे मामले की जांच कराई जा रही है, जांच में जो दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
शैलेंद्र मिश्रा, सिटी मजिस्ट्रेट