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काम पूरा करने के दबाव में नौ दिन में ही पिलर से हटा दिये सपोर्ट

सेक्टर 132 में एटीएम बिल्डर की निर्माणाधीन बि¨ल्डग के टॉवर सी में हुए हादसे की वजह लापरवाही और जल्दबाजी बताई जा रही है। बि¨ल्डग में काम कर रहे प्रत्यक्षदर्शी अली उल का कहना है कि बिल्डर के पदाधिकारी से बि¨ल्डग को शीघ्र बनाकर तैयार करने का दबाव था। लिहाजा, दिन-रात काम चल रहा था। दीवारों, पिलरों और छज्जे को मजबूत होने का भरपूर मौका नहीं दिया जा रहा था। जिस पिलर के हिस्से को टूटने से हादसा हुआ है, उसे 9 दिन पहले ही छत से जोड़ा गया था। पिलर और छत में ड्रिल करके एक-दुसरे को जोड़ा गया था। पिलर काफी भारी था। इसे शट¨रग के जरिये रोका गया था। पिलर को छत से मजबूती से जुड़ने के लिये 15 से 20 दिन का समय चाहिये होता है, लेकिन पदाधिकारियों के दबाव में सोमवार सुबह ही शट¨रग को हटा दिया गया था। उसके कुछ देर बाद ही दोनों भारी पिलर टूट कर गिर गये और नीचे काम कर रहे दोनों मजदूरों की चपेट में आने से मौत हो गई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Oct 2018 09:53 PM (IST)Updated: Mon, 29 Oct 2018 09:53 PM (IST)
काम पूरा करने के दबाव में नौ दिन में ही पिलर से हटा दिये सपोर्ट
काम पूरा करने के दबाव में नौ दिन में ही पिलर से हटा दिये सपोर्ट

सुरेंद्र राम, नोएडा : सेक्टर 132 में एटीएस बिल्डर बकेट नाम से एक सोसायटी बना रहा है। इस निर्माणाधीन बि¨ल्डग के टॉवर सी में हुए हादसे की वजह लापरवाही और जल्दबाजी बताई जा रही है। बि¨ल्डग में काम कर रहे प्रत्यक्षदर्शी अली उल का कहना है कि बिल्डर के पदाधिकारी की ओर से बि¨ल्डग को शीघ्र बनाकर तैयार करने का दबाव था। लिहाजा, दिन-रात काम चल रहा था। दीवारों, पिलर और छज्जे को मजबूत होने का भरपूर समय नहीं दिया जा रहा था। जिस पिलर के हिस्से के टूटने से हादसा हुआ है, उसे नौ दिन पहले ही छत से जोड़ा गया था। पिलर और छत को ड्रिल करके एक-दूसरे को जोड़ा गया था। पिलर काफी भारी था। इसे शट¨रग के जरिये रोका गया था। पिलर को छत से मजबूती से जोड़ने के लिये 15 से 20 दिन का समय चाहिये होता है, लेकिन पदाधिकारियों के दबाव में सोमवार सुबह ही शट¨रग को हटा दिया गया था। शट¨रग हटाने के दौरान पिलर गिरता तो जाती 20 से अधिक जानें : बि¨ल्डग में काम करने वाले मजदूर लकी का कहना है कि सुबह करीब 9 बजे शट¨रग को हटाया गया था। शट¨रग को हटाने में 10-12 कर्मचारी लगे थे। जबकि नीचे भी 10-15 मजदूर मौजूद थे। यदि शट¨रग को हटाने के दौरान पिलर टूट कर गिरा होता, तो कम से कम 20 मजदूरों की चपेट में आने से मौत हो सकती थी। भाग कर जान बचाने के बाद मलबे से दोनों को निकाला : प्रत्यक्षदर्शी विजय ने बताया कि हादसे के दौरान वह भी घटनास्थल के नीचे ही मौजूद थे। उनके ऊपर पत्थर के कई टुकड़े गिरते गए। उन्होंने ऊपर देखा तो धूल का गुबार लिए पिलर के साथ शट¨रग के पाइप और चीखते हुए दोनों मजदूर नीचे आ रहे हैं। उन्होंने भाग कर अपनी जान बचाई। पिलर और शट¨रग के मलबे में दोनों मजदूर दब गये थे। उन्हें बाहर निकालने की कोई हिम्मत नहीं जुटा रहा था। उन्होंने हिम्मत करके अपने एक साथी की मदद से दोनों को बाहर निकाला। लापरवाही के चलते गई दोनों की जान : मृतकों के गांव के रहने वाले रॉकी ने बताया कि साइट पर मजदूरों की सुरक्षा में लापरवाही बरती जा रही थी। सुरक्षा में लगे जाल भी मजबूत नहीं है। जल्दबाजी के चलते पिलर को सपोर्ट देने के लिये लगाई गई शट¨रग के पाइट को समय से पहले ही हटा दिया गया। इससे पहले भी यहां पर एक महिला की गिरने से मौत हो चुकी है। जबकि एक व्यक्ति का पैर टूट चुका है।

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