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सबसे प्रदूषित टाप-5 शहरों में अभी भी शामिल ग्रेटर नोएडा

जागरण संवाददाता नोएडा वातावरण में स्माग छाने से हानिकारक गैसों का मिश्रण हवा को दमघोंटू बना रहा है। रविवार को औद्योगिक नगरी में एक्यूआइ स्तर अति गंभीर श्रेणी में दर्ज हुआ। शाम चार बजे तक ग्रेटर नोएडा 440 एक्यूआइ के साथ देश के सबसे प्रदूषित शहरों में 5वें और नोएडा 42

By JagranEdited By: Published: Sun, 08 Nov 2020 11:01 PM (IST)Updated: Sun, 08 Nov 2020 11:01 PM (IST)
सबसे प्रदूषित टाप-5 शहरों में अभी भी शामिल ग्रेटर नोएडा
सबसे प्रदूषित टाप-5 शहरों में अभी भी शामिल ग्रेटर नोएडा

जागरण संवाददाता, नोएडा : वातावरण में स्माग छाने से हानिकारक गैसों का मिश्रण हवा को दमघोंटू बना रहा है। रविवार को औद्योगिक नगरी में एक्यूआइ स्तर अति गंभीर श्रेणी में दर्ज हुआ। शाम चार बजे तक ग्रेटर नोएडा 440 एक्यूआइ के साथ देश के सबसे प्रदूषित शहरों में 5वें और नोएडा 428 एक्यूआइ के साथ 11वें स्थान पर रहा। शनिवार के मुकाबले रविवार को ग्रेटर नोएडा का एक्यूआइ 12 अंक ज्यादा और नोएडा का 2 अंक कम दर्ज हुआ। वहीं पीएम-2.5 व पीएम-10 लगातार तय मानक से 10 गुना ज्यादा बना है। इससे लोग विभिन्न बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।

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सीपीसीबी के अनुसार, रविवार को 458 एक्यूआइ के साथ आगरा देश में पहले और गाजियाबाद 456 एक्यूआइ के साथ दूसरे स्थान पर। नोएडा व ग्रेटर नोएडा में हालात सुबह से ही खराब रहे। सुबह 11 बजे नोएडा का एक्यूआइ 402 और ग्रेटर नोएडा का 440 था। स्माग से वातावरण में दिनभर धुंध छाई रही। धूप का भी इस पर कोई खास असर नहीं पड़ा। इससे कई क्षेत्र में लोगों को दिन में भी वाहनों की लाइट जलाकर गुजरना पड़ा। बता दें कि ग्रेप लागू होने के बावजूद जिले की हवा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है। हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि दोपहर के समय तापमान कम होने स प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। रात के तापमान में दो से तीन डिग्री की कमी आ रही है।

सुबह 10 बजे से पहले व शाम 6 बजे के बाद बरतें सावधानी:

फीवर क्लीनिक के चिकित्सक डॉ.विकास खेडिया ने बताया कि मौसम का बदलता मिजाज व प्रदूषण लोगों की सेहत बिगाड़ रहा है। सुबह 10 बजे से पहले व शाम 6 बजे के बाद हवा ठंड का अहसास करा रही है। ऐसे में मौसमी बीमारी, मलेरिया, डेंगू, वायरल बुखार, डायरिया और प्रदूषण से सांस, अस्थमा व हृदय रोगियों की संख्या बढ़ने लगी है। जिला अस्पताल में रोज 200 से अधिक बुखार, उल्टी- दस्त के मरीज पहुंच रहे हैं। हालांकि देहात क्षेत्रों में बीमारी के बढ़ने का खतरा ज्यादा है।


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