उलेमाओं ने किया सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत
अयोध्या भूमि विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट के शनिवार के फैसले के बाद मुस्लिम लोगों और धर्मगुरूओं ने एक सुर से फैसले का स्वागत किया। फैसले के प्रति सम्मान जाहिर किया है। लोगों से देश में अमन चैन बनाए रखने की अपील की है।
जागरण संवाददाता, नोएडा :
अयोध्या भूमि विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट के शनिवार के फैसले के बाद मुस्लिम लोगों और धर्मगुरुओं ने एक सुर से फैसले का स्वागत किया । फैसले के प्रति सम्मान जाहिर करते हुए देश में अमन चैन बनाए रखने की अपील की है।
शनिवार सुबह से ही मुस्लिम समुदाय के लोग टीवी से चिपके रहे। कोर्ट द्वारा भूमि विवाद का फैसला सुनाए जाने के बाद घरों से बाहर आए और फैसले की सराहना की। सेक्टर-8 स्थित जामा मस्जिद में जौहर (दोपहर) की नमाज अदा करने के बाद कई लोगों ने फैसले पर आपस में चर्चा-मशविरा किया। कोर्ट के फैसले की सराहना करते हुए सम्मान करने की बात कहीं। सेक्टर-31 स्थित निठारी मस्जिद के इमाम मोहम्मद शाहिद ने शांति बनाए रखने की अपील की। सेक्टर-74 स्थित मरकज मस्जिद के इमाम जकरिया कासमी ने कहा कि कोर्ट का फैसला दोनों पक्षों को और करीब लाएगा। सेक्टर-50 स्थित शिया मस्जिद के मौलाना गुलाम अली ने भी लोगों से अमन चैन बनी रहने के लिए फैसला का खुले दिल के साथ स्वागत करने की अपील की है। लोग बोले
हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। हमने पहले भी कहा था कि अदालत का फैसला मानेंगे। आज भी कह रहे हैं कि हम इसे मानते हैं। फिलहाल अदालत के इस निर्णय से एक बहुत बड़ा मसला हल हो गया है
- मोहम्मद राशिद कासमी, इमाम जामा मस्जिद, सेक्टर-8
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। हम लोगों ने शुरू से ही कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा वह हमें मंजूर होगा। सभी से यही अपील है कि सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखें।
- हाजी इकराम
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हम अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं, हम अपने देश की अदालत के साथ हैं। फैसला जो आया है, उसे हम स्वीकार करते हैं। लोगों से अपील करते हैं कि आपसी भाइचारा व सद्भावना बनाए रखें।
- सोहराब अली
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समाज के सभी वर्गों से सिर्फ यह अपील करना चाहते हैं कि वह अदालत के फैसले का सम्मान करें। लोगों को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि वह ऐसा कोई काम ना करें जिससे दूसरों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचे।
- मोहम्मद नाजिम
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हम लोकतांत्रिक देश में रहते हैं और यहां कानून सबके लिए बराबर है। सभी को अदालत के फैसले का सम्मान करना चाहिए। इसी को भारतीय संस्कार और परंपरा कहते हैं। कोर्ट के फैसले का आदर करें।
- मोहम्मद हनीफ