पुलिस ने खुद के गढ़े पात्रों के गैंग का सदस्य बता सोनू को बनाया था लुटेरा
सितंबर 2006 में कोतवाली सेक्टर 20 पुलिस की हिरासत में हुई सोनू उर्फ सोमबीर की मौत मामले में पुलिस ने अपनी वर्दी का जमकर दुरुपयोग किया था। पुलिस की यातना से परेशान सोनू के हवालात में फांसी लगा कर खुदकशी करने पर पुलिस ने खुद को बचाने के लिए जीडी में हेरफेर करते हुए फर्जी गैंग तक बना दिया था। पुलिस ने खुद ही तीन लुटेरों का काल्पनिक पात्र बनाते हुए एक गैंग बनाया किया और सोनू को उस गैंग का सदस्य बना दिया। वहीं जिस मोबाइल को लूटने के आरोप में पुलिस ने सोनू को गिरफ्तार किया था उसे मुख्य आरोपित कुंवरपाल खुद इस्तेमाल कर रहा था। सीबीसीआइडी की जांच में इसका पर्दाफाश होने पर आरोपित पुलिसकर्मियों पर सिकंजा कसना शुरू हुआ और आखिर में लंबे इंतजार के बाद उन्हें दिल्ली कोर्ट ने सजा सुना दिया।
जागरण संवाददाता, नोएडा : सितंबर 2006 में कोतवाली सेक्टर 20 पुलिस की हिरासत में हुई सोनू उर्फ सोमबीर की मौत मामले में पुलिस ने अपनी वर्दी का जमकर दुरुपयोग किया था। पुलिस की यातना से सोनू परेशान था और उसका शव हवालात में फंदे से लटका मिला था। पुलिस ने खुद को बचाने के लिए जीडी में हेरफेर करते हुए फर्जी गैंग तक बना दिया था। पुलिस ने खुद ही तीन लुटेरों का काल्पनिक पात्र बनाते हुए एक गैंग बनाया किया और सोनू को उस गैंग का सदस्य बना दिया। वहीं, जिस मोबाइल को लूटने के आरोप में पुलिस ने सोनू को गिरफ्तार किया था, उसे मुख्य आरोपित कुंवरपाल खुद इस्तेमाल कर रहा था। सीबीसीआइडी की जांच में इसका पर्दाफाश होने पर आरोपित पुलिसकर्मियों पर शिकंजा कसना शुरू हुआ और आखिर में लंबे इंतजार के बाद उन्हें दिल्ली कोर्ट ने सजा सुना दिया।
मालूम हो कि खुर्जा सिकरी निवासी प्रॉपर्टी कारोबारी कुंवरपाल और सोनू के बीच पैसे को लेकर विवाद था। कुंवरपाल ने सोनू को सबक सिखाने के लिए एसओजी में तैनात एसआइ हिदवीर सिंह के साथ मिल कर साजिश रची। सीबीसीआइडी की जांच में पर्दाफाश हुआ कि एसओजी के एसआइ महेश मिश्रा, सिपाही हरिपाल सिंह, प्रदीप कुमार व पुष्पेंद्र कुमार के साथ मिलकर एक सितंबर 2006 को सोनू को उठाया गया। इसके बाद उस पर मोबाइल लूटने का आरोप लगाते हुए कोतवाली सेक्टर-20 के निठारी चौकी में लाया गया। तत्कालीन चौकी प्रभारी विनोद पांडेय के साथ मिलकर पुलिसकर्मियों ने उन्हें यातनाएं दी गई। पुलिस ने थर्ड डिग्री देकर उनके हाथ पैर तोड़ दिए। अगले दिन सोनू का शव फंदे से लटका मिला। इसके बाद पुलिस ने खुद को बचाने के लिए जीडी में फर्जी इंट्री कर सोनू से मोबाइल बरामद होना दिखाया और दावा किया कि वह नरेंद्र बिहारी, रघुराज बिहारी व सोनू निवासी के गैंग का सदस्य है। जांच में पर्दाफाश हुआ जिन तीन लोगों का गैंग बनाया गया है, वह गैंग ही फर्जी पात्रों से बनाया गया है। साथ ही लूटा गया मोबाइल भी मुख्य आरोपित कुंवरपाल को इस्तेमाल करते हुए पाया गया। उसने 13 अगस्त 2006 को उसी मोबाइल नंबर से अपने दोस्तों पीयूष सिघल और भूपेंद्र पाल सिंह सोलंकी को कॉल की थी। कोतवाली पुलिस ने इसे खुदकशी बता कर मामले को बंद कर दिया। इसके बाद सोनू के पिता दलबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा कर इंसाफ की गुहार लगाई और मामले की जांच सीबीसीआइडी को सौंप दी गई।