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थ्रेसिग के दौरान छोटे कण से हो सकते हैं दमे के शिकार

गेहूं की फसल कटने के बाद थ्रेसिग (गेहूं निकालने) के लिए खेतों में जमा की जा रही है। कई स्थानों पर थ्रेसर मशीन से गेहूं निकालने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। इस काम में जुटे ग्रामीण एक तरफ अच्छी पैदावार होने से खुशी जाहिर कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ अपने स्वास्थ्य को लेकर गंभीर व जागरूक नहीं हैं। इसके कारण कई बार गेहूं की थ्रेसिग करने वाले मजदूर गंभीर रूप से बीमार भी हो जाते हैं। इस तरह की स्थिति को लेकर राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान के फिजिशियन डा. विकास शर्मा ने बताया कि खेतों में काम करने वाले अधिकांश मजदूर स्वास्थ्य को लेकर अधिक जागरूक नहीं होते। इसके कारण उन्हें स्वास्थ्य हानि उठानी पड़ती है। उन्होंने बताया कि थ्रेसर से गेहूं निकालने की विधि के दौरान भूसे के साथ काफी संख्या में छोटे-छोटे कण भी हवा के साथ उड़ते हैं। ये कण नाक के रास्ते श्वास नली में जाकर चिपक जाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 02 May 2019 06:24 PM (IST)Updated: Thu, 02 May 2019 06:24 PM (IST)
थ्रेसिग के दौरान छोटे कण से हो सकते हैं दमे के शिकार
थ्रेसिग के दौरान छोटे कण से हो सकते हैं दमे के शिकार

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : गेहूं की फसल कटने के बाद थ्रेसिग (गेहूं निकालने) के लिए खेतों में इक्ट्ठा किए जा रहे हैं। कई स्थानों पर थ्रेसर से गेहूं निकालने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। इस काम में जुटे ग्रामीण एक तरफ अच्छी पैदावार होने से खुशी जाहिर कर रहे हैं, वहीं अनजाने में थ्रेसिंग के दौरान बीमारी को धीरे-धीरे अपने शरीर में ग्रहण कर रहे हैं। कई बार गेहूं की थ्रेसिग करने वाले किसान व मजदूर गंभीर रूप से बीमार भी हो जाते हैं। इस तरह की स्थिति को लेकर राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान के फिजिशियन डॉ. विकास शर्मा ने बताया कि खेतों में काम करने वाले अधिकांश किसान और मजदूर स्वास्थ्य को लेकर अधिक जागरूक नहीं होते। इसके कारण उन्हें स्वास्थ्य हानि उठानी पड़ती है। उन्होंने बताया कि थ्रेसर से गेहूं निकालने की विधि के दौरान भूसे के साथ काफी संख्या में छोटे-छोटे कण भी हवा के साथ उड़ते हैं। ये कण नाक के रास्ते श्वास नली में जाकर चिपक जाते हैं। इससे नली में सूजन आ जाती है। मरीज का सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। दमा के मरीजों के लिए यह कण काफी खतरनाक हैं। दमा के मरीजों को गेहूं की थ्रेसिग के समय आसपास रहना भी नुकसानदायक हो सकता है, क्योंकि ये कण हवा के साथ काफी दूर तक उड़ते रहते हैं। कुछ लोगों में इस कण के कारण दमे के चपेट में भी आ जाते हैं। इससे बचने के लिए एहतियात बरतना बेहद जरूरी है। क्या बरतें सावधानी

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- थ्रेसिग के आसपास से गुजरते समय मुंह व नाक पर कपड़ा रख लें।

- थ्रेसिग के कार्य में जुटे हैं तो मुंह, नाक व गले के हिस्सों को पूरी तरह से कपड़ों से ढक कर रखें।

- नाक के ऊपर भी हल्का जालीदार कपड़ा बांध लें, ताकि ये कण श्वास नली तक न पहुंच सके।


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