Move to Jagran APP

सुस्त चाल में आटोमोटिव इंडस्ट्री, उत्पाद इकाइयों पर आठ घंटे संचालन का संकट

औद्योगिक नगरी में आटोमोटिव इंडस्ट्री की चाल बहुत सुस्त हो गई है। इससे आटो कंपोनेंट इंडस्ट्री की हालत खराब होती जा रही है। हालात यहा तक पहुंच चुके है कि उत्पाद इकाइयों को अब आठ घंटे संचालन में दिक्कत आ रही है क्योंकि आठ माह से ओरिजनल मैन्युफैक्चरिग इक्यूमेंट (ओईएम) यूनिटों को आर्डर नहीं मिला है। अगले आठ माह तक आर्डर मिलने की उम्मीद भी नहीं है। इस कारण उद्यमियों ने नोएडा-ग्रेटर नोएडा में संचालित इकाइयों में काम करने वाले 30 फीसद कर्मचारियों को छटनी करने की ठान ली है। बता दें कि करीब आठ लाख कर्मचारी स्थाई और 12 लाख अस्थाई काम कर रहा है। उद्यमियों का कहना है कि नवंबर 201

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 Jul 2019 10:05 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jul 2019 06:30 AM (IST)
सुस्त चाल में आटोमोटिव इंडस्ट्री, उत्पाद इकाइयों पर आठ घंटे संचालन का संकट
सुस्त चाल में आटोमोटिव इंडस्ट्री, उत्पाद इकाइयों पर आठ घंटे संचालन का संकट

कुंदन तिवारी, नोएडा :

loksabha election banner

औद्योगिक नगरी में आटोमोटिव इंडस्ट्री की चाल बहुत सुस्त हो गई है। इससे आटो कंपोनेंट इंडस्ट्री की हालत खराब होती जा रही है। हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि उत्पाद इकाइयों को अब आठ घंटे संचालन में दिक्कत आ रही है, क्योंकि आठ माह से ओरिजनल मैन्युफैक्चरिग इक्यूमेंट (ओईएम) यूनिटों को आर्डर नहीं मिला है। अगले आठ माह तक आर्डर मिलने की उम्मीद भी नहीं है। इस कारण उद्यमियों ने नोएडा-ग्रेटर नोएडा में संचालित इकाइयों में काम करने वाले 30 फीसद कर्मचारियों की छटनी करने की ठान ली है। बता दें कि करीब आठ लाख कर्मचारी स्थायी और 12 लाख अस्थायी काम कर रहा है।

उद्यमियों का कहना है कि नवंबर 2018 से आटोमोटिव सेक्टर सुस्त चाल से चल रहा है। यह सुस्ती मार्च 2020 तक जारी रहेगी। आटोमोटिव इंडस्ट्री से जुड़ी नोएडा-ग्रेटर नोएडा की आटो कंपोनेंट निर्माता इकाइयों की हालत यह है कि 2000 करोड़ रुपये का फिनिसिग गुड्स इकाई से लेकर डीलर्स के पास डंप पड़ा है। जबकि दिल्ली एनसीआर सहित देश भर में आटो कंपोनेंट का यह आंकड़ा 51 हजार करोड़ रुपये का है। इसमें 35 हजार करोड़ रुपये का फिनिसिग गुड्स चार पहिया वाहन और 16 हजार करोड़ रुपये का दो पहिया वाहन का है। इनका खरीदार ही बाजार में नहीं है। नोएडा-ग्रेटर नोएडा में आटो कंपोनेंट इंडस्ट्री का 10 हजार करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार है।

-----------

बीएस-6 वाहनों का निर्माण समस्या की मूल जड़

आटोमोटिव इंडस्ट्री की सुस्त चाल का सबसे बड़ा कारण अप्रैल 2020 से बीएस-6 वाहनों का आटोमोटिव सेक्टरों में का निर्माण करना है। इस कारण कंपोनेंट इंडस्ट्री को आर्डर ही नहीं दिया जा रहा है। जो आर्डर आ भी रहा है। उससे दो से तीन घंटे में उत्पाद इकाइयों का संचालन कर आर्डर सप्लाई को पूरा कर दिया जाता है। इससे इकाइयों पर आर्थिक बोझ लगातार बढ़ रहा है।

--------------

फंड की कमी से 25 फीसद कम बिके वाहन

अचानक बाजार में फंड की कमी आ गई है। इस कारण कार व दोपहिया वाहनों की बिक्री पर अंकुश लग गया है। ऊपर से नॉन बैंकिग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) पर सरकार ने शिकंजा कस दिया है। इस कारण आसानी से वाहनों की बिक्री इस समय शोरूम से संभव नहीं हो पा रही है। मारुती ने जून 2018 में 1.65 लाख वाहनों की बिक्री की थी, लेकिन जून 2019 में सिर्फ 1.26 लाख ही वाहन बिके हैं।

--------------

कमजोर मानसून उद्यमियों को दे रहा दगा

मौसम विशेषज्ञों ने इस बार 30 फीसद बारिश कम होने का अनुमान लगाया है। इससे किसानों की फसल को भारी नुकसान का अनुमान अभी से लगाया जा रहा है। जब किसानों की फसल अच्छी नहीं होगी, तो उनके पास पैसा नहीं आएगा। इससे वह बाजार में खर्च नहीं कर पाएंगे। इसलिए कंपोनेंट इंडस्ट्री को इस बार दीपावली फीकी जाने का अभी से अनुमान है।

-------------

नवंबर 2018 से कंपोनेंट सप्लाई का आर्डर नहीं मिल रहा है। आठ घंटे उत्पाद इकाई का संचालन कराने का संकट खड़ा हो चुका है। कैसे इकाइयों को चलाया जाएगा, आर्थिक संकट से कैसे निपटा जाए। यह बात समझ में नहीं आ रही है। बजट में भी कुछ खास राहत नहीं मिली।

-राजेश जैन, एमडी, टेक्नोमेट कंपोशीट प्राइवेट लिमिटेड

------------

जो आर्डर मौजूदा समय में मिल भी रहा है। उससे चार घंटे भी इकाइयों का संचालन संभव नहीं है। ऐसे में अस्थाई कर्मचारियों की छटनी करना मजबूरी बन रही है। बाजार में बहुत अधिक मंदी छाई हुई है, अभी दूरी होती दिखाई नहीं पड़ रहा है।

-सुधीर श्रीवास्तव, एमडी, जेएंडएस वॉयरलिक प्राइवेट लिमिटेड


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.