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सोहरखा गांव की गलियों में नहीं बिछा सकते सीवर व पानी की लाइन

जागरण संवाददातानोएडा गांव में विकास कार्य करने को लेकर नोएडा प्राधिकरण कितना गम्भीर हैं। एक समन्वित शिकायत निवारण प्रणाली (आइजीआरएस) पोर्टल से नोएडा आपके द्वार कार्यक्रम की हकीकत सामने आई है। जनहित संघर्ष समिति के प्रवक्ता रवि यादव ने बताया कि प्राधिकरण में लगाई गई आइजीआरएस से चौकाने वाले तथ्य सामने आए है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 10:35 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 10:35 PM (IST)
सोहरखा गांव की गलियों में नहीं बिछा सकते सीवर व पानी की लाइन
सोहरखा गांव की गलियों में नहीं बिछा सकते सीवर व पानी की लाइन

जागरण संवाददाता,नोएडा : गांव में विकास कार्य करने को लेकर नोएडा प्राधिकरण कितना गम्भीर हैं। एक समन्वित शिकायत निवारण प्रणाली (आइजीआरएस) पोर्टल से 'नोएडा आपके द्वार' कार्यक्रम की हकीकत सामने आई है। जनहित संघर्ष समिति के प्रवक्ता रवि यादव ने बताया कि प्राधिकरण में लगाई गई आइजीआरएस से चौकाने वाले तथ्य सामने आए है।

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पिछले दिनों सोहरखा गांव की समस्याओं को लेकर 'नोएडा आपके द्वार' कार्यक्रम के अंतर्गत पांच अगस्त 2021 को मुख्य कार्यपालक अधिकारी के निर्देशानुसार निरीक्षण किया गया। इसमें सोहरख के ग्रामीणों ने जल व सीवर विभाग से त्वरित निस्तारण के लिए जल खंड के उपस्थित अधिकारियों से शिकायत की। उनकी मांग थी कि गांव की मूल आबादी में बनी करीब 40 से अधिक गलियों का निरीक्षण कर गलियों में सीवर व पानी की लाइन डाली जाए। उन्होंने बताया कि दो बाद माह बाद जनहित संघर्ष समिति की ओर से नोएडा प्राधिकरण में आइजीआरएस लगाकर यह जानना चाहा कि हमारे गांव की गलियों में सीवर व पानी की लाइन कब तक डाली जाएगी।

प्राधिकरण ने जवाब दिया कि समस्त गलियां नोएडा प्राधिकरण की अर्जित एवं कब्जा प्राप्त भूमि है। ऐसे में गलियों पर कोई कार्रवाई नहीं होनी हैं। प्राधिकरण का यह हाल तब है, जब 81 गांवों के हजारों किसान चार माह तक मांगों को लेकर प्राधिकरण पर आंदोलन कर रहे थे। जनप्रतिनिधि व प्राधिकरण किसानों से हर बार की सकारात्मक वार्ता में गांवों में विकास का ढिंढोरा पीट रहा था। बड़ा सवाल यह है कि जब गांवों की मूल आबादी की गलियां भी अर्जित एवं कब्जा प्राप्त है और उनमें सीवर व पानी की लाइन नहीं डाली जा सकती, तो फिर प्राधिकरण गांवों में विकास के नाम पर करोड़ों रुपये कहां खर्च कर रहा हैं। वह किसानों की मांगों के प्रति कितना गंभीर है।


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