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एकल इंजीनिय¨रग प्रवेश परीक्षा में तमिलनाडु व पश्चिम बंगाल बने रोड़ा

मेडिकल की तर्ज पर इंजीनिय¨रग कॉलेजों में प्रवेश के लिए देशव्यापी एक परीक्षा के आयोजन पर अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद(एआइसीटीई ) प्रयासरत है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Aug 2018 09:27 PM (IST)Updated: Mon, 06 Aug 2018 09:27 PM (IST)
एकल इंजीनिय¨रग प्रवेश परीक्षा में तमिलनाडु व पश्चिम बंगाल बने रोड़ा
एकल इंजीनिय¨रग प्रवेश परीक्षा में तमिलनाडु व पश्चिम बंगाल बने रोड़ा

मनीष तिवारी, ग्रेटर नोएडा:

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मेडिकल की तर्ज पर इंजीनिय¨रग कॉलेजों में प्रवेश के लिए देशव्यापी एक परीक्षा के आयोजन पर अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद(एआइसीटीई ) प्रयासरत है। परिषद की योजना में तमिलनाडु व पश्चिम बंगाल ने रोड़ा अटका दिया है। दोनों राज्यों की आपत्ति को समाप्त करने के लिए एआइसीटीई कोशिश कर रही है। इसके साथ ही तकनीकी शिक्षा में बदलाव के लिए नए प्रारूप पर भी काम हो रहा है।

इंजीनिय¨रग कॉलेजों में प्रवेश के लिए एआइसीटीई की योजना देश में एकल परीक्षा के आयोजन की है। कुछ राज्यों को इससे आपत्ति है। उनके विरोध का कारण प्रदेश स्तर पर आयोजित इंजीनिय¨रग परीक्षा में उनके बोर्ड का पाठ्यक्रम है। राज्य अपनी प्रवेश परीक्षा के लिए प्रश्नपत्र अपने बोर्ड के पाठ्यक्रम के अनुरूप तैयार करते हैं। एकल परीक्षा के आयोजन से राज्यों को आशंका है कि उनके विद्यार्थी प्रतिस्पर्धा में पिछड़ सकते हैं। शारदा विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में शामिल होने ग्रेटर नोएडा पहुंचे एआइसीटीई के वाइस चेयरमैन डा. एमपी पूनिया का कहना है कि एकल परीक्षा के लिए जिन राज्यों को आपत्ति है, उसे दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। देशभर में इंजीनिय¨रग कॉलेजों में दाखिले के लिए 37 लाख सीट हैं। प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या में प्रतिवर्ष गिरावट आ रही है। लगभग बीस लाख सीट ही भर पा रही हैं। सात लाख विद्यार्थियों को कॉलेज कैंपस के माध्यम से प्लेसमेंट मिल पाता है। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए प्रयास हो रहा है। देश में लगभग 25 फीसद लोग ही उच्च शिक्षा के लिए जागरूक हैं। इस आंकड़े को और बढ़ाने की कोशिश हो रही है। कॉलेजों में ग्रीष्म अवकाश के दौरान विद्यार्थियों को हर वर्ष दो माह के प्रशिक्षण दिलाने की योजना है। इससे विद्यार्थियों को तकनीकी का व्यवहारिक ज्ञान होगा। उनके प्लेसमेंट में मदद मिलेगी। कम अनुभवी अध्यापकों को भी एक साल का विशेष प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। ऑन लाइन प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी। प्रशिक्षण का कार्यक्रम कॉलेज को पाठ्यक्रम की मान्यता देने में अनिवार्य रूप से लागू किया जाएगा।


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