दिल्ली जा रहे कुत्ते काटने के गंभीर शिकार
स्वास्थ्य विभाग भले ही जिला अस्पताल में कुत्ता काटने के शिकार लोगों के लिए पर्याप्त मात्रा में एंटी रैबीज वैक्सीन होने की बात करता है। लेकिन देश का शो ¨वडो माने जाने वाले शहर के जिला अस्पताल की हकीकत यह है कि यहां कुत्ता काटने में गंभीर रूप से जख्मी हुए लोगों को आज भी दिल्ली भेजना पड़ता है। मंगलवार को भी कुत्ता काटने में गंभीर रूप से घायल एक बच्चे को इम्यूनोग्लोबिन वैक्सीन नहीं होने पर दिल्ली भेजना पड़ा।
जागरण संवाददाता, नोएडा: स्वास्थ्य विभाग भले ही जिला अस्पताल में कुत्ता काटने के शिकार लोगों के लिए पर्याप्त मात्रा में एंटी रैबीज वैक्सीन होने की बात करता है। लेकिन देश का शो ¨वडो माने जाने वाले शहर के जिला अस्पताल की हकीकत यह है, कि यहां कुत्ता काटने में गंभीर रूप से जख्मी हुए लोगों को आज भी दिल्ली भेजना पड़ता है। मंगलवार को भी कुत्ता काटने में गंभीर रूप से घायल एक बच्चे को इम्यूनोग्लोबिन वैक्सीन नहीं होने पर दिल्ली भेजना पड़ा।
दरअसल जिले में बीते कई महीनों से आवारा कुत्तों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। आदमखोर हो चुके कुत्ते अब मासूमों को भी अपना निशाना बना रहे है। बीते मंगलवार को सेक्टर-45 के छलैरा में घर के बाहर खेल रहे अंकित कुमार (8) को आवारा कुत्तों ने काटकर बुरी तरह जख्मी कर दिया। इसपर परिजन बच्चे को घायल अवस्था में लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। जहां इम्यूनोग्लोबिन वैक्सीन नहीं होने के चलते उसे सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया गया। पिता विनय कुमार ने बताया डॉक्टर ने टिटनेस और एंटी रैबीज वैक्सीन लगाकर बच्चे को दिल्ली ले जाने के लिए बोला है। इसपर सीएमएस डॉ. अजेय अग्रवाल ने बताया अस्पताल में रोजाना 2-3 तीन लोग ऐसे आते है, जो कुत्ता काटने के दौरान गंभीर रूप से घायल हुए होते है। ऐसे लोगों को टिटनेस के साथ ही इम्यूनोग्लोबिन वैक्सीन भी देनी के जरूरत होती है। लेकिन सरकार की ओर से अस्पताल में इम्यूनोग्लोबिन वैक्सीन की सप्लाई नहीं होती है। जिसके चलते ऐसे लोगों को दिल्ली भेजना पड़ता है। वहीं सीएमओ डॉ. अनुराग भार्गव ने बताया यह वैक्सीन इतनी महंगी होती है, कि राज्य सरकार सिर्फ सीमित जिलों के सरकारी अस्पतालों में इसकी सप्लाई करती है।
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अगर कुत्ते ने अधिक काट लिया हो, तो टीके के साथ-साथ इम्यूनोग्लोबिन वैक्सीन दी जाती है। यह कृत्रिम रूप से तैयार एंटीबॉडी होता है, जो वैक्सीन लेने के तुरंत बाद प्रभावी हो जाता है।
डॉ. संतराम, वरिष्ठ फिजिशियन, जिला अस्पताल