पत्थर-मार्बल बाजार के साथ सेक्टर-49 कोतवाली व राधा स्वामी सत्संग आश्रम भी होगा ध्वस्त
सेक्टर-48 स्थित पत्थर-मार्बल बाजार के अलावा कोतवाली सेक्टर-49 और राधा स्वामी सत्संग आश्रम तक को भी ध्वस्त किया जाएगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के बाद नोएडा प्राधिकरण ने तीनों जगहों को खाली कराने का नोटिस दे दिया है।
कुंदन तिवारी, नोएडा :
सेक्टर-48 स्थित पत्थर-मार्बल बाजार के अलावा कोतवाली सेक्टर-49 और राधा स्वामी सत्संग आश्रम तक को भी ध्वस्त किया जाएगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के बाद नोएडा प्राधिकरण ने तीनों जगहों को खाली कराने का नोटिस दे दिया है। हालांकि प्राधिकरण पहले दौर में सिर्फ पत्थर-मार्बल बाजार में केवल 29 दुकानों को खाली करना चाह रहा है। इसके बाद राधा स्वामी सत्संग आश्रम व कोतवाली सेक्टर-49 को भी खाली कराने की प्रक्रिया अपनाएगा। हालांकि इन जगहों पर पिछले तीन माह से एनजीटी का नोटिस चस्पा है।
बता दें कि शनिवार को नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी राजेश कुमार ¨सह ने सेक्टर-48 बाजार पहुंचकर एक-एक दुकानदार से मिलकर तीन दिन में बाजार खाली करने का अल्टीमेटम दिया था। स्पष्ट किया था कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का आदेश है कि इस जगह को ग्रीन बेल्ट के रूप में विकसित किया जाए। चूंकि यह जगह मास्टर प्लान 2021 में ग्रीन बेल्ट घोषित है। हालांकि इस अल्टीमेटम के पांच दिन बाद भी प्राधिकरण ने कोई कार्रवाई नहीं की है, लेकिन इस अल्टीमेटम को लेकर बाजार ही नहीं, बल्कि पूरे शहर में हड़कंप मचा हुआ है।
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एनजीटी ने दिया अगस्त में दिया था बाजार खाली करने को आदेश
बाजार ध्वस्त होने की जानकारी के बाद कारोबारी नोएडा प्राधिकरण में अधिकारियों से मिले थे, लेकिन प्राधिकरण अधिकारियों ने एनजीटी आदेश का हवाला दिया। जिसके बाद अगस्त में कारोबारियों को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बाजार को खाली करने के लिए 90 दिन का समय दे दिया। हाल ही में एनजीटी टीम ने सेक्टर-48 का स्थलीय निरीक्षण किया। उसके बाद बाजार से लेकर राधा स्वामी सत्संग आश्रम, सेक्टर-49 कोतवाली को जगह खाली करने का नोटिस चस्पा कर दिया।
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वर्ष 1996 में जमीन अधिग्रहण हुआ, 2000 में बाजार बसा
बरौला गांव के किसानों से सेक्टर-48 बसाने के लिए जमीन का अधिग्रहण वर्ष 1996-97 नोएडा प्राधिकरण की ओर से किया गया। इसका मुआवजा भी जारी कर दिया गया, लेकिन अधिकांश किसानों ने जमीन का मुआवजा उठा लिया, कुछ कोर्ट में कम मुआवजे की लड़ाई लड़ रहे हैं, कुछ ने कोर्ट से मुआवजा भी नहीं उठाया है लेकिन उन्हीं किसानों में से कुछ ने करीब आठ बीघा जमीन पर कब्जा कर वर्ष 2000 में सेक्टर-48 के बाहर पत्थर-मार्बल मार्केट को बसाना शुरू कर दिया। इसका किराया भी किसानों की ओर से वसूल किया जा रहा है।
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पूर्व विधायक ने पांच फीसद व्यावसायिक भूखंड में लिया
इन कारोबारियों के बीच एक पूर्व विधायक की कई दुकानें भी हैं। जिन्होंने इस अवैध बाजार की आड़ में तत्कालीन सरकार में सत्ता पक्ष का लाभ उठाकर पांच फीसद का व्यावसायिक भूखंड भी प्राधिकरण से अलाट करवा लिया, लेकिन आज तक बाजार से एक भी दुकान नहीं हटाई गई। ऐसे में प्राधिकरण अधिकारियों की साठगांठ भी इसमें उजागर हो रही है।
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कारोबारियों की पीड़ा, निदान का प्रयास शुरू
एक दुकान में दो लाख फिट तक पत्थर पड़ा है। जिसे तीन दिन में शिफ्ट करना संभव नहीं है। उसे हटाने व नया स्थान तलाशने में समय लग रहा है। ऐसे में उन्हें पहले विकल्प दिया जाए। ऐसे में प्राधिकरण के चेयरमैन आलोक टंडन से मुलाकात की थी। उन्होंने दुकानदारों को नई जगह देने के लिए 94 लोगों की फाइल औद्योगिक विभाग को भिजवा दी है, लेकिन मौजूदा समय में संकट है कि बाजार में पड़ा करोड़ों रुपये का हजारों टन माल कहां पर शिफ्ट किया जाए।
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करोड़ों का राजस्व देकर भी बर्बाद है कारोबारी
बाजार के कारोबारियों ने बताया कि इस बाजार से अकेले एक करोड़ रुपये से अधिक का वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) और करीब तीन करोड़ रुपये का आयकर चुकाया जाता है। करोड़ों का राजस्व देने के बावजूद सरकार की ओर से कारोबारियों के लिए स्थाई स्थान तक उपलब्ध नहीं कराया जा पा रहा है।
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करोड़ों का टैक्स सरकार लेने के बाद कैसे हमे बेरोजगार करने लिए सड़क पर छोड़ सकती है। कारोबार के लिए स्थाई जगह का निर्धारण तो किया ही जाना चाहिए। प्राधिकरण भी सिर्फ बाजार हटाने में विश्वास दिखा रहा है। बाकी जगह कार्रवाई को छोड़ा जा रहा है।
-आरके रिवार, अध्यक्ष, नोएडा मार्बल मार्केट एसोसिएशन