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संस्कारशाला : असेंबली और कार्यशाला के जरिए बताया शिक्षक का महत्व

सेक्टर-33 स्थित रॉकवुड स्कूल में संस्कारशाला के तहत असेंबली में स्कूल के निदेशक एमसी शर्मा ने Þशिक्षक के महत्व'विषय पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि शिक्षक सबसे पहले माता-पिता होते हैं। वहीं, से शिक्षा की शुरूआत होती है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 08:43 PM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 08:43 PM (IST)
संस्कारशाला : असेंबली और कार्यशाला के जरिए बताया शिक्षक का महत्व
संस्कारशाला : असेंबली और कार्यशाला के जरिए बताया शिक्षक का महत्व

जागरण संवाददाता, नोएडा :

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सेक्टर-33 स्थित रॉकवुड स्कूल में बुधवार को संस्कारशाला का आयोजन किया गया। स्कूल के निदेशक एमसी शर्मा ने असेंबली में विद्यार्थियों को शिक्षक के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षक से ही शिक्षा की शुरुआत होती है। आज के दौर में शिक्षक की भूमिका बदल चुकी है। वह अब केवल कक्षा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि संवादकर्ता के तौर पर काम कर रहे हैं। शिक्षक अपने आप को वर्तमान समय के अनुसार बदल रहे हैं। वह नये रास्ते तलाश रहा है, जिससे कि पढ़ाई को अधिक प्रभावशाली बनाया जा सके। अध्यापक बच्चों को पढ़ाई के साथ संस्कार, चरित्रवान बनने, अनुशासन में रहने और समय का पाबंद बनाने के लिए तत्पर रहते हैं। आज के दौर में शिक्षक की भूमिका पढ़ाई से कहीं अधिक हो गई है। बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए वह हमेशा तैयार रहते हैं। हमारे देश में जितने भी महान व्यक्तित्व हुए हैं, उनके ऊपर किसी न किसी अध्यापक की अमिट छाप रही है। स्कूल में हुआ कार्यशाला का आयोजन : स्कूल के ऑडिटोरियम में कार्यशाला का भी आयोजन किया गया था। इस दौरान हुए व्याख्यान में शिक्षिका लता ने बच्चों को शिक्षक के महत्व पर जानकारी दी। इस दौरान एक से लेकर कक्षा चार तक बच्चे उपस्थित रहे। उन्होंने बताया कि शिक्षक का महत्व इसलिए अधिक है। क्योंकि, वह स्कूल में पढ़ाई के साथ बच्चों को अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरित करते हैं। अच्छा इंसान ही लोगों की परवाह करता है और उनको सही राह दिखाता है। उन्होंने कहा कि शिक्षक की बात सुननी चाहिए और उनको जीवन में लागू करना है। व्याख्यान के बाद प्रश्न और उत्तर का दौर चला। इसमें बच्चों से उनके पसंदीदा शिक्षक, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन से जुड़े सवाल पूछे गए। इन सब सवालों का बच्चों ने काफी सहजता से जवाब दिया। सचित्र कोट

शिक्षक एक मार्गदर्शक की तरह होता है, जो छात्रों को सही रास्ता दिखाता है। इसके साथ ही शिक्षक परिजन भी होता है, जो छात्र के स्कूल में दाखिले से लेकर उसका जीवनभर भले के लिए सोचता है। वहीं, वह अपने छात्र को इस रूप में ढालने की कोशिश करता है, जो विश्व में अपना नाम कर सके। शिक्षक धरती में दिखने वाले भगवान की तरह है, जिसका काम छात्रों को सफल मानव बनने में मदद करता है।

-उमेश ¨सह, प्रधानाचार्य, महर्षि विद्या मंदिर, भंगेल

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शिक्षक समाज को सही राह दिखाता है। आज के युग में जहां बच्चे इंटरनेट आदि के जरिए ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं। वहीं, शिक्षक उन्हें संस्कार देने का काम करते हैं। शिक्षक छात्रों को बचपन से ही अच्छे रास्ते दिखाने का कार्य करते हैं, जिससे वह बड़े होकर अच्छे समाज का निर्माण कर सके।

-वीके गुप्ता, प्रधानाचार्य, इंडियन नेशनल पब्लिक स्कूल


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