दिल्ली-NCR में सर्दियों की शुरुआत के साथ प्रदूषण का कहर, ग्रेप 3 नियमों की अनदेखी; सांस लेना हुआ दूभर
दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों की शुरुआत के साथ प्रदूषण बढ़ रहा है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो गया है। गौतम बुद्ध नगर में GRAP 3 के प्रतिबंधों का उल्लंघन हो रहा है, निर्माण गतिविधियाँ जारी हैं और कूड़े में आग लगने से प्रदूषण बढ़ रहा है। अनियंत्रित धूल, कूड़े का जलना और पुराने वाहन वायु प्रदूषण में योगदान करते हैं। जनता की भागीदारी से ही प्रदूषण पर अंकुश लगाया जा सकता है।
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दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों की शुरुआत के साथ प्रदूषण बढ़ रहा है। फाइल फोटो
आशीष चौरसिया, ग्रेटर नोएडा। सर्दियों की शुरुआत के साथ ही दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। इससे सांस लेना मुश्किल हो रहा है। यह श्वसन, अस्थमा और मधुमेह रोगियों के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर रहा है। पर्यावरणविदों के अनुसार, बढ़ता प्रदूषण स्तर मानव जीवन, जैव विविधता और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा रहा है। गौतम बुद्ध नगर में, सरकारी परियोजनाएँ भी GRAP 3 प्रतिबंधों का उल्लंघन कर रही हैं।
रविवार को, ग्रेटर नोएडा में AQI 419 दर्ज किया गया, जबकि नोएडा में 385 और दिल्ली में 377 दर्ज किया गया। ग्रेटर नोएडा की 130 मीटर लंबी सड़क पर साइट 4 के पास डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFCC) द्वारा बनाए जा रहे फ्लाईओवर में GRAP 3 प्रतिबंधों की अनदेखी की जा रही है।
शहर में लगातार बढ़ते प्रदूषण स्तर के कारण, GRAP III लागू किया गया है। हालाँकि, मिट्टी के डंपिंग सहित अन्य निर्माण गतिविधियाँ जारी हैं, जिससे मिट्टी और निर्माण सामग्री खुले में पड़ी रहती है। यह नियमों के विरुद्ध है। इसी तरह, सेक्टर ओमिक्रॉन 3 की ओर सड़क किनारे खुदाई का काम चल रहा था। वहीं, शहर में जगह-जगह लोगों ने निर्माण सामग्री जमा कर रखी है। लोग जगह-जगह कूड़े में आग लगा रहे हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ रहा है।
बढ़ते प्रदूषण के मुख्य कारण ये हैं
शहर में अनियंत्रित धूल, कूड़े और पराली का जलना और पुराने वाहन वायु प्रदूषण में योगदान करते हैं। इससे सर्दियों के आते ही तापमान और आर्द्रता बढ़ जाती है। अगर इन कारकों पर साल भर प्रभावी नियंत्रण किया जाए, तो सर्दियों में प्रदूषण इतना गंभीर नहीं होगा। उद्योगों से निकलने वाला धुआँ और हरित क्षेत्रों व तालाबों का विनाश भी वायु प्रदूषण में योगदान दे रहा है।
जनता की ज़िम्मेदारी के बिना समाधान संभव नहीं
आदेश और निर्देश जारी करने के बजाय, ज़िम्मेदार लोगों को स्वयं नियमों का पालन करना चाहिए और जनता में जागरूकता बढ़ाने के लिए ज़मीनी स्तर पर काम करना चाहिए। उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पूरे साल नियमित अभियान चलाए जाने चाहिए।
इसमें निर्माण स्थलों पर कपड़े की ग्रीन नेट का इस्तेमाल शामिल है। सड़कों की रोज़ाना धुलाई और फ़ॉगिंग की जानी चाहिए। प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की जाँच और कचरा जलाने से रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। जनता को भी अपनी भूमिका निभानी होगी।
प्रदूषण नियंत्रण के संबंध में निम्नलिखित कार्य किए जाने चाहिए
- मोबाइल धूल नियंत्रण इकाइयाँ स्थापित करें
- ड्रोन निगरानी का उपयोग करें
- निर्माण स्थलों की लाइव ट्रैकिंग करें
- प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों का स्वचालित चालान करें
- चिकित्सा सहायता प्रकोष्ठ स्थापित करें
- स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता अभियान चलाएं
प्रदूषण पर अंकुश लगाने की लड़ाई न केवल सरकार की भागीदारी से, बल्कि प्रत्येक परिवार की भागीदारी से भी सफल हो सकती है। अनावश्यक निजी वाहनों से बचें। घरों, गलियों और मोहल्लों में पेड़ लगाने के बारे में जागरूकता फैलाएँ। - प्रदीप दहलिया, पर्यावरणविद्

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