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समता का अधिकार- कभी कलम न पकड़ने वाले हाथ, अब लिखते हैं अपना परिचय

कभी कलम न पकड़ने वाले हाथों ने आज अपना परिचय लिखना शुरू कर दिया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 10:03 PM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 06:13 AM (IST)
समता का अधिकार- कभी कलम न पकड़ने वाले हाथ, अब लिखते हैं अपना परिचय
समता का अधिकार- कभी कलम न पकड़ने वाले हाथ, अब लिखते हैं अपना परिचय

जागरण संवाददाता, नोएडा : संख्या भले ही कम हो। लेकिन समाज में आज भी ऐसे लोग मौजूद हैं, जो भेदभाव का शिकार हो रहीं बालिकाओं को बराबरी का हक दिलाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। ऐसे ही लोगों में शामिल हैं 21 वर्षीय प्रिस शर्मा।

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प्रिस करीब सात वर्षों से शहर की झुग्गी-झोपड़ियों व बस्तियों में रहने वाली बालिकाओं की शिक्षा, सेहत और आर्थिक आत्मनिर्भरता को लेकर माता-पिता व लोगों को जागरूक कर समानता के अधिकार की मुहिम में जुटे है। वर्तमान में उनकी संस्था की ओर से शहर की झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले 350 से अधिक बच्चों को चैलेंजर्स की पाठशाला नामक मुफ्त शिक्षा केंद्र में शिक्षित किया जा रहा है। भेदभाव मिटाने के लिए कर रहे जागरूक

शहर के युवाओं की प्रेरणा और चैलेंजर्स ग्रुप के संस्थापक प्रिस शर्मा ग्रामीण इलाकों में बालिकाओं के साथ होने वाले भेदभाव को मिटाने के लिए जागरूकता लाने का प्रयास कर रहे हैं। साथ ही झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को बालिका सशक्तिकरण के उद्देश्य से रूबरू कराया जा रहा है। प्रिस शर्मा का कहना है कि समाज के हर वर्ग को समान अधिकार है, सभी को समान अधिकार मिलेंगे तभी राष्ट्र तरक्की करेगा। सभी को शिक्षा प्राप्त करने का समान अधिकार

प्रिस शर्मा बताते है कि गरीबी व अशिक्षा से जूझते निम्नवर्गीय परिवारों में अभी भी खानपान, शिक्षा व स्वास्थ्य के स्तर पर बालिकाओं के प्रति भेदभाव जारी है। संस्था ने जब बालिकाओं को शिक्षित करने के उद्देश्य से पाठशाला की शुरुआत की थी। उस दौरान बच्चों के अभिभावकों ने बालिकाओं को भेजने से इंकार कर दिया। संस्था ने अभिभावकों को जागरूक कर बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रेरित किया। यह देख खुशी होती है कि कभी कलम न पकड़ने वाले हाथों ने आज अपना परिचय लिखना शुरू कर दिया है।


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