चाइल्ड पीजीआई का निरीक्षण करने पहुंची पीएमओ की टीम
सेक्टर-30 स्थित सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल एंड पोस्ट ग्रेजुएट टी¨चग इंस्टीट्यूट में बृहस्पतिवार को प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) से एक टीम पहुंची। तीन दिवसीय दौरे पर आई इस इस टीम में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी शामिल रहा। टीम ने संस्थान का निरीक्षण करने के बाद आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के बारे में रिपोर्ट में मांगी।
जागरण संवाददाता, नोएडा : सेक्टर-30 स्थित चाइल्ड पीजीआई में बृहस्पतिवार को प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) से एक टीम पहुंची।
तीन दिवसीय दौरे पर आई इस टीम में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी शामिल रहा। टीम ने संस्थान का निरीक्षण करने के बाद आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के बारे में रिपोर्ट में मांगी। अस्पताल के कई वार्डों का किया निरीक्षण : चाइल्ड पीजीआइ में मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ.शेखर यादव ने बताया कि पीएमओ से आई टीम ने पहले संस्थान की बि¨ल्डग का निरीक्षण करने के साथ ही यहां की ओपीडी, आइपीडी, प्लास्टिक सर्जरी, नेत्र, कार्डियोलॉजी, स्त्री रोग, बाल मनोविज्ञान, फीजियोथेरेपी, इमरजेंसी, पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी, गैस्ट्रो वार्ड का निरीक्षण किया। डॉ. शेखर बताया कि पीएमओ टीम में शामिल डॉ. निरूपम मुर्खजी ने अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टरों और नर्स का ब्योरा मांगने के साथ ही यहां ऑपरेशन थियेटर (ओटी) के बारे में भी जाना। इसके बाद उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर अस्पताल में भर्ती बच्चों के बारे में एक रिपोर्ट मांगी। उन्होंने बताया कि यह टीम 400 पन्नों की एक रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपेगी। जिसके बाद प्रधानमंत्री राहत कोष के जरिये आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को 30 हजार से लेकर 3 लाख रुपये तक की मदद दी जाएगी। साथ ही उनके इलाज का पूरा खर्च भी प्रधानमंत्री राहत कोष की ओर से वहन किया जाएगा। सरकार और प्राधिकरण जमीन दे तो बन सकता है कैंसर और ट्रॉमा सेंटर : डॉ.शेखर यादव ने बताया कि पीएमओ की ओर से पहुंची टीम में शामिल डॉ निरूपम मुर्खजी ने कहा कि अगर राज्य सरकार या प्राधिकरण शहर में उन्हें जमीन उपलब्ध कराएं। तो केंद्र सरकार यहां रीजनल कैंसर सेंटर, ट्रॉमा सेंटर, बर्ड सेंटर और एक स्किल सेंटर खोल सकती है। इससे न सिर्फ उत्तर प्रदेश में रहने वाले लोगों को इसका फाएदा मिलेगा बल्कि दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पर भी ज्यादा मरीजों को देखने का दबाव कम हो जाएगा।