गर्भधारण की मुख्य समस्या बन रहा पीसीओएस
घर और दफ्तर की जिम्मेदारी संभाल रही महिलाओं में पालीसिस्टिक ओवरी सिड्रोम (पीसीओएस) की समस्या ज्यादा दिख रही है।
जागरण संवाददाता, नोएडा :
घर और दफ्तर की जिम्मेदारी संभाल रही महिलाओं में पालीसिस्टिक ओवरी सिड्रोम (पीसीओएस) की समस्या ज्यादा दिख रही है। असमय भोजन, स्वास्थ्य की अनदेखी और मानसिक तनाव इसकी बड़ी वजह हैं। पूर्व में यह बीमारी 30 से 35 वर्ष की महिलाओं में दिखती थी, लेकिन आज कम उम्र की लड़कियों में भी ये बीमारी आम हो गई है। हार्मोंस में गड़बड़ी गर्भधारण की मुख्य समस्या बन रही है। कम उम्र में बीमारी के बढ़ने से इसके अनुवांशिक होने का खतरा भी बढ़ गया है।
बकौल जिला अस्पताल की प्रभारी सीएमएस डॉ.रेनू अग्रवाल, पीसीओएस एक ऐसी समस्या है, जिसमें ओवरी में सिस्ट यानी गांठ आ जाती है। हार्मोंस में गड़बड़ी के अलावा खराब जीवनशैली, व्यायाम की कमी और खानपान की गलत आदतें भी इसका बहुत बड़ा कारण है। जिला अस्पताल में हर दिन 50 से ज्यादा महिलाएं इलाज के लिए पहुंच रही हैं। कोरोना संक्रमण को लेकर लागू लाकडाउन के बाद मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। कम उम्र की लड़कियों में अनियमित पीरियड्स की समस्या आम होने लगी है। यही समस्या आगे चलकर पीसीओएस का रूप ले सकती है। इससे शरीर का हार्मोनल संतुलन बिगड़ जाता है। इसका असर अंडे के विकास पर पड़ता है। मासिक चक्र रुक जाता है। समस्या के लगातार बने रहने से ओवरी के साथ फर्टिलिटी पर भी असर पड़ता है। पीसीओएस के प्रमुख लक्षण
- चेहरे पर बाल उगना
- पीरियड्स अनियमित होना, वजन बढ़ना
- यौन इच्छा में अचानक कमी आ जाना
- त्वचा पर भूरे रंग के धब्बों का उभरना
- बहुत ज्यादा मुंहासे होना पीसीओएस से बचाव
- मैदायुक्त खाना, मीठा, चावल व आलू से परहेज करें
- हरी पत्तेदार सब्जियां, सलाद, दाल, फल का सेवन करें - रोजाना सुबह जल्दी उठाकर योग करें, पूरी नींद लें
- ज्यादा देर तक टेलीविजन व मोबाइल न चलाएं
- रोजाना पार्क में घूमें, परिवार के साथ समय बिताएं