दान में मिली पीपीई किट मानकों पर अनफिट
- इन पीपीई किट को पहनकर इलाज के दौरान संक्रमित हो चुके अबतक छह
फोटो-23 एनओबी- 1, 2
- इन पीपीई किट को पहनकर इलाज के दौरान संक्रमित हो चुके अबतक छह स्वास्थ्य कर्मी
जागरण संवाददाता, नोएडा : कोरोना संकट काल में दानवीरों ने अपनी छवि चमकाने के लिए पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट (पीपीई) किट के नाम पर स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन को ऐसी किट थमा दी, जो अब कोरोना योद्धाओं की हिफाजत तो दूर उनके लिए घातक साबित हो रही हैं।
सरकार ने स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए पीपीई किट की व्यवस्था की है। जिले में उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन इसकी आपूर्ति करता है। बदले में शासन से उसे करीब 950 रुपये प्रति किट मिलते हैं। किट इंडियन स्टैंडर्ड आर्गेनाइजेशन (आइएसओ) से मान्यता प्राप्त होती है, लेकिन दान में मिली पीपीई किट आइएसओ से मान्यता प्राप्त नहीं होती है। विभागीय सूत्रों ने बताया कि जिले में 75 फीसद पीपीई किट दान में मिली है, जबकि 25 फीसद कार्पोरेशन से खरीदी गई है। कोविड अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों को कार्पोरेशन से मिली पीपीई पहनने को दी जाती है, जबकि सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों को दान में मिली पीपीई किट दी जाती है। इन पीपीई किट में मास्क, ग्लव्स, फेसशील्ड, आइ प्रोटेक्टर, हेड कवर, शू-कवर व डिस्पोजल बैग नहीं होता है। ऐसे में संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर वह भी संक्रमित हो सकते हैं। चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को तो हल्की पन्नी (प्लास्टिक एप्रेन) की किट दी गई है। जो वायरस को रोकने में अक्षम है। इसके चलते ही बीते दिनों जिला अस्पताल के छह स्वास्थ्य कर्मी इलाज के दौरान संक्रमित हुए थे। पीपीई किट मानक
आइएसओ सर्टिफाइड पीपीई किट में एन-95 मास्क, ग्लव्स, गाउन, एप्रन, फेस प्रोटेक्टर, फेसशील्ड, स्पेशल हेलमेट, रेस्पिरेटर्स, आइ प्रोटेक्टर, गॉगल्स, हेड कवर, शू-कवर व डिस्पोजल बैग होता हैं। किट की सिलाई के बाद उसके महीन छिद्रों को बंद करने के लिए विशेष टैप हीट सीलिग की जाती है। पूरी किट को कीटाणु रहित या बैक्टीरिया मुक्त किया जाता है। ऐसा न करना घातक हो सकता है। लेकिन लोकल कंपनियों की किट में ऐसा कुछ नहीं होता। स्वास्थ्य कर्मियों को शासन से मिली पीपीई किट दी गई है। जो विभाग को मेडिकल कॉरपोरेशन से मिली है। क्वॉलिटी खराब होने की लिखित शिकायत नहीं मिली है। अगर शिकायत मिलेगी तो कार्रवाई करेंगे।
डॉ. दीपक ओहरी, सीएमओ, गौतमबुद्ध नगर