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सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की नहीं जरूरत, बैक्टीरिया करेगा पानी साफ

घरों व उद्योगों से निकलने वाले गंदे सीवेज के पानी को अब कुछ ही दिनों में साफ किया जा सकेगा। इसके लिए न कोई ट्रीटमेंट प्लांट लगाना पड़ेगा और न ही कोई भारी-भरकम सिस्टम। पानी को साफ करने का यह काम एक बैक्टीरिया करेगा। गंदे सीवेज पानी को किसी जगह जमा करना पड़ेगा और इसमें बैक्टीरिया को डालना होगा। 15 से लेकर 21

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 08:46 PM (IST)Updated: Fri, 30 Aug 2019 06:32 AM (IST)
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की नहीं जरूरत, बैक्टीरिया करेगा पानी साफ
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की नहीं जरूरत, बैक्टीरिया करेगा पानी साफ

चंद्रशेखर वर्मा, ग्रेटर नोएडा : घरों व उद्योगों से निकलने वाले गंदे सीवरेज के पानी को अब कुछ ही दिनों में साफ किया जा सकेगा। इसके लिए न कोई ट्रीटमेंट प्लांट लगाना पड़ेगा और न ही कोई भारी-भरकम सिस्टम। पानी को साफ करने का यह काम एक बैक्टीरिया करेगा। गंदे सीवरेज पानी को किसी जगह जमा करना पड़ेगा और इसमें बैक्टीरिया को डालना होगा। 15 से लेकर 21 दिनों के बीच गंदा पानी उपयोग करने योग्य हो जाएगा। इसे साफ-सफाई, टॉयलेट, पौधों को पानी आदि देने के रूप में प्रयोग किया जा सकेगा। इस बैक्टीरिया का नाम बेक्टा कल्ट एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) रखा गया है। यह पाउडर के रूप में मौजूद होता है। इसे इंडिया एक्सपो मार्ट में चल रहे जल संरक्षण सम्मेलन में लगाए गए स्टॉल में प्रदर्शित किया गया।

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कंपनी के क्षेत्रीय सेल्स मैनेजर कुलदीप झा ने बताया कि अक्सर उद्यमी महंगे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के चलते अपने यहां इसे नहीं लगाते। इससे यहां से निकलने वाला गंदा विषैला पानी नदियों में जाकर उसे प्रदूषित कर रहा है। इससे कई नदियों में ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम हो गई है। इनमें रहने वाले जलीय जंतुओं के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। हमने पाउडर के रूप में एक बैक्टीरिया तैयार किया है। इसको गंदे पानी में डालने से यह अपना काम करना शुरू कर देता है। यह अपशिष्ट पदार्थ को धीरे-धीरे खाने लगता है। ठोस पदार्थ नीचे बैठ जाता है और साफ पानी ऊपर रहता है। इससे पानी में बॉयलोजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) और केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (सीओडी) की मात्रा बढ़ जाती है। इसके अलावा कई इलाकों में सीवरेज सिस्टम नहीं होते। इसके लिए लोग अपने घरों में टॉयलेट के लिए बाहर सेप्टिक गड्ढा बनाते हैं। इसके भर जाने पर लोगों को दूसरा गड्ढा खोदना पड़ता है। इस बैक्टीरिया को अगर गड्ढे में डाल दिया जाए तो यह सारे मल को साफ कर देगा और गड्ढा नहीं भरेगा।

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बैक्टीरिया है पूरी तरह जैविक

इस बैक्टीरिया के पाउडर को बनाने में किसी तरह के रसायन का इस्तेमाल नहीं किया गया है। इस वजह से पूरी तरह से जैविक है। कुलदीप झा ने बताया कि अगर इसे किसी बंजर भूमि में डाल दिया जाए तो खेती की जा सकती है। इसकी लागत भी कम है। एक किलोग्राम पाउडर की कीमत 1,250 रुपये है। एक किलो पाउडर करीब दो हजार लीटर पानी को साफ कर सकता है।


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