नई शिक्षा नीति से भारत फिर बनेगा विश्वगुरु : निशंक
जागरण संवाददाता ग्रेटर नोएडा नई शिक्षा नीति समाज के आखिरी व्यक्ति तक तकनीकी ज्ञान पहुंचान
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा: नई शिक्षा नीति समाज के आखिरी व्यक्ति तक तकनीकी ज्ञान पहुंचाने में कारगर होगी। भारतीयों के आइडिया ने दुनियाभर में हलचल मचा रखी है। कोविड-19 में आइआइटी, आइआइएम, विश्वविद्यालयों ने टेस्टिग किट, मास्क अन्य उपकरण बेहद कम समय में तैयार कर दुनिया को बता दिया है कि भारतीयों के ज्ञान की कोई सीमा नहीं है। भारत दुनिया में एक बार फिर विश्वगुरु के रूप में स्थापित होगा। छात्रों को रिपोर्ट कार्ड नहीं, प्रोग्रेस कार्ड मिलेगा। ये बातें बृहस्पतिवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने शारदा विश्वविद्यालय में कहीं। वह दीक्षा समारोह में छात्रों को उपाधि प्रदान करने के बाद संबोधित कर रहे थे।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि लार्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति ने भारत की संस्कृति ज्ञान को नष्ट करने का कार्य किया। मैकाले के आने से पहले देश की साक्षरता 97 फीसद थी। भारत विश्वगुरु था। मैकाले की शिक्षा नीति के बाद से भारत में शिक्षा का स्तर लगातार गिरता गया। डेढ़ सौ साल बाद देश को अपनी शिक्षा नीति मिलने जा रही है। अंतिम व्यक्ति तक इसका लाभ पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय तकनीकी फोरम का गठन होगा। शोध, नवाचार, अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा।
भारतीय पेटेंट की होड़ बढ़ेगी। दुनिया में पहली बार स्कूली शिक्षा में आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस को शामिल किया गया है। कक्षा छह से छात्रों को वोकेशनल ट्रेनिग एवं इंटर्नशिप मिलेगी। छात्रों को प्रारंभिक शिक्षा मातृ भाषा में मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि आइआइटी, नीट जैसी परीक्षाएं भी मातृ भाषा में होनी चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शिक्षा में रैंकिग को लेकर विदेशी एजेंसियों की धारण अच्छी नहीं है। इसलिए अटल रैंकिग की शुरुआत की है। आइडिया को मंच देने के लिए युक्ति पोर्टल शुरू किया है। उन्होंने कहा कि विषय चयन को लेकर छात्रों को आजादी मिलेगी। छात्र विषय का चुनाव अपनी रुचि अनुसार कर सकेंगे। विषय में बदलाव भी कर सकेंगे। जो छात्र पढ़ाई पूरी नहीं कर सकेंगे, नई शिक्षा नीति में उनका भी ध्यान रखा गया है। एक साल की पढ़ाई करने पर उसे सर्टिफिकेट, दो साल की पढ़ाई पूरी करने पर डिप्लोमा व तीन साल पूरे होने पर डिग्री मिलेगी। अगर कोई छात्र वापस पढ़ाई शुरू करना चाहेगा तो वह वहीं से शुरू कर सकेगा, जिस वर्ष से उसने पढ़ाई छोड़ी थी। सरकार स्टडी इन इंडिया मुहिम चला रही है। शिक्षा प्राप्त करने के बाद पेशेवर बाहर न जाकर देश के विकास में भागीदार बनें, इसलिए स्टे इन इंडिया अभियान चलाया जाएगा।