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जर्जर बिल्डिंग गिराने में मिली 90 क्वार्टर मालिक की लापरवाही

निठारी गांव की तंग गलियों में स्थित नब्बे क्वार्टर बि¨ल्डग का छज्जा गिरने में मकान मालिक और ठेकेदार की लापरवाही साफ दिख रही है। जिस गली में छज्जा टूट कर गिरा है। वह गली सबसे व्यस्त मानी जाती है। इस गली से हमेशा लोगों की आवाजाही रहती है। गली में बि¨ल्डग की दीवार करीब 30 फीट लंबी है। इस गली में 30 फीट की दूरी में शाम के समय हमेशा 10 से 15 लोगों की भीड़ रहती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह हादसा शाम 4 बजे की बजाय 5 बजे के बाद होता, तो मलबे में दबने वालों की संख्या दोगुनी होती। प्रशासन का कहना है कि मकान मालिक और ठेकेदार ने दीवार गिराने के दौरान सुरक्षा मानकों की अनदेखी की। इस दौरान गली को बंद कर देनी चाहिए थी और जाल आदि भी लगाना चाहिए था। दोनों के खिलाफ जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Jan 2019 09:52 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jan 2019 09:52 PM (IST)
जर्जर बिल्डिंग गिराने में मिली 90 क्वार्टर मालिक की लापरवाही
जर्जर बिल्डिंग गिराने में मिली 90 क्वार्टर मालिक की लापरवाही

सुरेंद्र राम, नोएडा : निठारी गांव की तंग गलियों में स्थित 90 क्वार्टर बिल्डिंग का छज्जा गिरने में मकान मालिक और ठेकेदार की लापरवाही साफ दिख रही है। जिस गली में छज्जा गिरा है। वह गली सबसे व्यस्त मानी जाती है। यहां हमेशा लोगों की आवाजाही रहती है। गली में बिल्डिंग की दीवार करीब 30 फीट लंबी है। शाम के समय यहां हमेशा 10 से 15 लोगों की भीड़ रहती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह हादसा शाम चार बजे की बजाय पांच बजे के बाद होता तो मलबे में दबने वालों की संख्या दोगुनी होती। प्रशासन का कहना है कि मकान मालिक और ठेकेदार ने दीवार गिराने के दौरान सुरक्षा मानकों की अनदेखी की। इस दौरान गली को बंद कर देनी चाहिए थी और जाल आदि भी लगाना चाहिए था। दोनों के खिलाफ जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

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तंग गलियों में घटनास्थल तक पैदल पहुंचना भारी

यह हादसा निठारी गांव के बीच में हुई है। घटनास्थल तक पहुंचने के दो रास्ते हैं। एक रास्ता गांव के बिल्कुल बीच से होकर जाता है, जबकि दूसरा रास्ता बाहर से घूम कर जाता है। दोनों ही रास्तों की गलियां घटनास्थल तक आते-आते इतनी संकरी हो जाती है कि वहां तक सिर्फ पैदल या बाइक से ही पहुंचा जा सकता है। बीच वाली गली करीब एक किमी लंबी है। यह सबसे व्यस्त है और यह गांव की 40 साल पुरानी मुख्य गली है। इस गली के दोनों तरफ मकान बने हैं और हजारों की तादात में लोग रहते हैं। हादसे के बाद करीब 500 मीटर तक की गली में लोगों की भीड़ जमा हो गई। इससे पुलिस को बचाव व राहत कार्य में भी परेशानी का सामना करना पड़ा।

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पुलिस को पैदल पहुंचना पड़ा

नब्बे क्वार्टर के नाम से मशहूर यह बिल्डिंग तीन मंजिला है। हर मंजिल में 30-30 कमरे हैं। पुलिस का कहना है कि तंग गलियों के चलते मौके पर पहुंचने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। पुलिस को गाड़ी काफी दूर सड़क पर खड़ी करनी पड़ी। एक किमी तक पुलिस को पैदल चल कर मौके पर पहुंचना पड़ा, इसलिए पुलिस घटनास्थल पर करीब 40 मिनट बाद पहुंच पाई।

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स्थानीय लोगों ने मलबे से निकाल पहुंचाया अस्पताल

स्थानीय लोगों का कहना है कि छज्जा गिरने के बाद मौके पर चीख-पुकार मच गई। छज्जा के कई टुकड़े हो गए। गली से गुजर रहे चार बच्चे मलबे की चपेट में आ गए। लोग तुरंत उन्हें मलबे से निकालने का प्रयास करने लगे। किसी तरह से युवती बरखा और सोनाली समेत एक युवक को तुरंत निकाल लिया गया, जबकि 10 वर्षीय लव सुब्बा को निकालने में देरी हो गई हो गई। उस पर भारी मलबा गिरा था। उसे बेहद गंभीर हालत में बाहर निकाला गया, जिसे डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

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सहेली के साथ दुकान जा रही थी बरखा

बरखा (18) प्राइवेट स्कूल से 12वीं में पढ़ रही है, जबकि सोनाली (18) बीए प्रथम वर्ष में है। सोनाली सेक्टर 49 में परिवार के साथ रहती है। उसकी बहन शीतल का कहना है कि वह पहले निठारी में ही रहती थी। तभी से सोनाली और बरखा के बीच दोस्ती है। सोमवार सुबह वह बरखा से मिलने आई थी। बरखा के पिता अजय शर्मा का कहना है कि शाम करीब चार बजे दोनों दुकान से कुछ सामान लेने जा रही थीं, तभी उनके ऊपर छज्जा गिर गया। दोनों की हालत खतरे से बाहर है।

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भाई की तलाश में भटकता रहा, आखिर में मिला शव

मूलरूप से दार्जि¨लग के रहने वाले सुमंतनामा भी निठारी में रहते हैं। वह दुकान करते हैं। उनका 12 वर्षीय भाई लव सुब्बा है। उनका कहना है कि हादसे की सूचना पर वह भी घटना स्थल पर पहुंचे। एक महिला ने उन्हें बताया कि उनका छोटा भाई लव भी मलबे में दबा है, लेकिन मौके पर वह नहीं मिला। उसकी तलाश में वह जिला अस्पताल पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने जानकारी से इन्कार कर दिया। इसके बाद वह एनएमसी अस्पताल पहुंचे। यहां भी भाई की जानकारी नहीं मिली। कुछ देर बाद पुलिस ने बताया कि उनके भाई की मौत हो गई है। जिला अस्पताल की मोर्चरी में शव देख कर वह फफक कर रोने लगे।

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प्रशासन उठा रहा इलाज का पूरा खर्च

इस हादसे की सूचना पर सिटी मजिस्ट्रेट शैलेंद्र मिश्रा और नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी राजेश कुमार ¨सह भी घटनास्थल और अस्पताल पहुंचे। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन को इलाज में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं करने का सख्त निर्देश दिया है। सिटी मजिस्ट्रेट का कहना है कि फिलहाल इलाज का खर्च प्रशासन उठा रहा है। घायलों और मृतक परिजनों को आर्थिक मदद को लेकर विचार किया जा रहा है। हादसे की मजिस्ट्रेट जांच की जाएगी। प्रथम दृष्टया मकान मालिक और ठेकेदार की लापरवाही सामने आई है। जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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जर्जर भवनों पर कार्रवाई में लापरवाही

- प्राधिकरण ने सर्वे कराकर 1757 इमारतों को करार दिया था असुरक्षित

- गांवों की मूल आबादी में 1326 तीन मंजिला इमारतों का अब पूरा नहीं सर्वे जागरण संवाददाता, नोएडा : शाहबेरी घटना के बाद प्राधिकरण ने गांव व शहर में तीन मंजिला से अधिक की इमारतों को लेकर एक निरीक्षण अभियान चलाया। इसके तहत कई इमारतों को जर्जर बताया गया, लेकिन अब तक इन इमारतों को ढहाया नहीं गया है और न ही प्राधिकरण की ओर से इन पर कोई सटीक कार्रवाई की गई। इनकी फाइलें भूलेख व वर्क सर्किल कार्यालय में चक्कर काट रही है। हालांकि, प्राधिकरण की ओर से दावा किया जा रह है कि रुड़की आइआइटी की टीम के साथ इस मामले में प्राधिकरण की टीम काम कर रही है। प्राधिकरण की ओर से इस घटना पर स्पष्टीकरण दिया गया है कि जिस जगह यह मकान बना था, वह बंदोबस्त आबादी में आता है। यह आबादी उस समय की है, जब चकबंदी का दायरा शुरू नहीं हुआ था।

बता दें कि गांवों की मूल आबादी में 1326 तीन मंजिला से अधिक इमारतों की भी जांच अब तक पूरी नहीं हो सकी है। इन इमारतों का सत्यापन कराया जा रहा था। इसके तहत यह देखा जा रहा था कि ये इमारतें प्राधिकरण अधिसूचित क्षेत्र में है या नहीं। कयास थे कि नए साल में इस तरह की कोई घटना नहीं होगी, लेकिन लापरवाही ने ही इस घटना को अंजाम दिया। बताते चले शाहबेरी घटना के बाद प्राधिकरण ने चार श्रेणियों में निरीक्षण अभियान चलाया था। पहला असुरक्षित व जर्जर, दूसरा अधिसूचित व अर्जित भवन पर अवैध कब्जा, तीसरा अधिसूचित व अनार्जित भवन पर बनी इमारत व चौथा ग्राम की मूल आबादी में बनी बहुमंजिला इमारत। इसके तहत पहली श्रेणी में कुल 56 जर्जर व असुरक्षित भवन मिले थे। इसके साथ ही अधिसूचित व अर्जित क्षेत्र में बहुमंजिला इमारतों की संख्या 114 व अधिसूचित व अनार्जित भवन पर बहुमंजिला इमारतों की संख्या 261 व ग्राम की मूल आबादी में 1326 तीन मंजिला से अधिक की इमारतों को चिह्नित किया गया था। यानी कुल 1757 इमारतों को असुरक्षित करार दिया गया था। इन इमारतों के खिलाफ प्राधिकरण अब तक कोई कार्रवाई नहीं कर सका है।

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गांवों के लिए बनाई गई पालिसी पर अमल नहीं

शाहबेरी घटना के बाद प्राधिकरण ने गांवों में भवन नियमावली लागू कर दी। इसे लागू किए गए कई माह बीत गए। हालांकि, प्राधिकरण की मानें तो 2016 में ही इसे बनाने के साथ लागू भी कर दिया गया, लेकिन पालन नहीं कराया जा सका। ऐसे में इमारतों के गिरने के बाद इसे गांवों में सख्ती के साथ लागू करने का फरमान दिया गया। अब तक एक भी गांव के निवासियों ने पॉलिसी के तहत नक्शा पास नहीं कराया, जबकि गांवों में धड़ल्ले से मकानों का निर्माण किया जा रहा है। सवाल यह है कि जब कोई नियम या अभियान शहर को अवैध निर्माण व बचाने के लिए चलाया गया तो उसका असर कोई नहीं दिखा।

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नोटिस जारी करने के बाद भी अफसरों ने कुछ नहीं किया

जर्जर भवनों पर निठारी गांव में प्राधिकरण की ओर से नोटिस चस्पा किया गया था, जिसका ग्रामीणों ने खूब विरोध किया और धरना तक दिया। बाद में राजनीतिक दबाव के चलते नोटिस पर कार्रवाई नहीं की गई और ग्रामीणों की ओर धरना भी समाप्त किया गया, लेकिन अब मकान ध्वस्त करने के दौरान हुई लापरवाही में कई ¨जदगी भेट चढ़ चुकी है।


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