Journalist Arrest Case: जानकार बोले- छत्तीसगढ़ पुलिस का व्यवहार अनुचित, उत्तर प्रदेश की पुलिस ने निभाई जिम्मेदारी
Journalist Arrest Case जानकारों का मानना है कि किसी भी आरोपित की गिरफ्तारी करने के लिए देश में 150 वर्ष से एक प्रक्रिया बनी हुई है। इसके तहत तय नियमों के अनुसार ही किसी व्यक्ति को पुलिस गिरफ्तार कर सकती है।
नोएडा [महेश शुक्ला]। गाजियाबाद में मंगलवार सुबह जी न्यूज के एंकर रोहित रंजन की गिरफ्तारी को लेकर छत्तीसगढ़ पुलिस ने जो व्यवहार किया, वह पूरी तरह से अनुचित और नियमों के विरुद्ध है। उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह ने इस मामले को पुलिस के राजनीतिक इस्तेमाल का ताजा उदाहरण करार देते हुए कहा, ‘छत्तीसगढ़ की पुलिस का आचरण सही नहीं रहा।
अच्छी बात यह है कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने यहां पर सही समय पर सही कार्रवाई से पुलिस की गरिमा को कायम रखा।’ उप्र के एक अन्य पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने भी इसे पुलिस पर सत्ता के दबाव का एक और उदाहरण बताते हुए कहा कि सीआरपीसी में गिरफ्तारी को लेकर नियम बने हुए हैं। राजनीति के कारण इनका उल्लंघन होता है।
पुलिस को प्रक्रिया का पालन करना चाहिए
विक्रम सिंह ने कहा, ‘छत्तीसगढ़ पुलिस का ट्वीट कर यह कहना कि ऐसा कोई नियम नहीं है, नितांत आधारहीन बात है। पुलिस को भी प्रक्रिया का पालन करना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि जैसा समाचारों से पता चला है कि छत्तीसगढ़ पुलिस उप्र पुलिस से उलझी और जीप की चाभी निकाल ली।
इस प्रकार का व्यवहार गैरकानूनी है। किसी को नियमों का पालन किए बगैर जबरन साथ ले जाना अपहरण की श्रेणी में आता है। इस प्रकार का बर्ताव डकैती की तरह है।
स्थानांतरित करनी चाहिए थी एफआइआर
लंबे समय से पुलिस सुधारों की पुरजोर वकालत कर रहे प्रकाश सिंह ने कहा, ‘यह चलन बन गया है कि अपराध का घटनास्थल कहीं और होता है और एफआइआर तीन-चार अन्य प्रदेशों में दर्ज कर ली जाती है।
ऐसा पालिटिकल मोटिव के कारण होता है जो कतई ठीक नहीं है। छत्तीसगढ़ में यदि मामला दर्ज हुआ था तो वहां की पुलिस को नोएडा पुलिस को इसे स्थानांतरित कर देना चाहिए था।’
कार्रवाई पर प्रश्न
- किसी दूसरे राज्य या दूसरे जनपद में जाकर भी सीधे गिरफ्तारी का अधिकार पुलिस को नहीं है। इसके लिए संबंधित लोकल थाने में जाकर दूसरे राज्य की पुलिस को न केवल सूचना देनी होती है, बल्कि जनरल डायरी (जीडी) में बाकायदा आमद भी दर्ज करानी होती है।
- यदि दूसरे राज्य की पुलिस को अदालत का वारंट भी तामील कराना हो तो भी स्थानीय पुलिस को सूचना देने के बाद उसके साथ ही आरोपित के पास जाने का नियम है।
- यही नहीं, दूसरे राज्य के पुलिसर्मियों को इस प्रकार की किसी गिरफ्तारी के समय आरोपित को अपना परिचय पत्र दिखाना भी अनिवार्य है। (जैसा उप्र के पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह ने बताया)