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पढ़िए नोएडा के एक गांव के लिटिल माइक टाइसन की कहानी, शिखर पर पहुंचने के लिए कैसे कर रहे तैयारी

जागरण विशेष दिल में जुनून हो और कुछ बड़ा करने की इच्छाशक्ति हो तो मुश्किलें राह में रोड़ा तो बन सकती है लेकिन मंजिल तक पहुंचने से रोक नहीं सकती। इस बात को साकार कर रहे हैं निठारी में रहने वाले 15 वर्षीय मुकुल पाल।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 01:17 PM (IST)Updated: Fri, 05 Mar 2021 07:20 PM (IST)
पढ़िए नोएडा के एक गांव के लिटिल माइक टाइसन की कहानी, शिखर पर पहुंचने के लिए कैसे कर रहे तैयारी
निठारी में रहने वाले 15 वर्षीय मुकुल पाल छोटी सी उम्र में ’लिटिल माइक टाइसन’ बना

कुंदन तिवारी, नोएडा। दिल में जुनून हो और कुछ बड़ा करने की इच्छाशक्ति हो तो मुश्किलें राह में रोड़ा तो बन सकती है, लेकिन मंजिल तक पहुंचने से रोक नहीं सकती। इस बात को साकार कर रहे हैं निठारी में रहने वाले 15 वर्षीय मुकुल पाल। उन पर बॉक्सिंग का ऐसा जुनून सवार है कि प्रतिदिन 36 किलोमीटर की दूरी साइकिल से तय कर दिल्ली प्रशिक्षण लेने जाते हैं।

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हैरान करने वाली बात है कि साइकिल भी उनकी खुद की नहीं है। रोज किसी न किसी से साइकिल उधार लेते हैं। लेकिन उनके हौसले में कोई कमी नहीं है। इस हौसले की बदौलत मुकुल ने वर्ष 2019 में दिल्ली स्टेट ग्रैपलिंग में गोल्ड मेडल व रोहतक हरियाणा में आयोजित नेशनल ग्रैपलिंग प्रतियोगिता में कांस्य पदक हासिल किया है। इतना ही नहीं, नोएडा में जनवरी में आयोजित एमएमए फाइट में 49 किलोग्राम भार वर्ग में मुकुल ने अपने से अधिक भार (54 किलोग्राम) के प्रतिद्वंद्वी को हराकर गोल्ड मेडल हासिल किया। अब निठारी के होनहार को लोग ’लिटिल माइक टाइसन’ के नाम से पुकारते है। 

माइक टाइसन के हैं दीवाने 

माइक टाइसन को आदर्श मानकर मुकुल बॉ¨क्सग का प्रशिक्षण ले रहे हैं। प्रतिदिन माइक टाइसन का वीडियो देखकर पंच मारने का अभ्यास करते हैं। उन्हीं की तरह रिंग में उतरकर देश का नाम रोशन करना चाहते हैं। उन्होंने नौ वर्ष की उम्र में बॉक्सिंग का प्रशिक्षण लेना शुरू किया था। 

घरेलू सहायिका बन बेटे का भविष्य संवारने में जुटी मां शीशपाल (मुकुल पाल के पिता) करीब 15 वर्ष पहले बदायूं से नोएडा निठारी गांव में किराये पर आकर बसे थे। मकसद था कि बड़े बेटे अतुल पाल के साथ छोटे बेटे मुकुल पाल को अच्छी शिक्षा दिला सकें। नोएडा में एक गैस कंपनी में दैनिक वेतनभोगी के रूप में काम करके गुजर बसर कर रहे थे, लेकिन कोरोना काल में नौकरी जाने के बाद से बेरोजगार हैं। पत्नी नीरज (मुकुल की मां) घरेलू सहायिका के रूप में चार कोठियों में काम कर बच्चों का भविष्य संवारने में जुटी हैं। 

एथलीट विजेता होते ही प्रतिभा भगत सिंह सेना पहचानी 

सेक्टर-31 पार्क में शहीद भगत सिंह सेना प्रमुख विनय के पास एथलीट का प्रशिक्षण लेने के लिए छोटी उम्र में तमाम बच्चे आते थे। इसमें मुकुल भी शामिल थे। वर्ष 2017 में एचसीएल फाउंडेशन की ओर से 1500 मीटर दौड़ प्रतियोगिता कराई गई, इसमें मुकुल ने गोल्ड हासिल किया। इसके बाद सेना प्रमुख विनय ने खुद इसे बा¨क्सग सिखाने का निर्णय लिया। बाद में मित्र रघुनंदन के पास दिल्ली वन पंच क्लब में प्रशिक्षण के लिए भेजा।

कई दंड बैठक प्रतियोगिता में बना चुके हैं रिकार्ड 

सेक्टर-50 में यूनियन बैंक की ओर से जनवरी में आयोजित दंड बैठक प्रतियोगिता में अंडर 18 में मुकुल ने गोल्ड मेडल प्राप्त किया। सेक्टर-62 में आयोजित दंड बैठक में 90 मिनट में 1500 दंड बैठककर रिकार्ड बनाया। जबकि रविवार को शहीद भगत सिंह सेना की ओर से आयोजित दंड बैठक प्रतियोगिता में मुकुल पाल ने नॉन स्टॉप तीन घंटा एक मिनट दंड बैठक कर प्रथम स्थान हासिल कर सबको आश्चर्य चकित कर दिया।


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