नोएडा के पोस्टमार्टम हाउस में मुर्दे के कफन से जिंदा ढक रहे तन, कर्मचारियों की मिलीभगत से चल रहा कमीशन का धंधा
Noida News एडिशनल डीसीपी नोएडा रणविजय सिंह ने बताया कि अभी रेलवे लाइन जंगल सड़क किनारे नालों झाड़ियों के पास शव मिलते हैं। दाह संस्कार करने वाला नहीं होता है। पुलिस इनका अंतिम संस्कार कराती है। अंतिम संस्कार के लिए 3400 रुपये मिलते हैं।
नोएडा [मोहम्मद बिलाल]। नोएडा के सेक्टर-94 स्थित पोस्टमार्टम हाउस में कर्मचारियों की मिलीभगत से चोरी की बिजली से निजी डीप फ्रीजर चलाने का मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि अब पोस्टमार्टम के बाद शव को कफन से ढंकने के नाम पर स्वजन से 1500 से लेकर 3500 रुपये की वसूली का मामले सामने आया है। इनमें सुरक्षागार्ड से लेकर शव का चीर फाड़ करने वाले कर्मचारियों का कमीशन बंधा है।
पोस्टमार्टम हाउस में प्रतिमाह जिले के अलग-अलग थानों से 30 से अधिक लावारिस शव पहुंचते हैं। हत्या, आत्महत्या और संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत का कारण जानने के लिए प्रतिदिन दो तीन शवों का पोस्टमार्टम पुलिस की ओर से कराया जाता है, लेकिन पोस्टमार्टम प्रक्रिया शुरू होने से लेकर अंतिम संस्कार तक यहां तैनात कर्मचारी स्वजन और पुलिस की जेब ढीली करते हैं।
कर्मचारी शव को ढंकने के लिए पहले कफन मंगाते हैं। अगर स्वजन और पुलिस कफन लाने में असमर्थता जताते हैं तो कर्मचारी ढाई मीटर कपड़े (कफन), पन्नी और सेल खड़ी पाउडर के लिए 1500 से लेकर 3500 रुपये वसूलते हैं।
इनसे हुई जबरन वसूली
सेक्टर-16 निवासी छोटेलाल लोधी का कहना है कि 16 वर्षीय पुत्र संतोष सिंगरौल का 7 जून को पोस्टमार्टम के बाद यहां तैनात कर्मचारियों ने कफन के लिए 1400 रुपये व गार्ड ने शव की सुरक्षा के नाम पर 100 रुपये लिए थे। बिसरख कोतवाली क्षेत्र में रहने वाले स्वजन ने बताया कि 16 जून को अभयजीत श्रीवास्तव (23) के पोस्टमार्टम के बाद कफन, सीढ़ी के नाम पर 1300 रुपये वसूले गए थे।
कर्मचारियों पर विभाग बना मेहरबान
पोस्टमार्टम हाउस कर्मचारियों की संलिप्तता पर अधिकारी भी मौन रहते हैं। कर्मचारियों को ड्यूटी से हटाने के बजाने नए कर्मचारी नहीं मिलने का रोना रोते हैं। एसीएमओ व पोस्टमार्टम हाउस के नोडल अधिकारी डा. अमित विक्रम का कहना है कि सीएमओ डा. सुनील कुमार शर्मा से वार्ता करके जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।
दिहाड़ी कामगार करते हैं लावारिस शवों का पोस्टमार्टम
यहां तैनात कर्मचारियों ने 400-500 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से तीन से चार लड़कों को काम पर रखा हुआ है। हालांकि पोस्टमार्टम के कर्मचारी अवैध वसूली में लिप्त रहते हैं।
लावारिस शवों के संस्कार के लिए मिलते हैं रुपये
एडिशनल डीसीपी नोएडा रणविजय सिंह ने बताया कि अभी रेलवे लाइन, जंगल, सड़क किनारे, नालों, झाड़ियों के पास शव मिलते हैं। दाह संस्कार करने वाला नहीं होता है। पुलिस इनका अंतिम संस्कार कराती है। अंतिम संस्कार के लिए 3,400 रुपये मिलते हैं। इनमें कफन के लिए 400, लकड़ी या कब्र खोदने के लिए 2,500 और शव को शवस्थल से पोस्टमार्टम हाउस या अंतिम निवास तक ले जाने के लिए 500 रुपये शामिल हैं।
अवैध वसूली के कारण बंद किया निश्शुल्क कफन देना
नोएडा लोक मंच के महासचिव महेश सक्सेना ने बताया कि लावारिस शवों का पहले संस्था की ओर से कफन आदि का सामान निश्शुल्क उपलब्ध कराया जाता था, लेकिन पोस्टमार्टम हाउस में तैनात कर्मचारी लावारिस शवों को ढकने के लिए कफन के नाम पर पुलिस वालों से भी जबरन रुपये वसूलते हैं। इसलिए संस्था ने पिछले छह माह से कफन का सामान देना बंद कर दिया है। अब सिर्फ लावारिस शवों का अंतिम संस्कार निश्शुल्क किया जाता है।