Noida: लोन और नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश, छह गिरफ्तार
अलग-अलग बैंकों से लोन दिलाने और विभिन्न कंपनी में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए सेक्टर-63 कोतवाली पुलिस ने छह आरोपितों को मंगलवार को दबोच लिया। कोतवाली क्षेत्र स्थित एच-61 में काल सेंटर खोलकर ठगी की घटना को अंजाम दिया जा रहा था।
नोएडा, जागरण संवाददाता। अलग-अलग बैंकों से लोन दिलाने और विभिन्न कंपनी में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए सेक्टर-63 कोतवाली पुलिस ने छह आरोपितों को मंगलवार को दबोच लिया। कोतवाली क्षेत्र स्थित एच-61 में काल सेंटर खोलकर ठगी की घटना को अंजाम दिया जा रहा था।
इसके अलावा पंचकर्मा आयुर्वेदा चूर्ण का स्टीकर जालसाज लोगों को सामान्य चूर्ण बेच रहे थे। जालसाजों की पहचान हापुड़ के बहादुरगढ़ के विकास कुमार और पुनीत कुमार, गाजियाबाद के कविनगर के देवांश सक्सेना, हाथरस के हर्षित श्रीवास्तव, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा के नितिश कुमार और महोबा के शैलेंद्र के रूप में हुई है।
विकास गिरोह का सरगना है। पुनीत और विकास भाई हैं। आरोपितों के कब्जे से दो डेस्कटाप, चार लैपटाप, 13 स्मार्ट फोन, एक लाख 18 हजार की नकदी, पंचकुला आयुर्वेद की एक मोहर, सात फर्जी स्टीकर, 20 एटीएम कार्ड, पांच अप्रूवल लेटर, 167 डाटा शीट, 53 पंचकर्मा आयुर्वेदा चूर्ण की बड़ी डिब्बी और दस छोटी डिब्बी, एक होंडा सिविक कार और मोटरसाइकिल बरामद हुई है।
नकली चूर्ण बेचकर एकत्र करते थे डाटा
एसीपी अमित प्रताप सिंह के मुताबिक आरोपितों ने पूछताछ में बताया कि कोतवाली क्षेत्र में आफिस खोलने के बाद उन्होंने पंचाकर्म आयुर्वेद प्रोसिस केयर किट में नकली चूर्ण भरकम उस पर असली किट का स्टीकर लगाया और चूर्ण को तीन से छह हजार रुपये में बेचना प्रारंभ किया। सामान्य चूर्ण आरोपित दिल्ली से पांच सौ रुपये में खरीदते थे और छह से 12 गुना ज्यादा कीमत पर बेचते थे।
ऑनलाइन प्लेटफार्म पर चूर्ण का आर्डर लिया जाता था और उसे बेचा जाता था। यहीं से जालसाजों को संबंधित व्यक्ति का डाटा भी मिल जाता था। डाटा मिलने के बाद आरोपित संबंधित व्यक्ति को फोन कर नौकरी और लोन दिलाने का झांसा देकर ठगी करते थे। ठगी के पैसे से ही आरोपितों ने कार सहित अन्य सामान खरीदा है।
नौकरी छोड़ प्रारंभ की ठगी
डीसीपी रामबदन सिंह ने बताया कि गिरोह का सरगना विकास है। वह पूर्व में एक इंश्योरेंस कंपनी में काम कर चुका है। उसे लोन दिलाने की पूरी प्रक्रिया का पता था। इसका फायदा उठाकर ही वह आसानी से लोगों को अपने जाल में फंसा लेता था। कुछ ही माह में विकास ने ठगी कर इतना पैसा कमा लिया कि उसने दफ्तर खोलकर 16 लोगों को नौकरी दी, जिसमें दस युवतियां थीं। इनको 16 से 30 हजार रुपये तक सैलरी मिलती थी। कमीशन अलग से मिलता था।
गिरोह तक ऐसे पहुंची पुलिस
कोतवाली प्रभारी अमित कुमार मान ने बताया कि बीते दिनों नोएडा के एक व्यक्ति को 16 लाख रुपये का लोन दिलाने का झांसा विकास और उसके साथियों ने दिया। इसके लिए प्रोसेसिंग फीस सहित अन्य प्रकार की फीस का हवाला दिया गया और कई बार में साल लाख रुपये पीड़ित से ले लिए गए।
जब पीड़ित से और पैसे की मांग की गई तो उसने देने से मना कर दिया और अपने पैसे वापस करने को कहा। इसके बाद जालसाजों ने नंबर बंद कर दिया। पीड़ित ने पुलिस से मामले की शिकायत की। कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए पुलिस की टीम गिरोह के सरगना तक पहुंची और उसे और उसके साथियों को दबोच लिया गया।