Noida: फर्जी दस्तावेज बनाकर खोलते कंपनी, लोन लेकर हो जाते फरार; 23 करोड़ की ठगी करने वाले आठ जालसाज गिरफ्तार
नोएडा स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने कार्रवाई करते हुए मंगलवार को फर्जी दस्तावेज तैयार कर कंपनी खोलकर बैंक से लोन लेकर न चुकाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस इस गिरोह के 8 आरोपितों को जेवर टोल प्लाजा के पास से गिरफ्तार किया है।
नोएडा, जागरण संवाददाता। नोएडा स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने फेज-1 कोतवाली पुलिस के संयुक्त कार्रवाई में मंगलवार को फर्जी दस्तावेज तैयार कर कंपनी खोलकर बैंक से लोन लेकर न चुकाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। आठ आरोपितों को जेवर टोल प्लाजा के पास से गिरफ्तार किया है। गिरोह में शामिल पांच आरोपित फरार है, जिनकी तलाश जारी है।
गिरफ्तार आरोपितों की पहचान दिल्ली के अनुराग चटकारा उर्फ अनुराग अरोडा, गाजियाबाद के अमन शर्मा, सेक्टर-20 नोएडा के दानिश छिब्बर, मुरादाबाद के वसीम अहमद, बिजनौर के मोहसिन, आजमगढ़ के जीतू उर्फ जितेन्द्र, कन्नौज के रविकांत मिश्रा, भरतपुर (राजस्थान) के तनुज शर्मा के रूप में हुई है।
आरोपितों के निशानदेही पर सेक्टर-119 स्थित अरानिया सोसायटी के एक फ्लैट से विभिन्न बैंकों की 395 चेकबुक, विभिन्न बैंकों के 327 डेबिट कार्ड, विभिन्न नामों से 278 पैन कार्ड, 93 आधार कार्ड, जीएचसीएल कंपनी के 23 आइडी कार्ड, 30 विभिन्न कंपनियों की मुहर, 187 मोबाइल, हुंडई ओरा कार, हुंडई आई-10 नियोस, किया सेल्टोस, दो बुलेट, एक लाख नौ हजार रुपये नकद बरामद हुए हैं। विभिन्न बैंकों में जमा 80 लाख रुपये को फ्रीज कराया गया है। आरोपित अबतक बैंकों 100 फर्जी कंपनी बनाकर बैंकों को 23 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी कर चुके हैं।
डीसीपी नोएडा हरीश चंदर ने बताया कि सेक्टर-4 स्थित क्रेडिट इंटेलिजेंस एवं कंट्रोल एचडीएफसी बैंक लिमिटेड के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत खुराना ने फेज-1 कोतवाली पुलिस को शिकायत दी थी कि अवैध रूप से आर्थिक लाभ कमाने के उद्देश्य से कुछ लोग फर्जी दस्तावेज तैयार कर फर्जी तरीके से अलग-अलग व्यक्तियों की आइडी बनाने के बाद प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां बनाकर बैंक से लोन लेकर हानि पहुंचा रहे हैं।
शिकायत पर आइपीसी की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी), 467 (फर्जी दस्तावेज बनवाना), 468 (फर्जी दस्तावेजों को छल करने), 471 (फर्जी दस्तावेज), 120बी (अगर दो या दो से अधिक लोगों के बीच अपराध करने का समझौता) की धाराओं में 12 मई को केस दर्ज किया गया था।
भरोसा जीतने के लिए फर्जी खाते में ट्रांसफर करते थे रुपये
डीसीपी ने बताया कि जांच में एसटीएफ नोएडा, सर्विलांस टीम के टीम, एसीपी-1 की टीम की मदद ली गई। सामने आया कि आरोपितों ने विभिन्न फर्जी नामों से फर्जी आधार कार्ड बनवाकर इन्ही फर्जी नाम से पैन कार्ड बनाया है। फिर कंपनी को (रजिस्ट्रार आफ कंपनीज) रजिस्टर कराकर अलग-अलग बैंकों में खाते खुलवाते हैं। इस प्रकार खोले गए खातों में फर्जी कंपनी के खाते से सैलरी के रूप में रुपये ट्रांसफर करते हैं। उस रुपये को एटीएम से निकालकर फिर उसी कंपनी के खाते में जमा करा देते हैं।
इस प्रकार छह-सात महीने वेतन देने पर ऐसा खातेदार लोन का हकदार हो जाता है। तब आरोपित आनलाइन लोन के लिए आवेदन करते थे। लोन से रुपयों को एटीएम से निकालते थे। जबकि फाइनेंस कंपनियों से भी कार, मोबाइल व अन्य वस्तुएं फाइनेंस कराते, लेकिन फाइनेंस और लोन के सामान को गबन कर आरोपित बैंक को पैसा वापस नहीं करते थे।
ईपीएफओ खाते में भी जमा करते थे पैसा
आरोपितों ने फर्जी कंपनी में फर्जी कर्मचारी के खाते खुलवाए थे। इनके कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के खाते में पैसा जमा करते थे। जिससे कंपनी का अस्तित्व सही प्रतीत हो और फर्जी कर्मचारी दर्शाकर कर्मचारी के नाम पर लोन लेते समय बैंकों को कोई शक न हो। इसलिए बैंक भी इन्हें पकड़ नहीं पाता था। आरोपित यह काम किराए का फ्लैट लेकर करते थे।
आरोपितों ने जीएचसीएल कंपनी के नाम से मिलती जुलती जीएचसीएल टेक प्राइवेट लिमिटेड नाम की फर्जी कंपनी बनाकर ठगी का काम सेक्टर-119 में एक फ्लैट लेकर किया गया था। आरोपित अभी तक एचडीएफसी सहित अन्य बैंकों से करीब 23 करोड़ रुपये लोन के रूप में ले चुके हैं, लेकिन पैसा अबतक वापस नहीं किया है।