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नोएडा प्राधिकरण के कारनामे का अब होगा भगुतान, एक करोड़ की जमीन पर अब देना होगा 361 करोड़ का मुआवजा

1997 में खरीदी जमीन पर माल का निर्माण करा दिया गया।अदालत में आवंटी रेड्डी विरेन्ना ने केस जीता। अब प्राधिकरण उसे मुआवजा तो देगा ही साथ ही उसे उच्चतम न्यायालय के आदेश 5 मई 2022 के बाद से प्रतिदिन करीब 5 लाख रुपये ब्याज भी देना होगा।

By Kundan TiwariEdited By: Prateek KumarPublished: Tue, 27 Sep 2022 08:11 PM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2022 08:11 PM (IST)
नोएडा प्राधिकरण के कारनामे का अब होगा भगुतान, एक करोड़ की जमीन पर अब देना होगा 361 करोड़ का मुआवजा
नोएडा में आवंटी को 361 करोड़ रुपये मुआवजा देना पड़े तो चौंकाने वाली बात है।

नोएडा, जागरण संवाददाता। नोएडा प्राधिकरण में किस प्रकार से जनता के पैसों की बर्बादी हो रही है। अधिकारियों की मनमानी पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। इसका अंदाजा लगा पाना अब मुश्किल हो गया है। एक करोड़ रुपये की जमीन के लिए किसी आवंटी को 361 करोड़ रुपये मुआवजा देना पड़े तो चौंकाने वाली बात है, लेकिन यह कारनामा नोएडा प्राधिकरण में हुआ है।

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क्या है मामला

आवंटी ने 24 अप्रैल, 1997 में जमीन खरीदी। इस जमीन पर आज एक आलीशान माल का निर्माण करा दिया गया। अदालत में कड़ी टक्कर देने के बाद आवंटी रेड्डी विरेन्ना ने केस जीता। अब प्राधिकरण उसे मुआवजा तो देगा ही साथ ही उसे उच्चतम न्यायालय के आदेश 5 मई 2022 के बाद से प्रतिदिन करीब 5 लाख रुपये ब्याज भी देना होगा। इस मुआवजा को जारी करने में किसी प्रकार की दिक्कत न हो, इसलिए नोएडा प्राधिकरण ने बोर्ड बैठक में इस प्रस्ताव को पास कर दिया है।

कब का है केस

बता दें कि 24 अप्रैल, 1997 को छलेरा बांगर (सेक्टर-18) खसरा नंबर 422 व 427 कुल 14358 वर्गमीटर जमीन एक करोड़ रुपये में टी सुधाकर रेड्डी विरेन्ना ने खरीदी। इसमें नोएडा प्राधिकरण ने 6958 वर्गमीटर जमीन 1979-80 में अर्जित की गई। इसके लिए रेड्डी ने सिविल कोर्ट में याचिका दायर की। जिस पर 16 फरवरी, 2000 को अर्जित भूमि को छोड़कर शेष 7400 वर्गमीटर जमीन पर रेड्डी विरेन्ना का नाम दर्ज किया गया। वहीं, सिविल कोर्ट के आदेश के बाद भी प्राधिकरण ने वाणिज्यिक भूखंड योजना निकाली। भूखंड संख्या एम-3 54320 वर्गमीटर ( 7400 वर्गमीटर शामिल है) जमीन डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को 173 करोड़ में आवंटित की।

डीएलएफ ने शुरू किया मॉल निर्माण का काम

इस जमीन पर डीएलएफ ने निर्माण शुरू किया। काम नहीं रोके जाने पर रेड्डी ने दोबारा से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में नोएडा प्राधिकरण और डीएलएफ को पार्टी बनाते हुए रिट फाइल की। कोर्ट ने देखा कि रेड्डी को जमीन नहीं दी जा सकती है। इसलिए उसे मुआवजा दिया जाए। इस आदेश के खिलाफ प्राधिकरण ने उच्च्तम न्यायलय में स्पेशनल लीव पिटीशन (एसएलपी) दायर की जिसे 10 जनवरी, 2011 को स्थगित कर दिया गया।

कोर्ट में कुछ इस प्रकार चला मामला

प्राधिकरण ने कृषि भूमि प्रतिकर के हिसाब से 181.87 रुपये प्रति वर्ग गज प्लस ब्याज समेत 36 लाख का मुआवजा बनाया और उसे दे दिया। 2019 में वापस रेड्डी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई। जिस पर 22, 24 और 29 सितंबर और 6 अक्टूबर 2019 को सुनवाई हुई। फैसला सुरक्षित रखते हुए 28 अक्टूबर 2021 को सुनाया गया। जिसके तहत सेक्टर-18 में कामर्शियल दर रुपये 1.10 लाख रुपये प्रति वर्गमीटर जिसमे 50 प्रतिशत डेवलेपेंट चार्ज कटौती की। 55 हजार प्रति वर्ग मीटर ब्याज समेत कुल 175 करोड़ का मुआवजा तय किया गया। इसके खिलाफ प्राधिकरण ने उच्चतम न्यायालय में एसएलपी दायर की और कहा कि एक करोड़ की जमीन का मुआवजा 175 करोड़ रुपये देना अनुचित है। 5 मई 2022 को उच्चतम न्यायालय ने नोएडा प्राधिकरण को आदेश दिया कि रेड्डी को 1.10 लाख प्रति वर्गमीटर, वैधानिक ब्याज, 3 प्रतिशत पैनल ब्याज पर मुआवजा दिया जाए। जिस पर प्राधिकरण इस रिव्यू पीटिशन डाली जिसे 10 अगस्त को खारिज कर दिया गया।

ऐसे हुआ 361 करोड़ रुपया

मूलधनराशि और सोलेशियम को मिलाकर 105.84 करोड़

नौ प्रतिशत ब्याज एक साल 9.52 करोड़

15 प्रतिशत ब्याज धनराशि 242.66 करोड़

3 प्रतिशत पैनल ब्याज धनराशि 3.17 करोड़

इसके अलावा 5 मई के बाद से रोजाना करीब पांच लाख ब्याज देना होगा।


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