नोएडा और ग्रेटर नोएडा निवासियों को मिलेगी राहत, कोंडली नाले की सफाई के लिए नौ सूत्रीय कार्ययोजना तैयार
अधिकारियों के मुताबिक नौ सूत्रीय कार्ययोजना में सर्व प्रथम अधिक क्षमता वाले ऐसे स्लम क्षेत्र व औद्योगिक इकाइयां है जो अनुपचारित (बिना शोधित किये) मल को नालियों में बहा रहे हैं। शहर में मौजूदा सीवेज नेटवर्क को मजबूत करना।
नोएडा [कुंदन तिवारी]। कोंडली नाले को पूर्ण रूप से साफ करने में तीन साल का समय लग सकता है। इसके लिए नोएडा प्राधिकरण नौ सूत्रीय कार्ययोजना तैयार की गई है। यह कार्ययोजना नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को भेजी गई है।
अधिकारियों के मुताबिक नौ सूत्रीय कार्ययोजना में सर्व प्रथम अधिक क्षमता वाले ऐसे स्लम, क्षेत्र व औद्योगिक इकाइयां है जो अनुपचारित (बिना शोधित किये) मल को नालियों में बहा रहे हैं। शहर में मौजूदा सीवेज नेटवर्क को मजबूत करना। अधिक सार्वजनिक शौचालय बनाए जाना। अधिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का निर्माण, नाली के चारों ओर अतिक्रमण की जांच करना और छह स्थानों पर नालों के पास वेटलैंड बनाकर नाले का सुंदरीकरण करना शामिल है।
बता दें कि यमुना में प्रदूषण की मुख्य वजह कोंडली नाला है। नोएडा में प्रतिदिन 216 मिलियन लीटर डेली (एमएलडी) सीवेज उत्पादन होता है। जिसमें 152 एमएलडी को शोधित किया जा रहा है। जबकि शेष 64 एमएलडी अपशिष्ट बिना शोधित किए ही यमुना में चला जाता है। यह 64 एमएलडी नोएडा से जुड़े सीमावर्ती इलाकों से आता है। जहां पानी को शोधित करने के लिए कोई एसटीपी नहीं है। बहरहाल प्राधिकरण की ओर से सभी तरह की योजनाओं पर निर्धारित लक्ष्य के साथ काम शुरू हो चुका है। इसके अलावा 180 एमएलडी क्षमता के एसटीपी का निर्माण भी आगामी वर्षों में कर लिया जाएगाा। जिससे एक बूंद पानी भी बिना शोधित किए नालों में नहीं बहाया जा सकेगा। इसके अलावा कृत्रिम वेटलैंड का निर्माण भी शामिल है। यह वेटलैंड गंदे पानी को शोधित करेगा।
20 किमी लंबी ड्रेन में दिल्ली से गिरता अपशिष्ट
40 साल पुरानी और 20 किमी लंबी कोंडली ड्रेन दिल्ली के कोंडली गांव से निकलती है और सेक्टर 11 में हरीदर्शन पुलिस चौकी के पास नोएडा में प्रवेश करती है। नोएडा से सेक्टर-17, सेक्टर-12, सेक्टर-22 से होते हुए लगभग 17 किमी का सफर तय करती है। सेक्टर-50, सेक्टर-92 और सेक्टर-168 से होते हुए चकमंगरोली के पास यमुना में मिलती है।
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