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नोएडा इनपुट से बिहार में नक्सली नेटवर्क तोड़ने के करीब है यूपी पुलिस

आइजी एटीएस असीम अरुण का कहना है कि नोएडा और चंदौली से पकड़े गए नक्सलियों से कई महत्वपूर्ण जानकारी हाथ लगी है।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 18 Oct 2016 11:34 AM (IST)Updated: Tue, 18 Oct 2016 11:44 AM (IST)
नोएडा इनपुट से बिहार में नक्सली नेटवर्क तोड़ने के करीब है यूपी पुलिस

नोएडा (ललित विजय)। तृतीय सम्मेलन प्रस्तुतीकरण कमेटी (टीएसपीसी) के नक्सली देशभर में पांव फैलाने में जुटे हैं। इन नक्सलियों के निशाने पर देश के बड़े शहर हैं, जिससे इन शहरों में अपराध कर संगठन के लिए पैसा जुटाया जा सके।

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सन् 2005 में झारखंड के एक वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी के संरक्षण में माओवादी कम्युनिस्ट केंद्र (एमसीसी) से लड़ने के लिए बने इस संगठन के पास धन की कमी हो गई है। इस कारण संगठन के नक्सलियों ने बड़े शहरों को रुख किया है।

यह जानकारी एटीएस को चंदौली से गिरफ्तार टीएसपीसी के एरिया कमांडर सुनील रविदास उर्फ कमलेश से मिली है। सुनील और नोएडा से गिरफ्तार नक्सलियों से एटीएस को सासाराम बिहार में छुपे नक्सलियों के बारे में जानकारी मिल गई है, जिससे बिहार पुलिस को अवगत करा दिया गया है।

सासाराम में एक हार्ड कोर नक्सली को हिरासत में ले लिया गया है। उसके अन्य साथी भी जल्द पकड़े जा सकते हैं। नोएडा एटीएस से मिले इनपुट से बिहार पुलिस नक्सलियों के बड़े नेटवर्क को तोड़ने के नजदीक है। एटीएस को यह भी जानकारी मिली है कि तृतीय सम्मेलन प्रस्तुतीकरण कमेटी ने सासाराम को ही अब ऑपरेशन केंद्र बना लिया है। वहीं से नक्सली लगातार नोएडा आ-जा रहे थे।

औरंगाबाद बिहार से लूटी गई थी इंसास

चंदौली से गिरफ्तार नक्सली सुनील के पास से बरामद इंसास को औरंगाबाद बिहार में पुलिस कर्मियों से लूटा गया था। इसकी जानकारी एटीएस ने औरंगाबाद पुलिस को दे दी गई है। एटीएस को यह जानकारी भी मिली है कि तृतीय सम्मेलन प्रस्तुतीकरण कमेटी के नक्सली अब हथियार के लिए पूरी तरह से लूट पर निर्भर है। नक्सली पुलिस या सुरक्षा कर्मियों को निशाना बनाते हैं।

2005 के आस-पास बनी तृतीय सम्मेलन प्रस्तुतीकरण कमेटी

बिहार से अलग होकर झारखंड का गठन सन् 2000 हुआ। पूरा झारखंड नक्सल प्रभावित था। जिससे निपटना सरकार के लिए बड़ी चुनौती थी। नक्सली लगातार पुलिस को निशाना बना रहे थे। उस दौरान झारखंड में सबसे ज्यादा एमसीसी के नक्सली सक्रिय थे।

एमसीसी से निपटने के लिए सन 2004-05 एक वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी के संरक्षण में छोटे-मोटे अपराध में लिप्त युवकों को साथ लेकर तृतीय सम्मेलन प्रस्तुतीकरण कमेटी बनी। इसने एमसीसी के नक्सलियों को हमला करना शुरू किया। झारखंड पुलिस ने तृतीय सम्मेलन प्रस्तुतीकरण कमेटी को स्पोर्ट किया, जिससे एमसीसी को भारी नुकसान भी हुआ।

सन 2011 में कमेटी को सहयोग करने वाले आइपीएस अधिकारी सेवानिवृत हो गए। इसके बाद सरकार और पुलिस से समर्थन मिलना बंद हो गया। जिससे तृतीय सम्मेलन प्रस्तुतीकरण कमेटी कमजोर पड़ने लगी। कमेटी को चतरा झारखंड से अपने केंद्र बदलना पड़ा।

कमेटी ने अब सासाराम को अपना ऑपरेशन केंद्र बनाया। अब इस कमेटी के नक्सली विभिन्न बड़े शहरों में जाकर पैसा इक्ट्ठा करने के लिए अपराधिक गतिविधि में जुड़ गए हैं। कमेटी की नक्सली गतिविधियां अब झारखंड की बजाए बिहार के रोहतास, आरा, भभूआ, बक्सर और उत्तर प्रदेश के चंदौली, मुगलसराय के आस-पास तक सिमट गई है।

आइजी एटीएस असीम अरुण का कहना है कि नोएडा और चंदौली से पकड़े गए नक्सलियों से कई महत्वपूर्ण जानकारी हाथ लगी है। नक्सलियों के कई संपर्क सूत्र बिहार के सासाराम में छुपे हैं। जिसके बारे में सासाराम पुलिस को जानकारी दे दी गई है। नक्सलियों के कुछ साथी जल्द ही बिहार से पकड़े भी जाएंगे।


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