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    नोटबंदी की गिरी गाज, लाखों श्रमिक होंगे बेरोजगार

    By Ramesh MishraEdited By:
    Updated: Tue, 13 Dec 2016 07:30 AM (IST)

    नकदी की समस्या के कारण औद्योगिक इकाईयां अपना आर्डर पूरा नहीं कर पा रह है, चूंकि आर्डर पूरा करने के लिए नकद राशि से रॉ मैटेरियल खरीदना है। ...और पढ़ें

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    नोएडा [ कुंदन तिवारी ] । नोएडा के औद्योगिक सेक्टर पर नोट बंदी की गाज गिरी है। इसमें लाखों श्रमिकों के रोजी रोटी पर संकट खड़ा कर दिया है। अगले माह से इन श्रमिकों को नौकरी से हटाने की बात उद्यमियों की ओर से कही जा रही है। इसकी पुष्टि भी नोएडा एंटरप्रिनयोर्स एसोसिएशन (एनईए) की ओर से कर दी गई है।

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    कारण कास्ट कटिंग बताया जा रहा है। इस पर तर्क दिया जा रहा है कि नकदी की समस्या के कारण औद्योगिक इकाईयां अपना आर्डर पूरा नहीं कर पा रह है, चूंकि आर्डर पूरा करने के लिए नकद राशि से रॉ मैटेरियल खरीदना है।

    यह काम इस नोटबंदी में संभव नहीं है। ऐसे में जब इकाई में काम नहीं तो श्रमिकों को वेतन देकर क्यों आर्थिक बोझ को इकाई वहन करेगी।

    अर्थशास्त्री इसको देश के लिए शुभ संकेत नहीं मान रहे है, खतरे की घंटी बता रहे है। उनका मानना है कि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में एमएसएसई सेक्टर का सबसे बड़ा योगदान होगा है। इसे बढऩे से जीडीपी ग्रोथ करती है। घटने से बेरोजगारी को बढ़ावा मिलता है।

    उद्यमियों का कहना है कि अगले माह से मैन पावर कम करने का काम इकाईयों में शुरू कर दिया जाएगा, करीब 25 फीसद कास्ट कटिंग करनी है। मौजूदा समय में श्रम विभाग में आठ लाख श्रमिक रजिस्टर्ड है, करीब 7 लाख श्रमिक अन रजिस्टर्ड है।

    ऐसे में यदि 25 फीसद मैन पावर कम करने की बात कही जा रही है। इससे करीब चार लाख कर्मचारियों की रोजी रोटी खतरे में है। इस प्रक्रिया से इकाई को गुजारने के लिए उद्यमियों ने अपनी तैयारी को तेज कर दिया है। श्रम विभाग से लेकर अन्य कानूनी सलाह भी ली जा रही है।

    नोएडा एंटरप्रिनयोर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विपिन कुमार मल्हन का कहना है कि जब इकाईयों में काम नहीं होगा, तो इकाईयों का खर्च कहां से पूरा किया जाएगा। श्रमिकों को बैठे रहने का वेतन तो दिया नहीं जा सकता है। ताला बंदी की कगार पर दो माह में इकाईयां पहुंचने जा रही है।

    नोएडा एंटरप्रिनयोर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष -सुधीर श्रीवास्तव का कहना है कि केंद्र सरकार की काला धन पर अंकुश लगाने की मंशा सही थी, लेकिन बैंकिंग सेक्टर ने इकाई संचालन को पैसा नहीं देकर उद्यमियों और औद्योगिक इकाईयों की ही कमर तोड़ दी है। इसका आर्थिक बोझ उद्यमी वहन नहीं कर सकते है। ऐसे में कुछ दिन इकाईयों खीचा जा सके। इसके लिए कास्ट कटिंग जरुरी हो गई है।