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Noida Crime: जानिए कैसे 6 वर्ष में 6 फर्जी कंपनियां बनाकर करोड़पति बन गया शातिर मोहित

Noida Crime कोतवाली प्रभारी अनिल कुमार ने बताया कि आरोपित जो भी कंपनी बनाता उसका एमडी अध्यक्ष व प्रोपराइटर ऐसे व्यक्ति को बनाता जिसका कंपनी से कोई लेना देना नहीं होता। केवल उसको कुछ पैसे महीने का देते।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 12 Jan 2021 12:34 PM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 12:34 PM (IST)
Noida Crime: जानिए कैसे 6 वर्ष में 6 फर्जी कंपनियां बनाकर करोड़पति बन गया शातिर मोहित
मोहित व उसके साथी वर्ष 2019 में हनी ट्रैप के मामले में दिल्ली से जेल जा चुके है।

नोएडा [मोहम्मद बिलाल]। एमबीए पास मोहित गोयल पिछले 6 वर्ष में 6 फर्जी कंपनी से हजारों लोगों को ठगकर करोड़पति बन गया। वर्ष 2015 में रिंगिंग बेल कंपनी बनाकर लोगों को 251 रुपये में मोबाइल फोन का लालच देकर ठगी का धंधा शुरू किया। इस मामले में आरोपित वर्ष 2017 में जेल गया। वापस आने के बाद इसी वर्ष मास्टर फ्रीडम कंपनी बनाकर 2,399 रुपये में मोबाइल फोन व 9,990 रुपये में 32 इंच एलइडी टीवी देने के नाम पर लोगों से ठगी की। इस मामले में भी आरोपित जेल गया। फिर वर्ष 2018 में गुरुग्राम में फैमिली ड्राई फ्रूट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी फिर लोगों से करोड़ों ठगे।

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इस संबंध में आरोपित व उसके साथी मनोज कादियान के खिलाफ बरेली में मुकदमा पंजीकृत हुआ। जिसमें मनोज जेल गया वहीं आरोपित ने कोर्ट से स्टे ले लिया। वर्ष 2018 में ही गुरुग्राम में श्याम ट्रेडिंग ड्राइ फ्रूट नाम से कंपनी खोली। मनोज व प्रदीप सिंह के साथ मिलकर ठगी की। इस मामले में भी मनोज जेल गया।

वहीं मोहित ने कोर्ट से स्टे ले लिया था। वर्ष 2019 में सेक्टर-63 नोएडा में आयुर्वेदिक कमोडिटीज के नाम से कंपनी खोली। जिसमें मोहित, सुमित यादव व राजीव, प्रदीप सिंह निर्वान पार्टनर थे। प्रोपराइटर सोनेलाल था। ठगी का शिकार लोगों ने जब शिकायत तो सुमित जेल गया। सुमित एक सिक्योरिटी एजेंसी चलाता है। ठगी का शिकार लोगों को डराने धमकाने का काम करता है। जब कोई मोहित के खिलाफ थाने में शिकायत करता, तो आरोपित बाउंसर भेजकर उन्हें डराता धमकाता है। फर्जी मुकदमे व हनी ट्रैप में फंसाने का काम करता। मोहित व उसके साथी वर्ष 2019 में हनी ट्रैप के मामले में दिल्ली से जेल जा चुके है।

कोतवाली प्रभारी अनिल कुमार ने बताया कि आरोपित जो भी कंपनी बनाता उसका एमडी, अध्यक्ष व प्रोपराइटर ऐसे व्यक्ति को बनाता, जिसका कंपनी से कोई लेना देना नहीं होता। केवल उसको कुछ पैसे महीने का देते। गिरफ्तारी से बचने के लिए अपनी ही कंपनी एमडी, अध्यक्ष व प्रोपराइटर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराता है। जिससे वह यह साबित कर सके कि आरोपित का उसके साथ कोई संबंध नहीं है।

वहीं बाकी आरोपित ठगी की रकम आपस में बांट लते। आरोपित ठगी की रकम का एक हिस्सा अलग रख लेते था। जब भी कोई वादी व पीड़िता इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराता उसके खिलाफ पुलिस में गलत तथ्य देकर झूठा मुकदमा दर्ज कराया जाता। आरोपितों ने ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर व मेरठ के एक थाने में फर्जी मुकदमा दर्ज कराया था। राजस्थान से पांच व्यापारियों को हनी ट्रैप में फंसाकर जेल भिजवाया था। इस मामले में व्यापारियों से 25 लाख रुपये लेते हुए गिरफ्तार हुआ था। 

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