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chandrayaan 2: इसरो के वैज्ञानिकों को लेकर 'पाकिस्तान वाली गली' के लोगों ने क्या कहा

दुआओं तारीफो और बधाइयों की कड़ी में दिल्ली से चंद किलोमीटर दूर गौतमबुद्धनगर की पाकिस्तान वाली गली के लोगों ने भारतीय वैज्ञानिकों की जमकर तारीफ की।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 07 Sep 2019 07:55 PM (IST)Updated: Sat, 07 Sep 2019 10:10 PM (IST)
chandrayaan 2: इसरो के वैज्ञानिकों को लेकर 'पाकिस्तान वाली गली' के लोगों ने क्या कहा
chandrayaan 2: इसरो के वैज्ञानिकों को लेकर 'पाकिस्तान वाली गली' के लोगों ने क्या कहा

ग्रेटर नोएडा [धर्मेंद्र चंदेल]। भारत के 130 करोड़ लोग पूरे उत्साह के साथ उम्मीद चंद्रयान-2 की सफलता की दुआ कर रहे थे, लेकिन भारत के चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम (Vikram) का शनिवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (Indian Space Research Organisation) मुख्‍यालय से संपर्क उस वक्‍त टूट गया जब वह चांद की सतह से केवल 2.1 किलोमीटर की दूरी पर था।

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भारतीय वैज्ञानिकों की हौसला अफजाई के लिए खुद प्रधानमंत्री मोदी (Prime minister Narendra Modi) ने शनिवार सुबह आठ बजे इसरो मुख्‍यालय पहुंचकर वैज्ञानिकों को संबोधित किया। इसरो के इस प्रयास की चारों ओर सराहना हो रही है। लोग वैज्ञानिकों की इस कोशिश को भविष्य की कामयाबी के तौर पर देख रहे हैं।

दुआओं, तारीफो और बधाइयों की कड़ी में दिल्ली से चंद किलोमीटर दूर गौतमबुद्धनगर की 'पाकिस्तान वाली गली' के लोगों ने भारतीय वैज्ञानिकों की जमकर तारीफ की। पाकिस्तानी वाली गली (गौतमपुरी दादरी) के रहने वाले मनोज कर्दम का कहना है कि चन्द्रयान- 2 निश्चित ही भारत के वैज्ञानिकों के लिए गौरव की बात है और पूरी दुनिया जल्द ही भारत के वैज्ञानिकों का लोहा मानेगी।

वहीं, यही के रहने वाले पेशे से अधिवक्ता राजकुमार गौतम का कहना है कि चंद्रयान-2 मिशन ने पूरी दुनिया को आकर्षित किया है और भारत के वैज्ञानिकों ने वहां कदम रखा है जहां आज तक दुनिया का कोई देश नहीं पहुंच पाया। सफलता और असफलता का स्वाद उन्हीं लोगों को चखना नसीब होता है, जो प्रयास करते हैं। हमारे वैज्ञानिकों ने भी पूरी तरह जी जान लगा दी, इसका संपूर्ण फल कभी न कभी जरूर मिलेगा।

यहां जानिए- आखिर क्या है 'पाकिस्तानी वाली गली'

यहां पर बता दें कि आजादी के दौरान भारत-पाकिस्तान में बंटवारा हुआ। इस दौरान जो लोग यहां पर आकर बसे उन्हें पाकिस्तान वाली गली का शख्स कहा जाने लगा। कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखकर यहां के लोगों ने अपनी कॉलोनी का नाम बदलने की गुहार लगाई है।

वह सुनना पड़ता है जो पसंद नहीं

यहां पर रह रहे लोगों का सबसे बड़ा दर्द यही है कि उन्हें 'पाकिस्तान वाली गली' के बाशिंदों के तौर पर जाना जाता है। यहां के निवासी कहते हैं कि उन्हें दशकों बाद भी 'पाकिस्तान वाली गली' वाला कहलाना बिल्कुल पसंद नहीं है, लेकिन जुबानी गुजारिश करने के बावजूद लोग हमें 'पाकिस्तान वाली गली' वाला कहकर ही बुलाते हैं। कागजों में भी यही नाम यानी 'पाकिस्तान वाली गली' ही दर्ज है।

आधार में पता लिखा होता है 'पाकिस्तान वाली गली'

लोगों का कहना है कि हमारे आधार कार्ड पर भी 'पाकिस्तान वाली गली' लिखा होता है। यहां पर रहने वाले अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहते हैं- ' 130 करोड़ भारतीयों की तरह हम भी इसी देश का हिस्सा हैं। ऐसे में हमें ही क्यों पाकिस्तान के नाम पर अलग किया जा रहा है और सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है। बता दें कि दादरी नगर पालिका क्षेत्र में पाकिस्तानी वाली गली नाम से एक मोहल्ले में करीब 70 परिवार रहते हैं।

 बंटवारे ने दिया एक और दर्द

इतिहासकारों की मानें तो देश के बंटवारे के चलते लोगों ने जान-माल के साथ इज्जत भी खोई, सम्मान भी गंवाया। ऐसा माना जाता है कि जितने लोगों ने प्रथम और द्वतीय विश्व युद्ध में अपनी जान नहीं गंवाई उससे ज्यादा भारत-पाक बंटवारे के दौरान हुए दंगों में जानें गई हैं। जहां तक इस 'पाकिस्तान वाली गली' की बात है तो बंटवारे के दौरान इस कॉलोनी में पाकिस्तान से कुछ लोग आकर बस गए थे। इसके बाद इस कॉलोनी का नाम 'पाकिस्तान वाली गली' पड़ गया। निवासियों के सरकारी डॉक्युमेंट तक में दर्ज पते में पाकिस्तानी वाली गली आज भी दर्ज होता है। पाकिस्तानी गली में रह रहे कुछ हिंदू परिवारों के पुरखे देश के बंटवारे के समय पाकिस्तान के कराची शहर से आकर यहां बसे थे।

 70 साल बाद भी पहचान नहीं गई 'पाकिस्तान वाली गली' की

यहां पर दशकों से रहे लोगों की मानें तो उनके पूर्वज पाकिस्तान से आकर बस गए थे, क्यां इसमें उनकी कोई गलती नहीं थी। यहां पर रह रहे लोगों का कहना है कि हम भारतीय हैं और हमें इसका गर्व है, लेकिन दर्द बस इतना ही है कि हमें पहचान पाकिस्तान वाली गली की मिली हुई है।

4 चार लोग आए थे, दशकों बाद बन गया मोहल्ला

यहां पर रह रहे बुजुर्गों ने बताया कि बहुत पहले हमारे पूर्वजों में से सिर्फ 4 लोग ही पाकिस्तान से आकर यहां बसे थे। धीरे-धीरे परिवार बढ़े और आज इसकी आबादी सैकड़ों में है।

कराची से आकर हिंदुस्तान में बस गए थे 

बताया जाता है कि चुन्नीलाल नाम के बुजुर्ग अपने कुछ भाइयों के साथ बंटवारे का दंश झेलते हुए कराची से आकर यहां बसे थे। गौतमपुरी मोहल्ले की जिस गली में पाकिस्तान से आकर वे लोग बसे थे। धीरे-धीरे इसे 'पाकिस्तान वाली गली' कहा जाना लगा। दरअसल, 'पाकिस्तान वाली गली' गौतमपुरी मोहल्ले का एक छोटा सा हिस्सा है। इसकी एक गली में वर्तमान में तकरीबन 70 परिवार रहते हैं। सभी के सरकारी डॉक्युमेंट से लेकर आधार कार्ड तक में अड्रेस के रूप में पाकिस्तानी वाली गली लिखा हुआ है।

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