NOIDA Coronavirus: नोएडा में हैं सबसे ज्यादा कोरोना मरीज, जानें बीमारी तेजी से फैलने की 5 बड़ी वजह
नोएडा में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। बेकाबू होते हालत के बीच लॉकडाउन के बीच में ही सीएम को समीक्षा करने के लिए गौतमबुद्धनगर आना पड़ा। जानिए 5 वजह जिस कारण फैली बीमारी।
नोएडा (आशुतोष अग्निहोत्री)। कोरोना वायरस के संक्रमण से देश में चारों ओर कोहराम मचा हुआ है। संक्रमित लोगों की संख्या 1071 से पार हो चुकी है। उत्तर प्रदेश में गौतमबुद्ध नगर टॉप पर है और यहां संक्रमण से पीड़ितों की संख्या 37 हो गई है। हालात बदतर हुए तो प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लॉकडाउन के बीच गौतमबुद्ध नगर में आकर बचाव व राहत कार्य की समीक्षा करनी पड़ी।
सीएम ने दिए कार्रवाई के संकेत
मुख्यमंत्री की नाराजगी का आलम यह है कि उन्होंने भरी मीटिंग में न केवल प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की क्लास लगाई बल्कि जिम्मेदारों पर कार्रवाई तक के संकेत दे दिए। असल में मुख्यमंत्री की नाराजगी गलत नहीं है। कहीं-न-कहीं उन्हें भी यह एहसास हो गया है कि नोएडा व ग्रेटर नोएडा में संक्रमण के मरीजों की संख्या टॉप पर पहुंचने के पीछे स्थानीय प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही जिम्मेदार है।
इन पांच कारणाें से यूपी के नोएडा में हैं सबसे ज्यादा कोरोना के मरीज
- खुफिया विभाग के पास नहीं था विदेश से आए लोगों का आंकड़ा
- दो माह पूर्व अलर्ट होने के बाद भी प्रशासन ने दिखाई उदासीनता
- कंपनियों में काम करते रहे लोग
- संक्रमित लोग सोसायटियों में छिपकर करते रहे निवास
- लोगों में जागरुकता की दिखी कमी
सीज क्यों नहीं हुई सीजफायर कंपनी
नोएडा-ग्रेटर नोएडा में वर्तमान में लगभग 16000 कंपनियां हैं जिनमें देश-विदेश के लाखों लोग काम करते हैं। अधिकांश कंपनियों में चीन, जापान, लंदन, अमेरिका सहित तमाम देशों के नागरिक हैं। यहां काम करने वाले कर्मचारी- अधिकारी शहर की पॉश सोसायटियो में रहते हैं। सोशल टच (शारीरिक दूरी) न होने के कारण इनका स्थानीय लोगों से कोई वास्ता नहीं होता और सोसायटी प्रबंधन इनके मामले में दखल नहीं देते।
खुफिया विभाग की जिम्मेदारी
खुफिया विभाग की जिम्मेदारी होती है कि वह देश से विदेश जाने वालों और विदेश से आने वालों का डाटा संभालकर रखे व समय-समय पर ऐसे लोगों की निगरानी करता रहे। लेकिन, गौतमबुद्ध नगर में खुफिया विभाग के पास ऐसे लोगों का सटीक डाटा ही नहीं था।
अलर्ट के बावजूद नहीं हुई कार्रवाई
कोरोना वायरस को लेकर जब दो माह पहले एलर्ट हुआ तो इसे भी जिले के प्रशासनिक व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने हलके में लिया। सेक्टर 135 सीज फायर कंपनी का मामला इसका सटीक उदाहरण है और यही मुख्यमंत्री की मीटिंग का मुख्य मुद्दा भी बना।
सीएम ने कहा- जब लंदन से ऑडिटर आकर बांट रहा था कोरोना तब कहा था स्वास्थ्य विभाग
मुख्यमंत्री की नाराजगी इसी बात को लेकर थी कि सीज फायर कंपनी का लंदन से आया ऑडिटर जब लोगों को कोरोना वायरस का संक्रमण बांट रहा था तो जिले का स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन कहां था। अधिकारियों के इस तर्क पर कि उस कंपनी के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई है।
कंट्रोलरूम भी सवालों के घेरे में
मुख्यमंत्री ने सीधे शब्दों में पूछा कि कंपनी अब तक सीज क्यों नहीं हुई। इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं था। जिले में संक्रमण से राहत के लिए बनाया गया कंट्रोलरूम भी अब सवालों के घेरे में है। फिलहाल मीटिंग से छन कर आ रही जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री के तेवरों से किसी बड़ी कार्रवाई के संकेत मिल रहे हैं।