LockDown: लॉकडाउन में क्या कर रहे हैं बांग्लादेश की PM शेख हसीना की जान बचाने वाले कर्नल, पढ़ें- पूरी स्टोरी
Coronavirus LockDown उन्होंने बताया कि सैन्य जीवन में अनुशासन का बहुत ही महत्व है। यदि सभी लोग अपने जीवन में अनुशासित हो जाएं तो बड़ी से बड़ी मुसीबत पर सफलता हासिल कर सकते हैं।
नोएडा ( पारुल रांझा)। Coronavirus LockDown: लॉकडाउन के चलते अपने-अपने घरों में कैद लोगों ने कुछ नया करने की ठान ली हैं। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की जान बचाने वाले कर्नल अशोक तारा (रिटायर्ड) भी इस समय का उपयोग अपनी अभिरुचि को पूरा करने में कर रहे हैं। सेक्टर-28 में रहने वाले कर्नल अशोक तारा अपने सैन्य जीवन पर किताब लिख रहे हैं।
अनुशासन में रहकर सफलता हासिल करना आसान
जागरण संवाददाता से बातचीत में उन्होंने बताया कि सैन्य जीवन में अनुशासन का बहुत ही महत्व है। यदि सभी लोग अपने जीवन में अनुशासित हो जाएं तो बड़ी से बड़ी मुसीबत पर सफलता हासिल कर सकते हैं।
लॉकडाउन पर पीएम मोदी का किया समर्थन
उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा किए गए लॉकडाउन का समर्थन करते हुए बताया कि इन दिनों कोरोना वायरस के चलते लोग घरों में कैद हैं। लेकिन इसे मजबूरी न समझ कर इस समय का अनुशासन के साथ इस्तेमाल कर सकते हैं। जो काम व्यस्तता के कारण अधूरे रह गए हैं उन्हें पूरा करने का यह अच्छा समय है।
किताब में शामिल हैं सैन्य जीवन की चुनौतियां
कर्नल अशोक बताते हैं कि इन दिनों वे अपना अधिकतर समय अपने जीवन पर आधारित किताब को लिखने के लिए दे रहे हैं। इस किताब में उनके सैन्य जीवन की चुनौतियां, सैन्य जीवन में अनुशासन का महत्व और युद्ध के दौरान रास्ते में आने वाली कठिनाइयों समेत तमाम जानकारी है।
किताब में इस बात का जिक्र होगा कि कैसे युद्ध के दौरान अत्यंत कठिन अवसरों से गुजरना पड़ा, लेकिन अपने दृढ़ निश्चय एवं मजबूत इरादों से हमने सभी कठिनाइयों पर विजय पाई। एक सैनिक देश को हर बाह्य संकट से निकाल कर अपने नागरिकों को सुखपूर्वक जीने का अवसर प्रदान करते हैं तो इसमें प्रशिक्षण और अनुशासन की अहम भूमिका है।
फ्रेंड ऑफ बांग्लादेश अवॉर्ड से हुए थे सम्मानित
बता दें, कि 1971 के युद्ध में भारत ने हजारों सैनिक खो दिए थे। 13 दिन चली इस लड़ाई के बाद बांग्लादेश आजाद हुआ था। उन तमाम जांबाज सैनिकों में अशोक तारा का बांग्लादेश के प्रथम परिवार से बेहद खास रिश्ता है। उन्हें बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की पत्नी और उनके परिवार को बचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इनमें 24 साल की उनकी बेटी शेख हसीना और उनका बच्चा भी शामिल था।
बताया जाता है कि सिर्फ तीन सैनिकों के साथ मेजर अशोक तारा ने अपने अद्वितीय साहस और सूझबूझ से इस काम को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था। जून 2012 में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने तारा को फ्रेंड ऑफ बांग्लादेश अवॉर्ड से नवाजा था।