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माइनस 20 डिग्री में सेना राह आसान करेगी लिथियम बैटरी, जानिए इसकी खासियत Noida News

कंपनी के संस्थापक एके शुक्ला ने बताया कि लीड एसिड युक्त बैटरी प्रदूषण पैदा करती है। ऐसे में स्वच्छ ऊर्जा के तौर पर लिथियम बैटरी बेहतर विकल्प है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 19 Sep 2019 02:45 PM (IST)Updated: Thu, 19 Sep 2019 02:45 PM (IST)
माइनस 20 डिग्री में सेना राह आसान करेगी लिथियम बैटरी, जानिए इसकी खासियत Noida News
माइनस 20 डिग्री में सेना राह आसान करेगी लिथियम बैटरी, जानिए इसकी खासियत Noida News

ग्रेटर नोएडा [चंद्रशेखर वर्मा]। स्वच्छ ऊर्जा को गति देने का काम काफी हद तक लिथियम बैटरी भी कर रही है। इसमें डिस्टिल्ड वाटर डालने की जरूरत नहीं होती। ऐसे में यह प्रदूषण भी पैदा नहीं करती है। सोनीपत स्थित एक निजी कंपनी ने ऐसी ही एक लिथियम बैटरी बनाई है, जो ठंडे इलाकों में तैनात जवानों के लिए काफी कारगर है।

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इसको बिजली, जेनरेटर व सौर उर्जा से चार्ज किया जा सकता है। यह बैटरी माइनस 20 डिग्री सेल्सियस में भी आसानी से काम कर सकती है। इंडिया एक्सपो मार्ट में चल रहे रिन्यूएबल एनर्जी इंडिया में कंपनी ने बैटरी को प्रदर्शित किया।

स्वच्छ ऊर्जा के तौर पर लिथियम बैटरी बेहतर विकल्प 

कंपनी के संस्थापक एके शुक्ला ने बताया कि लीड एसिड युक्त बैटरी प्रदूषण पैदा करती है। ऐसे में स्वच्छ ऊर्जा के तौर पर लिथियम बैटरी बेहतर विकल्प है। हमने जो बैटरी तैयार की है। वह सामान्य बैटरी की जगह कम जगह घेरती है और अधिक ऊर्जा देती है। इसमें डिस्टिल्ड वाटर डालने की जरूरत नहीं होती। जहां अन्य बैटरियां दो से तीन वर्ष में खराब होने लगती है। यह बैटरी करीब आठ वर्षों तक चलती है। पांच वर्ष की वारंटी तो हम ही देते हैं।

एके शुक्ला ने बताया कि ई-रिक्शा में 12 वोल्ट की चार बैटरी लगानी पड़ती है। इसका भार कम से कम 140 किलोग्राम तक हो जाता है। यह काम हमारे 40 किलोग्राम की बैटरी कर देती है। हल्की होने से इधर-उधर ले जाने में आसानी होती है। अन्य बैटरियां जहां 60 फीसद काम करने के बाद डिस्चार्ज होना शुरू कर देती है, वहीं हमारी बैटरी 90 फीसद काम करने के बाद डिस्चार्ज होती है।

उन्होंने बताया कि अभी इस पर अन्य शोध किए जा रहे हैं, जल्द सियाचिन जैसे इलाकों के लिए भी बैटरी तैयार करेंगे, जो मानइस 50 डिग्री सेल्सियस तापमान को आसानी से सह लेगी। एके शुक्ला ने बताया कि आने वाला समय इलेक्ट्रिक वाहनों का है, जिनमें ये ही बैटरियां ही इस्तेमाल होंगी।

सेटेलाइट फोन का भार होगा कम

सेना के जवान दुर्गम स्थानों में संपर्क साधने के लिए सेटेलाइट फोन इस्तेमाल करते हैं। इसे कोई एक जवान अपने पीठ पर लादकर चलता है। इसकी बैटरी का भार करीब 15 किलोग्राम तक होता है। हमने दो किलोग्राम की बैटरी इजाद की है।

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