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Kachre Se Azadi: नोएडा में रसोई के कचरे से पौधों में जान डाल रहे सोसायटी के लोग

स्वच्छता व हरियाली से विशेष लगाव रखने वाली टीना सिंह ने बताया कि करीब एक वर्ष पहले उन्होंने अपने घर से निकलने वाले गीले और सूखे कचरे को अलग अलग डस्टबिन में डालना शुरू किया।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 01:42 PM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 01:42 PM (IST)
Kachre Se Azadi: नोएडा में रसोई के कचरे से पौधों में जान डाल रहे सोसायटी के लोग
Kachre Se Azadi: नोएडा में रसोई के कचरे से पौधों में जान डाल रहे सोसायटी के लोग

नोएडा [पारुल रांझा]। शहर में आबादी बढ़ने का साथ कचरे का पहाड़ भी उतनी तेजी के साथ ऊंचा होता जा रहा है। इस समस्या का समाधान केवल प्राधिकरण के अधिकारियों के हाथ में नहीं है। बल्कि शहर को साफ व स्वच्छ रखना हर एक नागरिक का कर्तव्य है। इसी सोच के साथ सेक्टर-121 स्थित अजनारा होम्स-121 सोसायटी के निवासी अपने स्तर पर प्रयास करने में लगे है। यहां के निवासी अपने घरों से निकलने वाले कूड़े को सड़क पर फेंकने के बजाय उसकी प्राकृतिक खाद बना रहे है।

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इस खाद का प्रयोग घर के पेड़-पौधों, सब्जियों में किया जा रहा है। इस पहल से निवासी न केवल कूड़े का सदुपयोग कर सफाई अभियान में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। बल्कि अन्य सोसायटियों के लोगों को भी कूड़ा निस्तारण के बारे में जागरूक कर रहे है।

अब कचरे को फेंकने की जरूरत नहीं

सोसायटी के एओए अध्यक्ष दिनेश सिंह ने बताया कि शहर की सोसायटियों में जब डोर टू डोर कूड़ा निस्तारण अभियान के दौरान आरडब्ल्यूए पदाधिकारी ने सोचा कि सफाई के बाद उठाए जाने वाले कचरे का आखिरकार क्या किया जाए। करीब डेढ़ साल पहले इस बारे में निवासियों को जागरूक कर घर पर ही किचन से निकलने वाले कूड़े का सदुपयोग करने की पहल शुरू की। अभियान को गंभीरता से लेते हुए सभी पूरे विश्लेषण के बाद इसकी सफलता में जुट गए। अब किचन से रोज निकलने वाले करीब डेढ़ किलो कचरे को फेंकने की जरूरत नहीं पड़ती। बल्कि उसी कचरे से वह अपने पौधों के लिए प्राकृतिक खाद तैयारी करते है।

ऐसे तैयार करते हैं जैविक खाद

स्वच्छता व हरियाली से विशेष लगाव रखने वाली टीना सिंह ने बताया कि करीब एक वर्ष पहले उन्होंने अपने घर से निकलने वाले गीले और सूखे कचरे को अलग अलग डस्टबिन में डालना शुरू किया। वह सिटी कंपोस्ट विधि के जरिए खाद बनाती है। सबसे पहले गीला व सूखा कचरा अलग करती है। इसमें से सूखा रीसायक्लिंग के लिए भेजा जाता है।

फल-सब्जियों का छिलका व वेस्ट जैसे गीले कचरे को घड़े में डाला जाता है। इसमें सबसे नीचे नीम के सूखे पत्ते, इसके ऊपर गीला कचरा डाला जाता है। 5-6 दिनों बाद इसमें नीम खली व नारियल के पाउडर का मिश्रण डाला जाता है ताकि कचरे से बदबू न आए। घड़े में पड़े वेस्ट को बीच-बीच में डंडे से घुमाया भी जाता है। करीब 25 दिनों के बाद यह कचरा कंपोस्ट खाद के रूप में तब्दील हो जाता है। इस प्रक्रिया को पूरा होने में 35 दिनों का समय लग जाता है।


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