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पारदर्शिता होगी तो बिल्डर गलत करने से बचेगा और गलत करेगा तो समय रहते पकड़ा जाएगा, जानिए कैसे करते हैं बायर को परेशान?

एनसीआर में मकान या फ्लैट दिल्ली के मुकाबले सस्ता होने की वजह से लोग यहां घर खरीदना पसंद करते हैं। बहुमंजिला इमारतों में अपने बजट के अनुसार घर बुक करवा कर लोग अपना घर होने का सपना पूरा पूरा करते हैं।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Wed, 08 Sep 2021 01:07 PM (IST)Updated: Wed, 08 Sep 2021 01:07 PM (IST)
पारदर्शिता होगी तो बिल्डर गलत करने से बचेगा और गलत करेगा तो समय रहते पकड़ा जाएगा, जानिए कैसे करते हैं बायर को परेशान?
मानक पूरा करने के अभाव में परियोजना अटकने से उनका सपना टूट जाता है।

नोएडा [अरविंद मिश्र]। छोटा ही सही एक अपना घर हर किसी का सपना होता है। रोजगार की असीम संभावनाओं की वजह से हर साल देश के कई प्रांतों से लोग दिल्ली एनसीआर में नौकरी करने आते हैं और फिर यहीं बस जाना चाहते हैं। एनसीआर में मकान या फ्लैट दिल्ली के मुकाबले सस्ता होने की वजह से लोग यहां घर खरीदना पसंद करते हैं। बहुमंजिला इमारतों में अपने बजट के अनुसार घर बुक करवा कर लोग अपना घर होने का सपना पूरा पूरा करते हैं। लेकिन बिल्डर द्वारा निर्माण में अधिक समय लगाने या मानक पूरा करने के अभाव में परियोजना अटकने से उनका सपना टूट जाता है।

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इसका सबसे बड़ा कारण बिल्डरों द्वारा जरूरी अनुमति और अनापत्ति प्रमाण पत्र लिए बगैर परियोजनाओं में प्री-बुकिंग करना है। घर खरीदार प्री-बुकिंग के समय सस्ते दर पर फ्लैट मिलने की वजह से बिल्डरों के पास खींचे चले आते हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षो से एनसीआर में रियल एस्टेट अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। कई बिल्डर परियोजना के बीच में ही दिवालिया घोषित हो गए, जिसकी वजह से परियोजनाएं अटकी हुई हैं तो कुछ बिल्डर परियोजनाओं के काम की रफ्तार बेहद धीमी है। सबसे बड़ी बात है कि अधिकांश परियोजनाओं में बिल्डर घर खरीदारों से 80 से 90 फीसद रकम ले चुके हैं।

समय समय पर हो आडिट

जहां तक निगरानी की बात है इसके लिए प्राधिकरण व रेरा को निश्चित समय अंतराल पर आडिट कर उसकी रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का नियम लागू करने की जरूरत है। हर तीन माह में बिल्डर की वित्तीय हालत, निर्माण कार्य की प्रगति, खरीदारों से ली गई रकम और उसके खर्च का ब्योरा सार्वजनिक करने की जरूरत है। पारदर्शिता होगी तो बिल्डर गलत करने से बचेगा और गलत करेगा तो समय रहते पकड़ा जाएगा।

एग्रीमेंट के मुताबिक हो मानक

बिल्डर और घर खरीदार के बीच विवाद की बड़ी वजह बुकिंग के समय बताई गई रकम से ज्यादा की मांग और निर्माण की गुणवत्ता है। बुकिंग के समय जो रकम तय हो, उसमें कब्जा देते समय किसी तरह की अतिरिक्त मांग व शुल्क नहीं लगने चाहिए। खरीदारों को बैंक लोन के लिए बिल्डर को समय से दस्तावेज उपलब्ध कराने के अलावा भुगतान में देरी पर एमसीएलआर दर से शुल्क वसूलना चाहिए। खरीदार को भुगतान में विलंब होने की जानकारी भी बिल्डर को तुरंत देनी चाहिए। दूसरी किस्त बकाया होने पर पूर्व के बकाया पेमेंट और उस पर लगे चार्जेज की जानकारी खरीदार को मिलनी चाहिए। कब्जा देने में विलंब पर बिल्डर को भी एमसीएलआर दर पर डिले पजेशन चार्ज खरीदार को देने का नियम लागू करना चाहिए।

इससे बिल्डर परियोजना को जल्द पूरा कर समय से कब्जा देने के लिए बाध्य होंगे। परियोजना पूरी होने पर खरीदार पर थेापे जाने वाले कास्ट एस्केलेशन चार्ज को समाप्त करने की जरूरत है। बिल्डर बायर एग्रीमेंट की शर्तें आमतौर पर बिल्डर के हित में होती है। बिल्डर इसका नाजायज फायदा उठाते हैं। दोनों पक्षों के हितों को देखते हुए बिल्डर बायर एग्रीमेंट का मानक तय होना चाहिए। [अभिषेक कुमार, अध्यक्ष, नोएडा एक्स्टेंशन फ्लैट आनर्स वेलफेयर एसोसिएशन (नेफोवा)]

पैसे सुरक्षित रखने को ये हों उपाय

- 20 से 25 फीसद काम होने के बाद ही किसी परियोजना में बुकिंग शुरू होनी चाहिए। इसका सबसे बड़ा असर यह होगा कि बिल्डर काम की शुरुआत अपनी जिम्मेदारी पर बैंक से लोन लेकर करेगा। बिल्डर अपनी जेब से रकम लगाएगा तो उसे जिम्मेदारी का एहसास रहेगा और परियोजना के अटकने की आशंका भी कम होगी।

- डाउन पेमेंट पर रोक लगनी चाहिए, क्योंकि डाउन पेमेंट में बिल्डर द्वारा एकमुश्त रकम लेकर उसका दूसरी परियोजना में निवेश कर दिया जाता है और काम अटक जाता है।

- प्राधिकरण और रेरा के साथ सभी परियोजनाओं के लिए एस्क्रो अकाउंट की अनिवार्यता होनी चाहिए। घर खरीदारों से इसी खाते में रकम ली जानी चाहिए।

- पारदर्शिता के लिए प्राधिकरण और रेरा को अपनी वेबसाइट पर बिल्डर की परियोजना से संबंधित मानचित्र, अनापत्ति व अन्य दस्तावेज सार्वजनिक करने चाहिए।

- खरीदारों से कंस्ट्रक्शन लिंक प्लान के हिसाब से रकम लेने का नियम होना चाहिए। जैसे-जैसे परियोजना में काम होता जाएगा, घर खरीदार रकम देते जाएंगे।

- काम शुरू कराने के लिए बिल्डर पहले ही जरूरी अनुमति और अनापत्ति प्रमाणपत्र ले ले।


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