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बसपा मुखिया मायावती के गृह जिले की तीनों सीटों पर कैसी है हाथी की चाल

दादरी सीट पर 2007 से 2017 तक लगातार दो बार पार्टी के सतवीर गुर्जर विधायक रहे हैं लेकिन इसके बाद से सियासी समीकरण पूरी तरह बदल चुके हैं। जिले में सभी सीटों पर भाजपा के विधायक हैं। अब बसपा के सामने अपने खोए जनाधार को वापस पाने की चुनौती है।

By Jp YadavEdited By: Published: Tue, 11 Jan 2022 10:29 AM (IST)Updated: Tue, 11 Jan 2022 10:29 AM (IST)
बसपा मुखिया मायावती के गृह जिले की तीनों सीटों पर कैसी है हाथी की चाल
UP Assembly Election 2022: बसपा मुखिया मायावती के गृह जिले की तीनों सीटों पर कैसी है हाथी की चाल

नई दिल्ली [अजय चौहान]। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 का बिगुल बज चुका है। ऐसे में बहुजन समाज पार्टी का जिक्र होते ही गौतमबुद्ध नगर का नाम स्वत: ही आ जाता है, कारण हम सब जानते हैं कि बसपा सुप्रीमो मायावती यहीं से ताल्लुक रखती हैं। दादरी का बादलपुर गांव उनका पैतृक गांव हैं। जिले की सियासत की बात करें, तो बीते दो दशक में आधे से ज्यादा समय पार्टी का दबदबा रहा है। जेवर विधानसभा में 2002 से 2017 तक बसपा के ही विधायक रहे हैं।

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दादरी सीट पर 2007 से 2017 तक लगातार दो बार पार्टी के सतवीर गुर्जर विधायक रहे हैं, लेकिन इसके बाद से सियासी समीकरण पूरी तरह बदल चुके हैं। जिले में सभी सीटों पर भाजपा के विधायक हैं। अब बसपा के सामने अपने खोए जनाधार को वापस पाने की चुनौती है। बहुजन समाज पार्टी ने जेवर से एडवोकेट नरेंद्र भाटी डाढ़ा और दादरी से किसान नेता मनवीर भाटी को मैदान में उतारा है।

वहीं, नोएडा विधानसभा में भी काफी हद तक तस्वीर साफ है। यहां से कृपाराम शर्मा को चुनाव लड़ाने की तैयारी है, लेकिन अभी आधिकारिक घोषणा होना बाकी है। उसके बाद ही अंतिम मुहर लगेगी। 2012 में बनी यह सीट बसपा के लिए अछूती रही है। 2012 में पार्टी दूसरे और 2017 में तीसरे स्थान पर थी। इस सीट पर इस बार भी डगर आसान नहीं रहने वाली है।

दादरी और जेवर विधानसभा में पार्टी का मजबूत वोट बैंक रहा है, लेकिन पिछले चुनावों में मिली हार और कमजोर होते संगठन के बीच अच्छे प्रदर्शन के लिए संगठन को प्रत्याशियों के साथ मजबूती से कदमताल मिलाना होगा। जिले के मौजूदा चुनावी माहौल की बात करें तो प्रचार-प्रसार में बसपा का संगठन दूसरे दलों की तुलना में कुछ उन्नीस दिख रहा है। बूथ स्तर पर भी पार्टी की सक्रियता नहीं दिख रही है। पार्टी पदाधिकारी डोर टू डोर अभियान का दावा कर रहे हैं, लेकिन क्षेत्र में केवल प्रत्याशी ही दिखाई दे रहे हैं।


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