मायावती का किला अब बन गया भाजपा का गढ़, वेस्ट यूपी में अभी और खिलेगा भगवा रंग
अगले कुछ दिनों में सपा और बसपा दलों के कई और प्रमुख नेता भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा की ताकत और बढ़ेगी।
ग्रेटर नोएडा, (धर्मेंद्र चंदेल)। सपा के राष्ट्रीय महासचिव रहे पूर्व सांसद सुरेंद्र नागर शुक्रवार को भाजपा में शामिल हो गए। राज्यसभा से इस्तीफा दिए जाने के बाद से ही उनकी भाजपा में जाने की अटकलें लगाई जाने लगी थी। सुरेंद्र नागर को गुर्जरों का कद्दावर नेता माना जाता है। सपा और बसपा में उनके कई करीबियों के भी भाजपा में शामिल होने की चर्चा है। अगले कुछ दिनों में दोनों दलों के कई और प्रमुख नेता भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा की ताकत और बढ़ेगी।
गौतमबुद्ध नगर में सपा की साइकिल कभी गुल नहीं खिला सकी। हर बार लोकसभा और विधान सभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों को हार का मुंह देखना पड़ा, लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती का गृह जनपद होने की वजह से गौतमबुद्ध नगर उसका गढ़ (किला) माना जाता रहा है। 2009 के लोकसभा चुनाव में सुरेंद्र नागर गौतमबुद्धनगर से बसपा के टिकट पर सांसद बने थे।
सुरेंद्र नागर के भाजपा में शामिल होने से गौतमबुद्धनगर में बसपा का किला अब भाजपा का गढ़ बन गया है। गौतमबुद्धनगर की जेवर विधान सभा से बसपा के टिकट पर तीन बार विधायक बने पूर्व मंत्री वेदराम भाटी, नोएडा से बसपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़े रविकांत मिश्रा, सतेंद्र नागर, बलराज भाटी, बिजेंद्र प्रमुख, पंडित लोकमन प्रधान, मनोज डाढ़ा, अमित भाटी, वीरेंद्र खारी, महेश भाटी समेत कई नेता पहले ही विभिन्न दलों को छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। अब सुरेंद्र नागर के भी भाजपा में आ जाने से यह जिला पूरी तरह से भगवा हो गया है।
गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट से भाजपा के डा. महेश शर्मा सांसद हैं। जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है। नोएडा से पंकज सिंह, दादरी से तेजपाल नागर व जेवर से धीरेंद्र सिंह भाजपा से विधायक हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह द्वारा जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद लोगों का भाजपा की तरफ रूझान और बढ़ा है।
वहीं बड़ी संख्या में नेताओं के भाजपा में जाने से सपा और बसपा भी सर्तक हो गई है। अपने कार्यकर्ताओं को भाजपा में जाने से रोकने के लिए दोनों दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। सपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता अतुल प्रधान व पूर्व मंत्री नरेंद्र भाटी को कार्यकर्ताओं को भाजपा में जाने से रोकने की जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं बसपा ने भी अपनी पूरी टीम को लगा दिया है।
पश्चिमी उप्र की राजनीति को प्रभावित करेंगे सुरेंद्र नागर सुरेंद्र नागर के पिता चौधरी वेदराम नागर को मिल्क किंग के नाम से जाना जाता है। सुरेंद्र नागर का पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब व मध्यप्रदेश में दूध का कारोबार है। इन क्षेत्रों में गुर्जरों की भी बड़ी आबादी रहती है। सुरेंद्र नागर के पार्टी में आ जाने से भाजपा को उक्त जगहों पर लाभ मिलेगा। खासकर पश्चिमी उप्र में भाजपा को सुरेंद्र नागर की वजह से बड़ा लाभ मिल सकता है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट और गुर्जरों की संख्या अधिक है। पूर्व मंत्री व गुर्जरों के दूसरे कद्दावर नेता नरेंद्र भाटी फिर से सपा का झंडा बुलंद कर सकते हैं। उन्होंने सपा से ही अपनी राजनीति पारी की शुरूआत की थी। कभी उन्होंने सपा का दामन नहीं छोड़ा था। उन्हें मुलायम सिंह यादव के नजदीक माना जाता है।
अखिलेश यादव द्वारा पार्टी की कमान संभालने के बाद से वे अपने आपको उपेक्षित महसूस कर रहे थे। गत लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा प्रत्याशी का उन्होंने कड़ा विरोध किया। उनके छोटे भाई पूर्व जिला पंचायत चेयरमैन बिजेंद्र भाटी ने तो भाजपा के मंच से डाॅ महेश शर्मा के लिए वोट मांगे थे।
बताया जाता है कि दोनों भाई पार्टी मुखिया अखिलेश यादव से नाराज थे। सुरेंद्र नागर से भी छत्तीस का आंकड़ा था, इसलिए वजह से दोनों से सपा और बसपा प्रत्याशी का विरोध किया। हालांकि, बिजेंद्र भाटी ने अभी भाजपा की सदस्यता नहीं ली है। उनका कहना है कि वे शीघ्र निर्णय लेंगे। वहीं सूत्रों की मानें तो सपा मुखिया ने उन्हें फिर से पार्टी का झंडा बुलंद करने को कहा है।
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