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सुरेंद्र नागर के भाजपा में आने से अब गौतमबुद्धनगर की सियासत का बदेलगा रंग Noida News

सुरेंद्र नागर के भाजपा में आने और पार्टी द्वारा उन्हें राज्यसभा सदस्य पद का उम्मीदवार बनाए जाने से गौतमबुद्धनगर में सियासी रंग बदल गया है।

By Edited By: Published: Tue, 03 Sep 2019 09:34 PM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 10:01 PM (IST)
सुरेंद्र नागर के भाजपा में आने से अब गौतमबुद्धनगर की सियासत का बदेलगा रंग Noida News
सुरेंद्र नागर के भाजपा में आने से अब गौतमबुद्धनगर की सियासत का बदेलगा रंग Noida News

ग्रेटर नोएडा [धर्मेंद्र चंदेल]। पूर्व सांसद सुरेंद्र नागर के भाजपा में आने और पार्टी द्वारा उन्हें राज्यसभा सदस्य पद का उम्मीदवार बनाए जाने से गौतमबुद्धनगर में सियासी रंग बदल गया है। पड़ोसी जनपद बुलंदशहर में भी इसका प्रभाव पड़ेगा। सुरेंद्र नागर को गुर्जरों का कद्दावर नेता माना जाता है। गौतमबुद्धगर व बुलंदशहर समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उनका खासा प्रभाव है।

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विधान सभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव, अभी तक सुरेंद्र नागर ही भाजपा की नीतियों का विरोध करते नजर आते थे। जेवर एयरपोर्ट से प्रभावित किसानों के जमीन के मुआवजे से लेकर पंचायत व्यवस्था बहाल करने तक के मामले में सुरेंद्र नागर प्रखर नजर आए। हर मोर्चे पर उन्होंने भाजपा की नीतियों का विरोध किया था। कई बार राज्यसभा में भी उन्होंने इन मुद्दों को उठाकर भाजपा को घेरा। भाजपा नेता भी सुरेंद्र नागर पर निशाना साधने से पीछे नहीं रहते थे। राजनीतिक मंचों पर एक-दूसरे के समर्थक भी आमने-सामने आ जाते थे, लेकिन अब सियासत का नजारा बदला-बदला नजर आएगा। सुरेंद्र नागर के समर्थक भी भाजपा में शामिल हो गए हैं।

एक-दूसरे का राजनीति विरोध करने वाले अब एक मंच पर नजर आएंगे। सुरेंद्र नागर के भाजपा में जाने से गौतमबुद्धनगर में विपक्ष नेतृत्वहीन सा हो गया है। दरअसल, जिले के दूसरे कद्दावर नेता पूर्व मंत्री नरेंद्र भाटी का परिवार लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी के साथ खड़ा हो गया था। उनके छोटे भाई पूर्व जिला पंचायत सदस्य बिजेंद्र भाटी भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर चुके हैं। लंबे समय तक बसपा में रहे पूर्व मंत्री वेदराम भाटी भी भाजपा में आ चुके हैं। पूर्व विधायक समीर भाटी सार्वजिक मंचों पर कम ही नजर आते हैं।

कांग्रेस कई खेमों में बंटी हुई है। इससे पार्टी का जिले में वजूद खत्म होने के कगार पर है। पिछले तीन वर्षों से कांग्रेस जिले में एक भी स्थान पर ही विरोध प्रदर्शन तक नहीं कर सकी है। कांग्रेसी नेता राजनीति मंच पर भाजपा का सामना करने की स्थिति तक में नहीं है। कमोवेश यहीं स्थिति बसपा और सपा की हो गई है। हालांकि, पूर्व मंत्री नरेंद्र भाटी अभी सपा में ही है, लेकिन मुलायम सिंह यादव के करीबी होने की वजह से उनकी अखिलेश यादव से दूरियां बनी हुई है।

नरेंद्र भाटी अभी चुप्पी साधे हुए हैं। हालांकि, राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि नरेंद्र भाटी फिर से सपा की कमान संभालेंगे। लेकिन उनके छोटे भाई बिजेंद्र भाटी के द्वारा भाजपा की सदस्यता लिए जाने से सपाइयों में असमंजस बना हुआ है। बसपा नेता व पूर्व विधायक सतवीर गुर्जर भले ही बसपा की कमान संभाले हुए हैं, लेकिन उनके अलावा अब बहुजन समाज पार्टी में अगुवाई करने वाला नेता नहीं बचा है।

गौतमबुद्धनगर पूरी तरह से भाजपा मय हो गया है। हालांकि, भाजपा में पहले से ही सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. महेश शर्मा, नोएडा विधायक पंकज सिंह, दादरी विधायक तेजपाल नागर, जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह, गन्ना संस्थान के अध्यक्ष नवाब सिंह नागर, महिला आयोग की अध्यक्ष विमला बाथम, बिजेंद्र भाटी, तेजा गुर्जर, श्रीचंद शर्मा, पूर्व मंत्री हरिश्चंद्र भाटी, जिलाध्यक्ष विजय भाटी, महानगर अध्यक्ष राकेश शर्मा, कैप्टन विकास गुप्ता, सतेंद्र शिशोदिया, सुभाष भाटी, राजा रावल आदि बड़े नाम पहले से ही शामिल है। अब सुरेंद्र नागर और बिजेंद्र भाटी खेमे के लोगों के आने से यह जिला भाजपा का गढ़ बन गया है।

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