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यूपी और राजस्‍थान की राजनीति में सीधा दखल, जानिए 23 सालों में कितना बदला गौतमबुद्ध नगर

GautamBudh Nagar Foundation Day गौतमबुद्ध नगर सियासत के मामले में भी पीछे नहीं है। उत्तर प्रदेश के साथ राजस्थान और केंद्र की राजनीति में सीधा दखल है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 06 May 2020 04:14 PM (IST)Updated: Wed, 06 May 2020 05:51 PM (IST)
यूपी और राजस्‍थान की राजनीति में सीधा दखल, जानिए 23 सालों में कितना बदला गौतमबुद्ध नगर
यूपी और राजस्‍थान की राजनीति में सीधा दखल, जानिए 23 सालों में कितना बदला गौतमबुद्ध नगर

ग्रेटर नोएडा (धर्मेंद्र चंदेल)। GautamBudh Nagar Foundation Day: शहरी जीवन के साथ-साथ गांव की झलक अगर दिल्‍ली से सटे एनसीआर में देखनी हो तो गौतमबुद्ध नगर से बेहतर कही नहीं मिलेगी। गांव और शहरी जीवन को साथ लिए चलने वाले इस जिले का इतिहास भी काफी रोचक रहा है। कभी मायावती तो कभी मुलायम के लिए यह जगह खास रहा। गौतमबुद्ध नगर जिले की स्थापना आज ही के दिन छह मई, 1997 को हुई थी। 23 वर्षों के लंबे सफर में जनपद ने कई उतार-चढ़ाव देखे। एक समय ऐसा भी आया, जब तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार ने 13 जनवरी 2004 को जिले को समाप्त कर दिया।

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हाई कोर्ट के हस्‍तक्षेप के बाद जिला फिर से अस्तित्व में आया

हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद जिले फिर से अस्तित्व में आया। विकास के मामले में कई आयाम स्थापित किए गए। प्रशासन ने जिले को राह दिखाई। हाईटेक होने के साथ राजस्व देने में यह जिला प्रदेश में अव्वल बना। बावजूद इसके अभी मंजिल बाकी है। कई ऐसे कार्य हैं, जो पूरे होने शेष हैं। इनके पूरे होने की उम्मीद अब कमिश्नरी प्रणाली से है।

इन विभागों का नहीं हुआ गठन

जिले के गठन के 23 वर्ष बाद भी नागरिक सुरक्षा, एनटी, बीडीएस, सर्वे एडं आॅपरेशन, नारी निकेतन व लघु सिंचाई विभाग का सृजन ही नहीं हुआ है। ऑडिट व अल्पसंख्यक विभाग का गठन तो कर दिया गया, लेकिन इनमें अभी अधिकारी तैनात नहीं किए गए हैं। कई विभागों में कर्मचारियों का टोटा है। इससे सरकार की योजनाओं के क्रियांव्यन में देरी के साथ कार्यों की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।

कमिश्नरी प्रणाली लागू होने से बढ़ी फोर्स

जिले के लिए कमिश्नरी प्रणाली लागू होना विशेष उपलब्धि रहा। राष्ट्रीय राजधानी के समीप होने के कारण जनपद में कमिश्नरी प्रणाली लागू करने की कवायद पिछले लंबे अर्से से चल रही थी। कई बार इसे अमली जामा पहनाने का प्रयास किया गया, लेकिन नौकरशाह के एक वर्ग ने अपने अधिकारों में कटौती होता देख, इसमें अड़ंगा लगा दिया। यह सपना अब साकार हुआ है। यह प्रयोग कितना सफल होगा, यह तो भविष्य के गर्त में है, लेकिन कमिश्नरी प्रणाली लागू होने के बाद जनपद में पुलिस बल बढ़ गया है। तीन हजार बढ़कर अब पांच हजार पुलिस कर्मी हो गए हैं। सड़कों पर अब खूब पुलिस नजर आती है।

दो राज्‍यों की राजनीति में है सीधा दखल

गौतमबुद्ध नगर सियासत के मामले में भी पीछे नहीं है। उत्तर प्रदेश के साथ राजस्थान और केंद्र की राजनीति में सीधा दखल है। राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ग्रेटर नोएडा के वैदपुरा गांव के रहने वाले हैं। पूर्व मुख्यमंत्री बसपा सुप्रीमो मायावती का बादलपुर पैतृक गांव हैं। डा. महेश शर्मा सांसद व सुरेंद्र नागर राज्यसभा सदस्य हैं। नोएडा के सेक्टर 36 में रहने वाले सेवानिवृत्त आइएएस श्याम सिंह यादव जौनपुर व सेक्टर 56 निवासी मलूक नागर बिजनौर से सांसद है। विधायक पंकज सिंह, तेजपाल नागर, धीरेंद्र सिंह व विधान परिषद सदस्य नरेंद्र भाटी का सियासी कद किसी से छिपा नहीं है। नोएडा के जोगिंदर अवाना राजस्थान व ग्रेटर नोएडा के आरके शर्मा बरेली से विधायक हैं।

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