Noida Flats: गौतमबुद्ध नगर में 50 हजार फ्लैटों की रजिस्ट्री का सुलझेगा विवाद, जिला प्रशासन ने की पहल
Noida Flats बिल्डरों ने प्राधिकरण अधिकारियों के साथ मिलकर फ्लैटों की रजिस्ट्री का खेल किया। प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद ही बिल्डर फ्लैट की रजिस्ट्री कराता है लेकिन कई बिल्डरों ने बिना प्रमाण पत्र प्राप्त किए और रजिस्ट्री कराए बिना ही बायर्स को कब्जा दे दिया।
ग्रेटर नोएडा, जागरण संवाददाता। प्राधिकरण की लापरवाही व बिल्डरों की उदासीनता के चलते गौतमबुद्ध नगर में पिछले कई वर्ष से लगभग पचास हजार फ्लैटों की रजिस्ट्री का विवाद अधर में लटका है। रजिस्ट्री से सरकार को अरबों रुपये का राजस्व मिलना है। हाल ही में गौतमबुद्ध नगर के दौरे पर आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्राधिकरण व प्रशासन के अधिकारियों को फ्लैट रजिस्ट्री के मुद्दे को सुलझाने का आदेश दिया था। सीएम के आदेश के बाद अधिकारियों ने माथापच्ची शुरू कर दी है।
जिला प्रशासन ने तीनों प्राधिकरण से बिल्डरों के फ्लैट और रुकी हुई रजिस्ट्री का विवरण मांगा है। सूची मिलने पर जिला प्रशासन संबंधित बिल्डरों को रजिस्ट्री कराने के लिए नोटिस जारी करेगा। जिले में 207 बिल्डरों के प्रोजेक्ट में लगभग डेढ़ लाख फ्लैट हैं। प्रोजेक्ट के लिए बिल्डरों को प्राधिकरण के द्वारा भूखंड का आवंटन किया जाता है।
नियम के तहत पूरा पैसा जमा करने व निर्माण की प्रक्रिया पूरी करने के बाद प्राधिकरण के द्वारा बिल्डरों को अदेयता प्रमाण पत्र (ओसी) और कंपलीशन प्रमाण पत्र (सीसी) जारी किया जाता है। प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद ही बिल्डर फ्लैट की रजिस्ट्री कराता है, लेकिन कई बिल्डरों ने बिना प्रमाण पत्र प्राप्त किए और रजिस्ट्री कराए बिना ही बायर्स को कब्जा दे दिया।
प्राधिकरण अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ खेल
प्राधिकरण का बकाया जमा करने व निर्माण की सभी शर्तों को पूरा करने के बाद ही बिल्डर को प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। बिल्डरों ने प्राधिकरण अधिकारियों से मिलकर खेल किया। सुविधा शुल्क की आड़ में अधिकारियों ने अपनी आंख बंद कर ली। बिल्डरों ने बिना ओसी व सीसी प्रमाण पत्र प्राप्त किए ही बायर्स को फ्लैट पर कब्जा दे दिया।
कुछ वर्ष पूर्व हुआ था प्रयास
रुकी हुई फ्लैटों की रजिस्ट्री कराने के लिए जिला प्रशासन ने लगभग दो वर्ष पूर्व प्रयास शुरू किया था। अधिकारियों ने एग्रीमेंट टू सब लीज का नियम बनाया था। जिसके तहत स्टांप शुल्क जमा कर खरीददार को एग्रीमेंट टू सब लीज कराना था। आने वाले समय में बिल्डर जब भी प्राधिकरण से प्रमाण पत्र प्राप्त करता, 100 रुपये के स्टांप पर बायर्स रजिस्ट्री करा सकता था। एग्रीमेंट टू सब लीज से बायर्स को फ्लैट का मालिकाना हक मिल जाता। बावजूद एग्रीमेंट टू सब लीज कराने में बायर्स ने संज्ञान नहीं लिया।
प्राधिकरण अधिकारी नहीं दे रहे जानकारी
लगभग पचास हजार फ्लैट की रजिस्ट्री न होने के मामले में प्राधिकरणों की घोर लापरवाही सामने आई है। प्राधिकरण अधिकारी अब भी नहीं जाग रहे हैं। जिला प्रशासन के द्वारा पिछले कुछ वर्ष के दौरान प्राधिकरण को दस से अधिक पत्र लिखकर जानकारी मांगी गई कि किन-किन बिल्डरों के प्रोजेक्ट में कितने फ्लैट हैं और कितने फ्लैट की रजिस्ट्री नहीं हुई है। कई बार पत्र लिखने के बाद भी प्राधिकरण अधिकारियों ने जवाब नहीं दिया है। ऐसे में फ्लैटों की रजिस्ट्री रुकी होने में प्राधिकरण अधिकारियों की अधिक लापरवाही सामने आ रही है।
लोकसभा व विधानसभा चुनाव में था मुख्य मुद्दा
फ्लैट रजिस्ट्री का मामला जिले में होने वाले लोकसभा व विधानसभा चुनाव में मुख्य मुद्दा बनता है। नेताओं के द्वारा बायर्स को विवाद का समाधान कराने का आश्वासन दिया जाता है। चुनाव के बाद कोई हल नहीं निकलता है। सबसे बड़ा आश्वर्य है कि लाखों रुपये का फ्लैट लेने के बाद भी रजिस्ट्री न होने से पचास हजार बायर्स मालिक नहीं बन पाए हैं। एडीएम वंदिता श्रीवास्तव ने बताया कि प्राधिकरण से बिल्डर व रजिस्ट्री न होने वाले फ्लैटों की सूची मांगी गई है। सूची मिलने पर बिल्डरों को नोटिस जारी किया जाएगा। रजिस्ट्री कराने के लिए विशेष शिविर लगाए जाएंगे।