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Noida: मनी लांड्रिंग केस में फंसाने का दिखाया डर, फर्जी इंस्पेक्टर बन बुजुर्ग से पांच लाख रुपये ठगे

साइबर जालसाजों ने 450 करोड़ रुपये के मनी लांड्रिंग केस में फंसाने के नाम पर एक बुजुर्ग के साथ चार लाख 94 हजार रुपये की ठगी कर ली। फर्जी गिरफ्तारी वारंट भेजकर बुजुर्ग को डराया और जमानत दिलाने के नाम पर रकम जालसाजों ने अपने खाते में ट्रांसफर करा ली।

By Jagran NewsEdited By: GeetarjunPublished: Mon, 20 Mar 2023 12:29 AM (IST)Updated: Mon, 20 Mar 2023 12:29 AM (IST)
Noida: मनी लांड्रिंग केस में फंसाने का दिखाया डर, फर्जी इंस्पेक्टर बन बुजुर्ग से पांच लाख रुपये ठगे
मनी लांड्रिंग केस में फंसाने का दिखाया डर, फर्जी इंस्पेक्टर बन बुजुर्ग से पांच लाख रुपये ठगे

नोएडा, जागरण संवाददाता। साइबर जालसाजों ने 450 करोड़ रुपये के मनी लांड्रिंग केस में फंसाने के नाम पर एक बुजुर्ग के साथ चार लाख 94 हजार रुपये की ठगी कर ली। फर्जी गिरफ्तारी वारंट भेजकर बुजुर्ग को डराया गया और जमानत दिलाने के नाम पर रकम जालसाजों ने अपने खाते में ट्रांसफर करा ली।

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पैसे ट्रांसफर होते ही जालसाजों ने नंबर बंद कर लिया। पीड़ित की शिकायत पर सेक्टर-24 कोतवाली पुलिस मामले की जांच कर रही है। जालसाज ने खुद को मुंबई पुलिस का इंस्पेक्टर बताकर पीड़ित को झांसे में लिया।

पुलिस को दी शिकायत में सेक्टर-34 स्थित हिमगिरी सोसायटी के 80 वर्षीय रामचंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि वह सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और हृदय सहित कई अन्य बीमारियों से ग्रसित हैं। सोसायटी में पत्नी संग रहने रामचंद्र के मोबाइल पर 25 फरवरी को मुंबई के लैंडलाइन नंबर से काल आई।

फोन करने वाले ने खुद को मुंबई के दादर थाने का इंस्पेक्टर भूपेंद्र नागर बताया और एक बैंक के 450 करोड़ रुपये की मनी लांड्रिग में पीड़ित का नाम सामने आने की बात कही। कथित इंस्पेक्टर ने बताया कि इसमें बैंक से रिटायर्ड एक जीएम फंसा है, दूसरा नंबर रामचंद्र का है।

डर के कारण रामचंद्र ने इससे बाहर निकलने के तरीकों पर जब बात की तो कथित इंस्पेक्टर ने अंतरिम बेल दिलवाने की बात कही।

जांच में फर्जी मिले कागजात

जालसाज ने एक अन्य व्यक्ति से रामचंद्र की बात कराई और मुंबई और दिल्ली के विविध विभागों से क्लियरेंस के नाम पर दो बार में रकम ट्रांसफर करा ली। पैसे ट्रांसफर होने के बाद पीड़ित को ठगी की जानकारी हुई। न्यायालय से अंतरिम बेल दिलाने की बात कहने के बाद जालसाजों ने पीड़ित के पास दिल्ली बार काउंसिल का एक फर्जी दस्तावेज भी भेजा,जिसमें जालसाज ने खुद को अधिवक्ता बताया। जांच में कागजात फर्जी पाए गए।

डीसीपी हरीश चंदर ने बताया कि अज्ञात आरोपित के खिलाफ केस दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है। संबंधित नंबर की भी जांच जारी है।

सारी जमा पूंजी गंवाई

पीड़ित ने बताया कि जालसाज ने जब 90 दिन तक पुलिस हिरासत में रहने की बात कही तो वह डर गया और रकम ट्रांसफर कर दी। पहली बार में दो लाख 84 हजार 800 और दूसरी बार में दो लाख 10 हजार रुपये ट्रांसफर किए। रामचंद्र ने बताया कि इलाज के लिए उसने जितने भी पैसे बचाए थे,सारे पैसे जालसाजों ने ऐंठ लिए। पेंशन भी नहीं मिलती है,ऐसे में जिंदगी का गुजारा कैसे होगा, समझ नहीं आ रहा।


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