बड़े-बड़े भूखंडों की योजना निकालकर घोटालों को दिया अंजाम, मायावती के भाई की ये थी भूमिका Noida News
बसपा सुप्रीमों मायावती के भाई आनंद कुमार ने 2007 से 2011 तक भू-आवंटन की आड़ में ही अरबों रुपये की संपत्ति जुटाकर घोटाला किया।
नोएडा[कुंदन तिवारी]। बसपा सुप्रीमो मायावती के भाई आनंद कुमार ने 2007 से 2011 तक भू-आवंटन की आड़ में ही अरबों रुपये की संपत्ति जुटाकर घोटाला किया। ब्यूरोक्रेट्स की समझ और नेताओं के इशारों पर ही घोटालों की पॉलिसी तैयार की गई, जमीनों का आवंटन हुआ। सिर्फ उन्हीं लोगों को भूखंड आवंटित किए गए, जिनकी पहुंच आनंद या उनके करीबियों तक रही।
घोटालों का ताना-बाना सिर्फ काली कमाई और लाखों वर्गमीटर जमीन हड़पने के लिए बुना गया। इसकी परत दर परत अब खुलने लगी है। सूत्र का कहना है कि यदि छोटे भूखंड की योजना आती तो इसके खरीदार अधिक होते। बड़े भूखंड के खरीदारों का बेस प्राइज भी कम होता और इसमें प्रतिद्वंद्वी की संख्या भी कम रही। इससे मनमाफिक लोगों को आवंटित कराकर शासनादेश के नाम पर विखंडित कराया गया। इसके बाद छोटे-छोटे भूखंड आपस में बांट लिए गए। यही खेल बसपा शासन काल में खेला गया।
बसपा शासन काल में प्राधिकरण में ग्रुप हाउसिंग स्कीमों की बाढ़ आ गई। ग्रुप हाउसिंग में सर्वाधिक आवंटन इसी दौरान किए गए। बड़े-बड़े भूखंड की स्कीम निकाली गई। इन भूखंड का आवंटन नीलामी के जरिये किया गया। बिड डालने वाली एक बड़ी कंपनी होती थी। यह कंपनी भी बसपा के करीबियों से जुड़े लोगों की होती थी। महज 10 फीसद देकर भूखंड का आवंटन कर दिया जाता था। इसके बाद इस भूखंड को छोटे-छोटे भूखंड में तोड़कर मनचाहे लोगों को आवंटित की जाती थी। आवंटन के इस खेल में ब्यूरोक्रेट्स और नेताओं ने अपनी जेबें खूब भरीं।
सेक्टर-94 में बीपीटीपी के आवंटन में भी यही ताना बना बुना गया। इसमें 95 एकड़ के एक भूखंड को पहले चार भूखंड में तोड़ा गया। इसके बाद इन भूखंडों को विखंडित किया गया। खास यह है कि छोटे भूखंड का आवंटन मनचाहे लोगों को किया गया। ऐसे ही एक नाम नोएडा के पंडित जी का भी है। जिन्होंने बसपा शासन काल में आनंद के लिए अकूत संपत्ति जुटाई थी।
सूत्र बताते हैं कि बसपा शासनकाल मे आनंद इस राजदार ने करीबियों के साथ मिलकर शहर में करीब 600 से अधिक भूखंड का हेरफेर किया। आज भी आनंद व यादव सिंह की कई संपत्तियों में पंडित जी भी शामिल है। कई औद्योगिक इकाइयों का मालिक भी है। इन्हीं जगहों से वह आनंद की अकूत संपत्तियों की देखरेख कर रहा है। सेक्टर-94 में एक बड़ा भूखंड इसी के नाम वर्ष 2012 में आवंटित किया गया है। इसे भी आनंद की संपत्ति ही बताया जा रहा है। आनंद के इस खेल ने प्राधिकरण अधिकारियों ही नहीं, बल्कि प्राधिकरण के एक माली तक को फर्श से अर्श पर पहुंचा दिया है।
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